हिसार: सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही का एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. दरअसल हिसार में समाज कल्याण विभाग के कर्मचारियों ने एक जीवित व्यक्ति ओम प्रकाश को मृत घोषित (alive old man died in hisar) कर दिया. इतना ही नहीं ओम प्रकाश को मृत घोषित कर उसकी पेंशन (cut alive elderly pension in hisar) भी समाज कल्याण विभाग ने बंद कर दी है.
अब बुढ़ापे में सरकार द्वारा दी जाने वाली पेंशन को पाने के लिए बुजुर्ग सरकारी कार्यालयों (social welfare department) के चक्कर काटने को मजबूर है, लेकिन सरकारी विभाग हैं कि उसे जीवित मानने को ही तैयार नहीं हैं. अपने आप को जिंदा साबित करने के लिए ओम प्रकाश ने कागजात भी जमा करवा दिए हैं, लेकिन विभाग ने अपनी गलती नहीं मानी. थक कर अब ओम प्रकाश यही कर रहे हैं कि अगर मैं मर गया हूं तो मेरा डेथ सर्टिफिकेट ही दे दो.
गौरतलब है कि हरियाणा सरकार 60 साल की उम्र से बुजुर्गों को सम्मान के रूप में पेंशन देती है. ताकि उनका बुढ़ापा अच्छे से कट सके, लेकिन इसी पेंशन को लेने के लिए एक बुजुर्ग अब सरकारी विभागों को चक्कर काटने को मजबूर हैं. हिसार भेरियां गांव के रहने वाले बुजुर्ग ओमप्रकाश ने बताया वो अक्सर दो-तीन महीने की पेंशन इकट्ठे निकलवा लेते थे. पिछले महीने जब वो अपनी पेंशन लेने बैंक गए, तो पता चला कि उनकी पेंशन बंद कर दी गई है.
उसके बाद बुजुर्ग समाज कल्याण विभाग के कार्यालय गए, तो वहां पर कर्मचारी ने कंप्यूटर में चेक करके बताया कि ये बुजुर्ग तो मर चुके हैं, इसलिए पेंशन बंद कर दी गई है. जिसके बाद बुजुर्ग ने कहा कि मैं मरा नहीं हूं. मैं तुम्हारे सामने खड़ा हूं. फिर उस कर्मचारी ने पेंशन स्टेटस की रिपोर्ट निकाल कर दे दी. जिसमें लिखा था ओमप्रकाश की मौत 15 अप्रैल 2022 को हो चुकी है. उसके बाद लगातार तीन दिन बुजुर्ग ने सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
बुजुर्ग ओमप्रकाश ने बताया कि अब हालात ये हैं कि मुझे अपने जिंदा होने का सबूत खुद देना पड़ रहा है. ओमप्रकाश के मुताबिक अधिकारी अब चंडीगढ़ में दोबारा पेंशन के लिए अप्लाई करने के लिए कह रहे हैं. जिसके लिए बुजुर्ग ने नंबरदार की गवाही तक लिखवा कर दे दी है. इस पूरे मसले को लेकर जब जिला समाज कल्याण अधिकारी से बातचीत करने की कोशिश की गई तो पता चला कि उनका तबादला हो गया है और अभी किसी ने अधिकारी ने चार्ज नहीं लिया. वहीं बुजुर्ग का कहना है कि मुझे मेरी पेंशन दी जाए और अगर मुझे ये पता चलता है कि ये किसकी गलती है. तो मैं उस पर कार्रवाई जरूर करूंगा.