हिसार: मकर संक्रांति का त्योहार हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध त्योहार है. इस त्योहार को हरियाणा में खास अंदाज से मनाया (Makar Sankranti Celebration In Haryana) जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में तो मकर संक्रांति का रंग ही अलग होता है. हरियाणा में मकर संक्रांति का त्योहार 'सक्रांत' के नाम से लोकप्रिय है. पुराने समय से बुजुर्ग कहते आ रहे हैं कि यह पुण्य कमाने का दिन होता है और इस दिन जितना भी पुण्य किया जाता है उसका 10 गुना फल मिलता है. माना जाता है कि इस दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है.
कैसे मनाते हैं मकर संक्रांति: इस दिन लोग सुबह-सुबह उठकर घर के बाहर साफ सफाई करते है. उसके बाद घर के बाहर आग जलाई जाती है, ताकि आने जाने वाले लोग ठंड से बचने के लिए हाथ सेक सकें. परिवार की शादीशुदा महिलाएं इकट्ठी होकर गीत गाती हैं. घर के छोटे बुजुर्गों से आशीर्वाद लेते हैं. हरियाणा के रोहतक-झज्जर के क्षेत्र में तो बड़े ही रोमांचक तरीके से सास या घर की बुजुर्ग महिला इस दिन छत पर चढ़ जाती हैं. घर की बहू उन्हें मनाने के लिए उपहार देकर और नए कंबल देकर नीचे लाती हैं. कई गांव में परिवार की सभी महिलाएं इकट्ठे होकर गीत गाते हुए बुजुर्गों की बैठक तक जाती हैं और कम्बल, पगड़ी देकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेती हैं.
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शहर-शहर होती है पतंगबाजी: शहरों में मकर संक्रांति दिन पतंग उड़ाने की भी परंपरा है. बड़े शहरों में तो मकर सक्रांति के दिन पतंगबाजी के कंपटीशन (Makar Sankranti Kite competition in Haryana) भी होते हैं. इस दिन दान करने के लिए घर में तिल के लड्डू बनाए जाते हैं. मूंगफली, रेवड़ी, मक्के के बुने हुए दाने आस पड़ोस में और बुजुर्गों को बांटे जाते हैं. इसके साथ ही घर के बुजुर्गों को देसी घी का हलवा बना कर खिलाया जाता है.
बेटियों के ससुराल लेकर जाते हैं तिल लड्डू: कई दशकों से मकर संक्राति के अलग-अलग रंग देख चुकी महिला शशिलता ने बताया कि इस दिन को हम शुरू से ही दान-पूण्य के दिन के रूप में मानते आ रहे हैं, शुरुआत से ही घर के लोग अपनी बेटी के ससुराल जाकर उन्हें खाने की वस्तुएं जैसे तिल लड्डू, मूंगफली, रेवड़ी आदि देकर आते हैं. इस दिन घर के बड़ों को अपनी श्रद्धा के अनुसार भेंट देते है. पूरे साल में किसी मान्यता को लेकर कोई व्रत किया जाता है तो इस दिन उस व्रत के पूरे होने पर दान किया जाता है.
गांवों में बनते हैं मालपूडे: वहीं पृथ्वी सिंह पूनिया ने बताया कि जनवरी का महीना बेहद ठंडा होता है और मकर सक्रांति के दिन 14 जनवरी को ठंड को भगाने के लिए सुबह-सुबह घर के बाहर अलाव जलाई जाती है. पुराने समय से मानना है कि इस दिन सर्दी के जाने का समय शुरू हो जाता है. दान के तौर पर गुड रेवड़ी आदि बांटी जाती है. उनके गांव में तो इस दिन हलवा और मालपुडे आदि व्यंजन बनाकर बड़ी खुशी से त्यौहार को मनाया जाता है.
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हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण गति करने लगते हैं. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है. इस दिन खरमास की समाप्ति होती है और संक्रांति के बाद से ही पूजा-पाठ, शादी-विवाह जैसे मंगल कार्य शुरू होते हैं.
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