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सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर लोग, मजबूरन अपनाते हैं 'दूसरा रास्ता' - हिसार नगर निगम ताजा समाचार

हिसार के लोगों ने ईटीवी भारत हरियाणा के साथ बातचीत में बताया कि नहरी विभाग, बिजली विभाग और रेवेन्यू विभाग में ऐसा ज्यादा होता है, कि लोगों को चक्कर लगाने पड़ते हैं, लेकिन उनका काम वक्त पर नहीं होता. जब सीधे शिकायत से काम नहीं होता तो लोग फिर दूसरे रास्ते तलाशते हैं.

public grievance redressal mechanism hisar
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Published : Dec 27, 2020, 8:38 PM IST

हिसार: सरकारी कामों को लेकर आमजन में धारणा बनी हुई है कि सरकारी काम जल्दी नहीं होते. सरकारी विभागों में शिकायत निवारण प्रक्रिया का क्या हाल है, इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने हिसार जिले में लोगों से बात की तो पता चला कि किसी भी शिकायत को अगर सीधे संबंधित अधिकारी को दिया जाए तो बहुत ही कम चांस है कि उस पर कोई कार्रवाई हो, लेकिन शिकायत जब किसी अन्य माध्यम जैसे सीएम विंडो या फिर उच्च अधिकारी से मार्क होकर अधिकारी तक आती है तो उस पर कार्रवाई होना सुनिश्चित होता है. क्योंकि वो सरकारी रिकॉर्ड में रहता है और अधिकारी की उसके प्रति जवाबदेही होती है.

पानी का प्रबंध हो, बिजली का बिल हो या फिर फसल को लेकर कोई समस्या. लोग सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाते रह जाते हैं. बीमा योजना के क्लेम को लेकर चक्कर काट रहे किसान राजपाल ने बताया कि उसने क्लेम के लिए अधिकारियों के कार्यालय में 4 महीने तक चक्कर लगाए. एक डिपार्टमेंट से उसे कागजों का हवाला देकर दूसरे डिपार्टमेंट तक भेज दिया गया.

सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर लोग, क्लिक कर देखें वीडियो

सरकारी विभागों के चक्कर काटने को मजबूर लोग

ऐसे मामलों में पीड़ित लोगों की सहायता करने वाले समाजसेवी मनोज कुमार ने बताया कि मैं खुद गांव के लोगों के साथ शिकायत लेकर जाता हूं, तो हमारे विभागों में शिकायत निवारण व्यवस्था का बुरा हाल है, जब किसी भी विभाग में शिकायत के लिए कोई एप्लीकेशन देकर आते हैं तो उसे लेकर साइड में रख लिया जाता है और उस पर कोई खास कार्रवाई नहीं होती. जिसके लिए बार-बार डिपार्टमेंट के चक्कर काटने पड़ते हैं.

'दूसरे रास्ते' तलाशने को मजबूर लोग

ऐसा मुख्य तौर पर नहरी विभाग, बिजली विभाग और रेवेन्यू विभाग में ज्यादा होता है, जब सीधे शिकायत से काम नहीं होता तो लोग फिर दूसरे रास्ते तलाशते हैं. (दूसरे रास्ते का मतलब रिश्वत से है). बहुत की कम लोग ऐसे होते हैं जो काम वक्त पर नहीं होने के चलते डिस्ट्रिक्ट ग्रेवियंस कमेटी या फिर सीएम विंडो की तरफ रुख करता है. अगर अधिकारियों के पास सीएम विंडो के जरिए शिकायत जाती है तब उसपर काम होता है.

शिकायत निवारण प्रक्रिया और विभागों के अधिकारियों की इस शैली को लेकर जिला उपायुक्त डॉ प्रियंका सोनी ने दावा किया कि हमारे पास सीधे भी शिकायतें आती हैं. संबंधित एसडीएम के पास भी आती हैं. जिन्हें समाधान के लिए तुरंत भेजा जाता है. उन्होंने बताया कि सीएम विंडो की बहुत क्लोजली मॉनिटरिंग होती है.

