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युवराज सिंह की विवादित टिप्पणी मामला: FIR दर्ज नहीं करने पर 3 अफसरों के खिलाफ जांच के आदेश - युवराज विवादित टिप्पणी मामला अपडेट

क्रिकेटर युवराज सिंह द्वारा पिछले साल अनुसूचित समाज के लिए की गई अभद्र व अपमानजनक टिप्पणी के मामले में औपचारिक मुकदमा दर्ज ना करना हांसी पुलिस के लिए मुश्किल बनता दिख रहा है. इस मामले में कोर्ट में चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं.

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Published : Jan 13, 2021, 9:51 PM IST

हिसार: पिछले साल जून में दिग्गज पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह ने दलित समाज के लिए अभद्र व अपमानजनक टिप्पणी किया था. रोहित शर्मा से वीडियो कॉल के दौरान उन्होंने स्पिनर यजुवेंद्र चहल को अपमानजनक अभद्र शब्द का प्रयोग किया था. इसके बाद हंगामा भी हुआ था. इसके बाद पुलिस ने इस मामले में कोई केस दर्जन नहीं किया था.

युवराज सिंह विवादित टिप्पणी मामला

इस मामले में औपचारिक मुकदमा दर्ज न करना हांसी पुलिस के लिए गले की फांस बन सकता है. हिसार स्थित अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत स्थापित विशेष न्यायालय के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वेदपाल सिरोही ने जांच के आदेश दिए हैं. शिकायतकर्ता रजत कलसन ने इसको लेकर याचिका दायर की थी.

तीन अफसर के खिलाफ जांच के आदेश

इस पर जांच अधिकारी डीएसपी विनोद शंकर, वर्तमान में बरवाला के पुलिस उपाधीक्षक रोहतास सिहाग और हांसी शहर थाना के तत्कालीन प्रभारी जसवीर सिंह के खिलाफ अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार अधिनियम की धारा 4 के तहत जांच के आदेश दिए हैं. नेशनल अलायंस और दलित ह्यूमन राइट्स के संयोजक रजत कलसन ने 11 जनवरी को अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि 2 जून 2020 को उन्होंने युवराज सिंह के खिलाफ हांसी पुलिस को एक शिकायत दर्ज कराई थी.

ये है वजह

शिकायत में मुकदमा दर्ज कर युवराज सिंह को गिरफ्तार करने की मांग की थी. उन्होंने कहा कि हाल में ही एससी/ एसटी एक्ट में हुए संशोधन व सुप्रीम कोर्ट द्वारा पृथ्वीराज चौहान बनाम महाराष्ट्र सरकार में आए प्रावधान के अनुसार पुलिस को अनुसूचित जाति अत्याचार के मामले में एक्ट की धारा 18 ए के तहत पहले मुकदमा दर्ज करना होता है उसके बाद जांच शुरू की जाती है, लेकिन हांसी पुलिस ने इस मामले में शिकायतकर्ता की शिकायत पर कोई भी मुकदमा दर्ज ना किया तथा बिना मुकदमा दर्ज किए ही प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है.

मामले में 2 मार्च को देनी होगी रिपोर्ट

इस मामले में जब मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो अधिवक्ता कलसन ने गृह मंत्री के सामने शिकायत लगाई थी और कड़ी कार्रवाई की मांग की थी जिस पर गृहमंत्री ने आईजी हिसार को आदेश जारी कर उक्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए थे लेकिन पुलिस विभाग ने गृह मंत्री के आदेशों को भी दरकिनार कर उक्त अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. अब इस मामले में 2 मार्च को हिसार के पुलिस अधीक्षक को रिपोर्ट पेश करनी होगी. याचिकाकर्ता ने बताया कि कि इन अधिकारियों के साथ क्रिकेटर युवराज सिंह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- युवराज सिंह के खिलाफ हिसार में दी गई शिकायत, दलित भावनाओं को आहत करने का आरोप

ये था पूरा मामला

गौरतलब है कि क्रिकेटर युवराज सिंह ने 1 जून को अपने साथी क्रिकेटरों योगेंद्र सिंह व रोहित शर्मा के साथ वीडियो कॉलिंग करते हुए दलित समाज के लिए अभद्र व अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल किया था जो कि वीडियो वायरल हो गया था तथा इस बार युवराज सिंह को माफी भी मांगनी पड़ी थी.

