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माउंट ल्होट्से से मौत को मात देकर बेस कैंप लौटी पर्वतारोही अनिता कुंडू, दो साथियों की गई जान

हरियाणा की पर्वतारोही अनिता कुंडू माउंट ल्होत्से के लिए चढ़ाई कर रही थीं जहां तूफान आने की वजह से रेस्क्यू टीम और परिजनों का उनसे संपर्क टूट गया, अब अनिता कुंडू ने खुद ट्वीट कर जानकारी दी है कि वो बेस कैंप लौट आई हैं.

mountaineer anita kundu returned base camp
माउंट ल्होट्से से मौत को मात देकर बेस कैंप लौटी पर्वतारोही अनीता कुंडू
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Published : May 14, 2021, 9:26 PM IST

Updated : May 14, 2021, 9:35 PM IST

हिसार: विश्व विख्यात पर्वतारोही अनिता कुंडू माउंट ल्होट्से में फंस गई थी. अचानक हुए खराब मौसम की वजह से वो और उनके साथी फंस गए, इस दौरान उनके दो साथियों की मौत भी गई, लेकिन अनीता कुंडू किसी तरह माउंट ल्होट्से के बेस कैंप चार पर पहुंच गई. वो मुश्किल से अपनी जान बचा पाई है. अभी भी उनकी हालात बहुत खराब है. बताया जा रहा है कि अनीता का परिवार उनकी पूरी टीम लगातार कंपनी से संपर्क बनाएं हुए है.

अनित कुंडू ने अपने शुभचिंतकों को ट्वीट कर अपने बारे में जानकारी दी. उन्होने ट्वीट किया कि, 'मैं बेस कैम्प लौट आई हूं. जीवनदान मिला है, मौसम की मार से बच गई. दो पर्वतारोही साथी आपदा की भेंट चढ़ गए, इस बात ने बहुत तोड़ के रख दिया है. शिखर सामने दिखाई दे रहा था और खुद को वापस मोड़ना. अभी शारीरिक,मानसिक हर तरीके से पीड़ा में हूं.'

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पर्वतारोही अनिता कुंडू ने ट्वीट कर दी जानकारी

दो पर्वतारोहियों की हुई मौत

उधर दो पर्वतारोहियों को जिंदगी से हाथ धोना पड़ा, जो एवरेस्ट फतह करके वापस लौट रहे थे. एक स्विटजरलैंड से Mr. Abdul Waraich और एक अमेरिका से Mr. Puwel Liu थे. रेस्क्यू टीम ने उन्हें बचाने के लिए एक्स्ट्रा ऑक्सीजन भी दी, हर तरह से उनकी मदद की पर उनको नहीं बचा पाए. अनीता के परिजनों ने बताया कि एवरेस्ट और माउंट ल्होत्से में 8000 मीटर तक समान रूप से कैंप लगते हैं. जब मौसम खराब हुआ अनीता 8200 मीटर पर थी. खराब मौसम ने उनकी मुसीबतों को बढ़ा दिया और उनको वापस थोड़ा नीचे आना पड़ा. परिजनों की वजह से अनीता अभी तक भी सुरक्षित जोन में नहीं है.

10 अप्रैल को नेपाल गई थीं अनिता

अनिता 10 अप्रैल को नेपाल गई थीं. कुछ दिन के बाद उन्होंने 21 अप्रैल को नेपाल की 6119 मीटर ऊंची चोटी माउंट लोबुचे को फतेह किया था. वहां से नीचे आने के बाद दूसरी तरफ एवरेस्ट/ल्होत्से के बेस कैंप में पहुंची थी. जिसकी ऊंचाई 5400 मीटर है. यहां से अनीता ने सफल रोटेशन किया और वे 7300 मीटर तक जाककर वापस बेस कैंप आई थी.

अनिता 9 अप्रैल को रात 12 बजे बेस कैंप से निकली थी. अगर मौसम साथ देता तो वो 13 अप्रैल को अपना राष्ट्रीय ध्वज शिखर में लहराती. अनीता 12 साल से पर्वतारोहण के साहसिक खेल को खेल रही हैं. उन्होंने हिंदुस्तान की अनेकों चोटियों को फतेह करते हुए दुनियां की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को तीन बार फतेह किया है. वे नेपाल और चीन दोनों ही रास्तों से माउंट एवरेस्ट को फतेह करने वाली हिंदुस्तान की प्रथम बेटी हैं. उन्होंने सभी महाद्वीपों के ऊंचे शिखरों को भी फतेह किया है.