ये भी पढ़ें- रतनलाल कटारिया ने किया मतदान, कहा- किसान आंदोलन का चुनाव पर नहीं पड़ेगा असर

अक्सर ऐसा होता है कि लोग विभिन्न विभागों में अपना काम निकलवाने के लिए रिश्वत देते हैं, ऐसा इसलिए है क्योंकि समय पर उनका काम नहीं हो पा रहा. लोग अपनी जरूरत के अनुसार जैसे भी हो उसे करवाने की सोचते हैं. सरकार द्वारा विभिन्न विकास विभागों में सेवाओं की समय सीमा भी तय की गई है, लेकिन उनका सख्ताई से पालन नहीं किया जाता. जिससे ये अव्यवस्था बढ़ती जा रही है.

हिसार: सरकारी कामों को लेकर आमजन में धारणा बनी हुई है कि सरकारी काम जल्दी नहीं होते. सरकारी विभागों में शिकायत निवारण प्रक्रिया का क्या हाल है, इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने हिसार जिले में लोगों से बात की तो पता चला कि किसी भी शिकायत को अगर सीधे संबंधित अधिकारी को दिया जाए तो बहुत ही कम चांस है कि उस पर कोई कार्रवाई हो, लेकिन शिकायत जब किसी अन्य माध्यम जैसे सीएम विंडो या फिर उच्च अधिकारी से मार्क होकर अधिकारी तक आती है तो उस पर कार्रवाई होना सुनिश्चित होता है. क्योंकि वो सरकारी रिकॉर्ड में रहता है और अधिकारी की उसके प्रति जवाबदेही होती है.

पानी का प्रबंध हो, बिजली का बिल हो या फिर फसल को लेकर कोई समस्या. लोग सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाते रह जाते हैं. बीमा योजना के क्लेम को लेकर चक्कर काट रहे किसान राजपाल ने बताया कि उसने क्लेम के लिए अधिकारियों के कार्यालय में 4 महीने तक चक्कर लगाए. एक डिपार्टमेंट से उसे कागजों का हवाला देकर दूसरे डिपार्टमेंट तक भेज दिया गया.

सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर लोग, क्लिक कर देखें वीडियो

सरकारी विभागों के चक्कर काटने को मजबूर लोग

ऐसे मामलों में पीड़ित लोगों की सहायता करने वाले समाजसेवी मनोज कुमार ने बताया कि मैं खुद गांव के लोगों के साथ शिकायत लेकर जाता हूं, तो हमारे विभागों में शिकायत निवारण व्यवस्था का बुरा हाल है, जब किसी भी विभाग में शिकायत के लिए कोई एप्लीकेशन देकर आते हैं तो उसे लेकर साइड में रख लिया जाता है और उस पर कोई खास कार्रवाई नहीं होती. जिसके लिए बार-बार डिपार्टमेंट के चक्कर काटने पड़ते हैं.

'दूसरे रास्ते' तलाशने को मजबूर लोग

ऐसा मुख्य तौर पर नहरी विभाग, बिजली विभाग और रेवेन्यू विभाग में ज्यादा होता है, जब सीधे शिकायत से काम नहीं होता तो लोग फिर दूसरे रास्ते तलाशते हैं. (दूसरे रास्ते का मतलब रिश्वत से है). बहुत की कम लोग ऐसे होते हैं जो काम वक्त पर नहीं होने के चलते डिस्ट्रिक्ट ग्रेवियंस कमेटी या फिर सीएम विंडो की तरफ रुख करता है. अगर अधिकारियों के पास सीएम विंडो के जरिए शिकायत जाती है तब उसपर काम होता है.

शिकायत निवारण प्रक्रिया और विभागों के अधिकारियों की इस शैली को लेकर जिला उपायुक्त डॉ प्रियंका सोनी ने दावा किया कि हमारे पास सीधे भी शिकायतें आती हैं. संबंधित एसडीएम के पास भी आती हैं. जिन्हें समाधान के लिए तुरंत भेजा जाता है. उन्होंने बताया कि सीएम विंडो की बहुत क्लोजली मॉनिटरिंग होती है.

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अक्सर ऐसा होता है कि लोग विभिन्न विभागों में अपना काम निकलवाने के लिए रिश्वत देते हैं, ऐसा इसलिए है क्योंकि समय पर उनका काम नहीं हो पा रहा. लोग अपनी जरूरत के अनुसार जैसे भी हो उसे करवाने की सोचते हैं. सरकार द्वारा विभिन्न विकास विभागों में सेवाओं की समय सीमा भी तय की गई है, लेकिन उनका सख्ताई से पालन नहीं किया जाता. जिससे ये अव्यवस्था बढ़ती जा रही है.

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