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हिसार में पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए लागू धारा-144

धान की पराली के जलने से होने वाले प्रदूषण के मद्देनजर हिसार में धारा 144 लगाई गई है. अगर कोई नियमों का पालन नहीं करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

section 144 action will be taken on burning stubble
हिसार उपायुक्त डीसी
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Published : Sep 30, 2020, 10:57 PM IST

हिसार: इस बार हरियाणा में धान की पराली जलाने वालों की खैर नहीं. प्रशासन ने पहले से ही तैयारियां तेज कर दी हैं. हिसार जिला उपायुक्त ने पराली जलाने के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश जारी कर दिए हैं. हिसार में अगर कोई पराली जलाता है तो उसके खिलाफ भारतीय दंड प्रक्रिया नियमावाली 1976 के तहत धारा 144 के तहत कार्रवाई होगी.

उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने अपने आदेशों में कहा है कि धान कटाई के बाद अवशेषों के जलाने से भारी मात्रा में प्रदूषण होता है. इस कारण से मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा कि फसल अवशेष को विभिन्न विकल्पों के साथ-साथ पशुओं के लिए चारा बनाने में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है. ऐसे में अवशेषों को जलाने से पशुओं के चारे की कमी हो जाती है.

ये भी पढ़ें:-हाथरस गैंगरेप: चंडीगढ़ में लोगों ने यूपी सरकार और प्रशासन के खिलाफ किया प्रदर्शन

आपातकालीन स्थिति और परिस्थितियों को देखते हुए भारतीय दंड प्रक्रिया नियमावाली 1976 के तहत धारा 144 की शक्तियों के आधार पर हिसार जिले में धान की फसल की कटाई के बाद उसके अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध रहेगा. यदि कोई इन आदेशों की अवहेलना करता है तो इसके खिलाफ भारतीय दंड प्रक्रिया की धारा -188 सपंठित, वायु एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम, 1981 के तहत दंड का भागी होगा.

हिसार: इस बार हरियाणा में धान की पराली जलाने वालों की खैर नहीं. प्रशासन ने पहले से ही तैयारियां तेज कर दी हैं. हिसार जिला उपायुक्त ने पराली जलाने के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश जारी कर दिए हैं. हिसार में अगर कोई पराली जलाता है तो उसके खिलाफ भारतीय दंड प्रक्रिया नियमावाली 1976 के तहत धारा 144 के तहत कार्रवाई होगी.

उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने अपने आदेशों में कहा है कि धान कटाई के बाद अवशेषों के जलाने से भारी मात्रा में प्रदूषण होता है. इस कारण से मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा कि फसल अवशेष को विभिन्न विकल्पों के साथ-साथ पशुओं के लिए चारा बनाने में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है. ऐसे में अवशेषों को जलाने से पशुओं के चारे की कमी हो जाती है.

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