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किसानों की मदद के लिए न्योली कलां गांव से राशन लेकर जत्था रवाना - न्योली कलां गांव राशन मदद किसान

किसान आंदोलन सरकार के गले की फांस बनता जा रहा है. दिन बढ़ने के साथ-साथ दूसरे वर्गों के लोगों का साथ भी किसानों को मिल रहा है.

farmers protest support hisar
किसानों की मदद के लिए न्योली कलां गांव से राशन लेकर जत्था रवाना
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Published : Dec 6, 2020, 8:27 AM IST

हिसार: जिले के न्योली कलां गांव से किसान आंदोलन में मदद देने के लिए युवा राशन सहित रवाना हुए. गांव के लोगो ने कहा जब तक आंदोलन चलेगा तब तक राशन की कमी नहीं आने दी जाएगी. गांव वासियों ने कहा कि किसान ही नहीं बल्कि देश की तमाम जनता सरकार द्वारा लाए गए जनता विरोधी कानूनों का लोकतांत्रिक ढंग से विरोध कर रही है.

उन्होंने कहा नया कृषि कानून किसानों के लिए मंडी और एमएसपी के मायने खत्म कर देगा. इसके साथ ही पूंजीपतियों को भंडारण की छूट मिल जाएगी, जिससे जब किसान अपनी फसल बेचेगा तो कम भाव मिलेंगे और जब वही चीज खरीदनी पड़ेगी तो पूंजीपति कमी दिखाकर फसल को ज्यादा दाम में बेचेंगे.

गौरतलब है कि किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए दिल्ली के बॉर्डरों पर धरने पर बैठे हैं. बीते रोज भी किसानों की सरकार के साथ बातचीत हुई, लेकिन इस बैठक में भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया. बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि कृषि कानूनों के विरोध में उनका आंदोलन लगातार जारी रहेगा. 8 दिसंबर को भारत बंद का एलान भी किसानों की तरफ से किया गया है.

ये भी पढ़िए: युवाओं ने जमापूंजी के पैसों से किसानों लिए की लंगर की व्यवस्था

हिसार: जिले के न्योली कलां गांव से किसान आंदोलन में मदद देने के लिए युवा राशन सहित रवाना हुए. गांव के लोगो ने कहा जब तक आंदोलन चलेगा तब तक राशन की कमी नहीं आने दी जाएगी. गांव वासियों ने कहा कि किसान ही नहीं बल्कि देश की तमाम जनता सरकार द्वारा लाए गए जनता विरोधी कानूनों का लोकतांत्रिक ढंग से विरोध कर रही है.

उन्होंने कहा नया कृषि कानून किसानों के लिए मंडी और एमएसपी के मायने खत्म कर देगा. इसके साथ ही पूंजीपतियों को भंडारण की छूट मिल जाएगी, जिससे जब किसान अपनी फसल बेचेगा तो कम भाव मिलेंगे और जब वही चीज खरीदनी पड़ेगी तो पूंजीपति कमी दिखाकर फसल को ज्यादा दाम में बेचेंगे.

गौरतलब है कि किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए दिल्ली के बॉर्डरों पर धरने पर बैठे हैं. बीते रोज भी किसानों की सरकार के साथ बातचीत हुई, लेकिन इस बैठक में भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया. बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि कृषि कानूनों के विरोध में उनका आंदोलन लगातार जारी रहेगा. 8 दिसंबर को भारत बंद का एलान भी किसानों की तरफ से किया गया है.

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