हिसार: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का फायदा हरियाणा के किसान को मिलता हुआ नजर आ रहा है. ऐसा इस लिए, क्योंकि युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम दिन ब दिन बढ़ते जा रहे हैं. रूस और यूक्रेन सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के एक्सपोर्टर माने जाते हैं, लेकिन खराब हालात की वजह से तेल की सप्लाई बाधित है. ऐसे में सरसों के तेल की खपत बढ़ गई है. सरसों का तेल निकालने वाले मिलर एमएसपी से भी ज्यादा भाव में सरसों खरीद कर रहे हैं. जो किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है.
मंडियों में सरकारी खरीद का सरसों भाव सरकार ने 5050 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, लेकिन मंडियों में करीब 6400 रुपये प्रति क्विंटल तक सरसों प्राइवेट मिलर बोली लगाकर खरीद रहे हैं. पिछली बार सरसों का भाव ₹8000 तक होने के चलते इस बार सरसों की फसल ज्यादा बोई भी गई है और पैदावार भी अच्छी हुई है. वहीं, फसल के दाम भी उम्मीद से ज्यादा मिलने पर किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं.
फायदे का सौदा साबित हो रही सरसों की फसल- किसानों को लग रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिस तरह से भाव बढ़ रहे हैं आने वाले समय में सरसों का भाव और ज्यादा बढ़ेगा, क्योंकि पिछले साल ₹8000 तक भी पहुंचा था तो ऐसे में ज्यादातर किसान सरसों को अपने घर में स्टॉक कर रहे हैं, मंडियों में बेहद कम सरसों आ रही है. हिसार अनाज मंडी में सरसों बेचने आए किसानों ने बताया कि सरसों के भाव निरंतर बढ़ रहे हैं. सरकार ने सरसों के जो एमएसपी रेट तय किये थे, उससे अधिक भाव फसल के मिल रहे हैं. सरसों की फसल इस बार किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है. मंडी में पहुंचते ही किसान की सरसों अच्छे भाव में बिक जा रही है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सरसों के तेल की मांग बढ़ी- अनाज मंडी हिसार में व्यापारी वेद प्रकाश जैन ने बताया कि मार्केट में सरसों के भाव लगातार बढ़ रहे हैं और इसी वजह से किसान मंडी में सरसों की फसल लेकर नहीं आ रहे हैं. सरसों के भाव पर सबसे ज्यादा असर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का हुआ है क्योंकि यह देश खाने के तेल के बड़े एक्सपोर्टर है. सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल ज्यादातर यहीं से आते हैं. इस वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सरसों के तेल की मांग बढ़ी है.
मंडियों में कम पहुंच रहे सामान- इस समय सरसों का भाव 6500 प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है. किसान अपनी फसल को स्टॉक रहे हैं, जिससे मंडियों में सरसों बहुत कम आ रही हैं. जो थोड़ी बहुत सरसों मार्केट में आ रही है उसे मिलर हाथों हाथ खरीद ले रहे हैं. सामान्य की तुलना में रोजाना 10 फीसदी सरसों मंडी में नहीं आ रही है, जिसकी वजह से मंडियां खाली हैं.
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