ये भी पढ़ें- गांवों में बढ़ती मौतों पर देखें ग्राउंड रिपोर्ट, कोरोना को लेकर ना प्रशासन गंभीर ना ग्रामीण, नहीं कोई बचाव की व्यवस्था

अनिता कुंडू ने अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी विनसन मासिफ, अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो, यूरोप के सबसे ऊंचे शिखर एल्बर्स, दक्षिण अमेरिका की एकोनकागुआ, ऑस्ट्रेलिया की कार्सटेंस पिरामिड शिखर को भी फतेह किया है. उतरी अमेरिका की देनाली पर भी उन्होंने संघर्ष किया. माउंट एवरेस्ट के समान ही माउंट मनास्लू को भी अनीता ने फतेह किया है.

हिसार: विश्व विख्यात पर्वतारोही अनिता कुंडू माउंट ल्होट्से में फंस गई थी. अचानक हुए खराब मौसम की वजह से वो और उनके साथी फंस गए, इस दौरान उनके दो साथियों की मौत भी गई, लेकिन अनीता कुंडू किसी तरह माउंट ल्होट्से के बेस कैंप चार पर पहुंच गई. वो मुश्किल से अपनी जान बचा पाई है. अभी भी उनकी हालात बहुत खराब है. बताया जा रहा है कि अनीता का परिवार उनकी पूरी टीम लगातार कंपनी से संपर्क बनाएं हुए है.

अनित कुंडू ने अपने शुभचिंतकों को ट्वीट कर अपने बारे में जानकारी दी. उन्होने ट्वीट किया कि, 'मैं बेस कैम्प लौट आई हूं. जीवनदान मिला है, मौसम की मार से बच गई. दो पर्वतारोही साथी आपदा की भेंट चढ़ गए, इस बात ने बहुत तोड़ के रख दिया है. शिखर सामने दिखाई दे रहा था और खुद को वापस मोड़ना. अभी शारीरिक,मानसिक हर तरीके से पीड़ा में हूं.'

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पर्वतारोही अनिता कुंडू ने ट्वीट कर दी जानकारी

दो पर्वतारोहियों की हुई मौत

उधर दो पर्वतारोहियों को जिंदगी से हाथ धोना पड़ा, जो एवरेस्ट फतह करके वापस लौट रहे थे. एक स्विटजरलैंड से Mr. Abdul Waraich और एक अमेरिका से Mr. Puwel Liu थे. रेस्क्यू टीम ने उन्हें बचाने के लिए एक्स्ट्रा ऑक्सीजन भी दी, हर तरह से उनकी मदद की पर उनको नहीं बचा पाए. अनीता के परिजनों ने बताया कि एवरेस्ट और माउंट ल्होत्से में 8000 मीटर तक समान रूप से कैंप लगते हैं. जब मौसम खराब हुआ अनीता 8200 मीटर पर थी. खराब मौसम ने उनकी मुसीबतों को बढ़ा दिया और उनको वापस थोड़ा नीचे आना पड़ा. परिजनों की वजह से अनीता अभी तक भी सुरक्षित जोन में नहीं है.

10 अप्रैल को नेपाल गई थीं अनिता

अनिता 10 अप्रैल को नेपाल गई थीं. कुछ दिन के बाद उन्होंने 21 अप्रैल को नेपाल की 6119 मीटर ऊंची चोटी माउंट लोबुचे को फतेह किया था. वहां से नीचे आने के बाद दूसरी तरफ एवरेस्ट/ल्होत्से के बेस कैंप में पहुंची थी. जिसकी ऊंचाई 5400 मीटर है. यहां से अनीता ने सफल रोटेशन किया और वे 7300 मीटर तक जाककर वापस बेस कैंप आई थी.

अनिता 9 अप्रैल को रात 12 बजे बेस कैंप से निकली थी. अगर मौसम साथ देता तो वो 13 अप्रैल को अपना राष्ट्रीय ध्वज शिखर में लहराती. अनीता 12 साल से पर्वतारोहण के साहसिक खेल को खेल रही हैं. उन्होंने हिंदुस्तान की अनेकों चोटियों को फतेह करते हुए दुनियां की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को तीन बार फतेह किया है. वे नेपाल और चीन दोनों ही रास्तों से माउंट एवरेस्ट को फतेह करने वाली हिंदुस्तान की प्रथम बेटी हैं. उन्होंने सभी महाद्वीपों के ऊंचे शिखरों को भी फतेह किया है.

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अनिता कुंडू ने अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी विनसन मासिफ, अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो, यूरोप के सबसे ऊंचे शिखर एल्बर्स, दक्षिण अमेरिका की एकोनकागुआ, ऑस्ट्रेलिया की कार्सटेंस पिरामिड शिखर को भी फतेह किया है. उतरी अमेरिका की देनाली पर भी उन्होंने संघर्ष किया. माउंट एवरेस्ट के समान ही माउंट मनास्लू को भी अनीता ने फतेह किया है.

Last Updated : May 14, 2021, 9:35 PM IST
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