हिसार: पिछले साल जून में दिग्गज पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह ने दलित समाज के लिए अभद्र व अपमानजनक टिप्पणी किया था. रोहित शर्मा से वीडियो कॉल के दौरान उन्होंने स्पिनर यजुवेंद्र चहल को अपमानजनक अभद्र शब्द का प्रयोग किया था. इसके बाद हंगामा भी हुआ था. इसके बाद पुलिस ने इस मामले में कोई केस दर्जन नहीं किया था.

युवराज सिंह विवादित टिप्पणी मामला

इस मामले में औपचारिक मुकदमा दर्ज न करना हांसी पुलिस के लिए गले की फांस बन सकता है. हिसार स्थित अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत स्थापित विशेष न्यायालय के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वेदपाल सिरोही ने जांच के आदेश दिए हैं. शिकायतकर्ता रजत कलसन ने इसको लेकर याचिका दायर की थी.

तीन अफसर के खिलाफ जांच के आदेश

इस पर जांच अधिकारी डीएसपी विनोद शंकर, वर्तमान में बरवाला के पुलिस उपाधीक्षक रोहतास सिहाग और हांसी शहर थाना के तत्कालीन प्रभारी जसवीर सिंह के खिलाफ अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार अधिनियम की धारा 4 के तहत जांच के आदेश दिए हैं. नेशनल अलायंस और दलित ह्यूमन राइट्स के संयोजक रजत कलसन ने 11 जनवरी को अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि 2 जून 2020 को उन्होंने युवराज सिंह के खिलाफ हांसी पुलिस को एक शिकायत दर्ज कराई थी.

ये है वजह

शिकायत में मुकदमा दर्ज कर युवराज सिंह को गिरफ्तार करने की मांग की थी. उन्होंने कहा कि हाल में ही एससी/ एसटी एक्ट में हुए संशोधन व सुप्रीम कोर्ट द्वारा पृथ्वीराज चौहान बनाम महाराष्ट्र सरकार में आए प्रावधान के अनुसार पुलिस को अनुसूचित जाति अत्याचार के मामले में एक्ट की धारा 18 ए के तहत पहले मुकदमा दर्ज करना होता है उसके बाद जांच शुरू की जाती है, लेकिन हांसी पुलिस ने इस मामले में शिकायतकर्ता की शिकायत पर कोई भी मुकदमा दर्ज ना किया तथा बिना मुकदमा दर्ज किए ही प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है.

मामले में 2 मार्च को देनी होगी रिपोर्ट

इस मामले में जब मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो अधिवक्ता कलसन ने गृह मंत्री के सामने शिकायत लगाई थी और कड़ी कार्रवाई की मांग की थी जिस पर गृहमंत्री ने आईजी हिसार को आदेश जारी कर उक्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए थे लेकिन पुलिस विभाग ने गृह मंत्री के आदेशों को भी दरकिनार कर उक्त अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. अब इस मामले में 2 मार्च को हिसार के पुलिस अधीक्षक को रिपोर्ट पेश करनी होगी. याचिकाकर्ता ने बताया कि कि इन अधिकारियों के साथ क्रिकेटर युवराज सिंह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- युवराज सिंह के खिलाफ हिसार में दी गई शिकायत, दलित भावनाओं को आहत करने का आरोप

ये था पूरा मामला

गौरतलब है कि क्रिकेटर युवराज सिंह ने 1 जून को अपने साथी क्रिकेटरों योगेंद्र सिंह व रोहित शर्मा के साथ वीडियो कॉलिंग करते हुए दलित समाज के लिए अभद्र व अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल किया था जो कि वीडियो वायरल हो गया था तथा इस बार युवराज सिंह को माफी भी मांगनी पड़ी थी.

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