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पाकिस्तान से टिड्डियों की घुसपैठ, हरियाणा में अब तक फसलों को नहीं हुआ नुकसान - टिड्डी दल से बचने के उपाय

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर अनिल जाखड़ ने टिड्डी दल को लेकर कई अहम जानकारियां हमसे साझा की है. हरियाणा के किसानों को टिड्डियों से निपटने के लिए डॉक्टर अहम उपाय भी बताए हैं.

locusts swarm in haryana
पाकिस्तानी 'घुसपैठिए' हरियाणा में बेअसर
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Published : Feb 23, 2020, 12:59 PM IST

हिसारः खेतों में टिड्डी दल की घुसपैठ ने देश के किसानों की चिंता बढ़ा दी है. हालांकि गुजरात और राजस्थान को नुकसान पहुंचाने वाले टिड्डी दल का हरियाणा में अभी तक कोई असर देखने को नहीं मिला है. जिसके चलते किसानों ने राहत की सांस ली है. कृषि विशेषज्ञों ने भी टिड्डी दल से निपटने के लिए कुछ खास उपाय साझा किए हैं.

क्या और कितने प्रकार की होती है टिड्डियां?

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर अनिल जाखड़ ने टिड्डी दल को लेकर कई अहम जानकारियां हमसे साझा की हैं. उन्होंने बताया कि टिड्डी रेगिस्तानी क्षेत्र में उड़ने वाला एक कीट है.

पाकिस्तान से टिड्डियों की घुसपैठ

टिड्डीयों में 10 प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं. भारत में डेसर्ट लोकस्ट, माइग्रेटरी लोकस्ट, बॉमबे लोकस्ट और ट्री लोकस्ट चार प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं. उन्होंने कहा कि झुंड में रहने वाली टिड्डियां किसानों को नुकसान पहुंचाती हैं.

इन इलाकों में पाई जाती हैं टिड्डियां

टिड्डियां रेगिस्तानी इलाकों जैसे राजस्थान, गुजरात में प्रजनन करती हैं. डॉक्टर अनिल जाखड़ ने बताया कि पंजाब राज्य के फाजिल्का जिले का रूपनगर गांव पाकिस्तान सीमा पर है, जहां टिड्डी दल देखा गया था. उन टिड्डियों को नियंत्रित कर लिया गया है. जिससे हरियाणा के किसानों की चिंता कम हो गई है.

कैसे करते हैं फसलों को बर्बाद

डॉक्टर अनिल जाखड़ ने बताया कि अगर 10 हजार प्रति हेक्टेयर या 5 से 6 टिड्डी किसी झाड़ी या पेड़ पर बैठे दिखाई दें तो ये किसानों के लिए चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि टिड्डी दल दिन के समय उड़ता है और रात को आराम करने के लिए फसलों पर बैठता है. जहां वो फसलों को अपना शिकार बनाता है. ऐसे में किसानों को शाम के समय अपने खेतों में निगरानी रखनी चाहिए.

ये भी पढे़ंः नहीं टला पाकिस्तान से आया खतरा! टिड्डियों के अंडों से बना हुआ है डर

हरियाणा पर क्या है इसका प्रभाव

हरियाणा में इसका प्रभाव अभी तक नहीं देखा गया है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक सिरसा के चट्ठा गांव में पिछली 25 जनवरी को टिड्डी देखी गई थी लेकिन उनकी संख्या बेहद कम देखी गई. हालांकि इतनी संख्या होने पर किसानों को घबराने की आवश्यकता नहीं है, ऐसी स्थिति में किसी भी कीटनाशक के प्रयोग की आवश्यकता नहीं है.

टिड्डियों से ऐसे बचाएं अपनी फसलें

टिड्डी से फसलों को बचाने के लिए अगर एक हैक्टेयर में 10 हजार से ज्यादा संख्या में टिड्डी दल देखा जाता है तो किसानों को कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए. डॉक्टर अनिल जाखड़ ने बताया कि टिड्डी दल शाम के समय कीकर के पेड़ों पर अधिक बैठता है. इसलिए कीकर के पेड़ों पर शाम के समय कीटनाशक स्प्रे किया जा सकता है.

इन दवाइयों का कर सकते हैं इस्तेमाल

अपनी फसलों को टिड्डी दल से बचाने के लिए डॉ अनिल जाखड़ ने कुछ कीटनाशकों के नाम भी बताए हैं. उनमें क्लोरोपायरीफोस, 20 सीएबी, 50 सीएबी, लैम्डा सायलोथ्रीन, डेल्टामैथ्रीन, मेलाथियान आदि शामिल है. डॉक्टर के मुताबिक ये सभी कीटनाशक एफएओ की तरफ से सुझाए गए हैं.

हिसारः खेतों में टिड्डी दल की घुसपैठ ने देश के किसानों की चिंता बढ़ा दी है. हालांकि गुजरात और राजस्थान को नुकसान पहुंचाने वाले टिड्डी दल का हरियाणा में अभी तक कोई असर देखने को नहीं मिला है. जिसके चलते किसानों ने राहत की सांस ली है. कृषि विशेषज्ञों ने भी टिड्डी दल से निपटने के लिए कुछ खास उपाय साझा किए हैं.

क्या और कितने प्रकार की होती है टिड्डियां?

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर अनिल जाखड़ ने टिड्डी दल को लेकर कई अहम जानकारियां हमसे साझा की हैं. उन्होंने बताया कि टिड्डी रेगिस्तानी क्षेत्र में उड़ने वाला एक कीट है.

पाकिस्तान से टिड्डियों की घुसपैठ

टिड्डीयों में 10 प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं. भारत में डेसर्ट लोकस्ट, माइग्रेटरी लोकस्ट, बॉमबे लोकस्ट और ट्री लोकस्ट चार प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं. उन्होंने कहा कि झुंड में रहने वाली टिड्डियां किसानों को नुकसान पहुंचाती हैं.

इन इलाकों में पाई जाती हैं टिड्डियां

टिड्डियां रेगिस्तानी इलाकों जैसे राजस्थान, गुजरात में प्रजनन करती हैं. डॉक्टर अनिल जाखड़ ने बताया कि पंजाब राज्य के फाजिल्का जिले का रूपनगर गांव पाकिस्तान सीमा पर है, जहां टिड्डी दल देखा गया था. उन टिड्डियों को नियंत्रित कर लिया गया है. जिससे हरियाणा के किसानों की चिंता कम हो गई है.

कैसे करते हैं फसलों को बर्बाद

डॉक्टर अनिल जाखड़ ने बताया कि अगर 10 हजार प्रति हेक्टेयर या 5 से 6 टिड्डी किसी झाड़ी या पेड़ पर बैठे दिखाई दें तो ये किसानों के लिए चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि टिड्डी दल दिन के समय उड़ता है और रात को आराम करने के लिए फसलों पर बैठता है. जहां वो फसलों को अपना शिकार बनाता है. ऐसे में किसानों को शाम के समय अपने खेतों में निगरानी रखनी चाहिए.

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हरियाणा पर क्या है इसका प्रभाव

हरियाणा में इसका प्रभाव अभी तक नहीं देखा गया है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक सिरसा के चट्ठा गांव में पिछली 25 जनवरी को टिड्डी देखी गई थी लेकिन उनकी संख्या बेहद कम देखी गई. हालांकि इतनी संख्या होने पर किसानों को घबराने की आवश्यकता नहीं है, ऐसी स्थिति में किसी भी कीटनाशक के प्रयोग की आवश्यकता नहीं है.

टिड्डियों से ऐसे बचाएं अपनी फसलें

टिड्डी से फसलों को बचाने के लिए अगर एक हैक्टेयर में 10 हजार से ज्यादा संख्या में टिड्डी दल देखा जाता है तो किसानों को कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए. डॉक्टर अनिल जाखड़ ने बताया कि टिड्डी दल शाम के समय कीकर के पेड़ों पर अधिक बैठता है. इसलिए कीकर के पेड़ों पर शाम के समय कीटनाशक स्प्रे किया जा सकता है.

इन दवाइयों का कर सकते हैं इस्तेमाल

अपनी फसलों को टिड्डी दल से बचाने के लिए डॉ अनिल जाखड़ ने कुछ कीटनाशकों के नाम भी बताए हैं. उनमें क्लोरोपायरीफोस, 20 सीएबी, 50 सीएबी, लैम्डा सायलोथ्रीन, डेल्टामैथ्रीन, मेलाथियान आदि शामिल है. डॉक्टर के मुताबिक ये सभी कीटनाशक एफएओ की तरफ से सुझाए गए हैं.

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