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यूक्रेन के खारकीव शहर में फंसे हजारों भारतीय छात्र, बोले- नहीं पहुंच रही मदद, मंडरा रही है मौत

रूस यूक्रेन युद्ध के चलते हजारों भारतीय छात्र यूक्रेन में फंसे (Indian students trapped in Ukraine) हुए हैं. लोग शहर को छोड़कर सुरक्षित जगहों पर पनाह ले रहे हैं. ईटीवी भारत के माध्यम से यूक्रेन के खारकीव शहर में फंसे भारतीय छात्रों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई.

Indian students trapped in Ukraine
Indian students trapped in Ukraine
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Published : Feb 28, 2022, 5:51 PM IST

हिसार: रूस यूक्रेन युद्ध के चलते हजारों भारतीय छात्र यूक्रेन में फंसे (Indian students trapped in Ukraine) हुए हैं. लोग शहर को छोड़कर सुरक्षित जगहों पर पनाह ले रहे हैं. युद्ध में यूक्रेन की राजधानी कीव अभी तक ज्यादा प्रभावित हुई है. शहर के ज्यादातर हिस्सों में रशियन मिलिट्री ने अपना कब्जा कर लिया है. इस बीच खारकीव में फंसे हजारों भारतीय बच्चों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

खारकीव में फंसे अमन, हर्ष, विनय, सिखा, सुकेश, गौरव, आइंस्टीन ने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत की. और वहां के हालात साझा किए. ये सभी एमबीबीएस के छात्र हैं. इनमें से अमन हरियाणा के रहने वाले हैं. ईटीवी भारत के माध्यम से यूक्रेन के खारकीव शहर में फंसे भारतीय छात्रों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई. बातचीत के दौरान हिसार के पाबड़ा गांव के रहने वाले अमन और उनके साथियों ने बताया कि जान बचाने के लिए वो बंकर में रह रहे हैं.

यूक्रेन के खारकीव शहर में फंसे हजारों भारतीय छात्र

बंकर में छिपकर बचा रहे जान: छात्रों ने कहा कि हम भारतीय एंबेसी से लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई फोन नहीं उठा रहा है. उन्होंने कहा कि हम हॉस्टल के नीचे बंकर में छिप कर अपनी जान बचा रहे है. सड़कों पर रशियन मिलिट्री घूम रही है. हमारे पास खाने-पीने के लिए भी बेहद कम राशन बचा है. सिर्फ 2 घंटे के लिए दिन में कर्फ्यू खुला है. उसमें राशन का इंतजाम करना मुश्किल है क्योंकि सामान लेने के लिए लंबी लाइनें लग जाती हैं. एटीएम मशीन में पैसे खत्म हो चुके हैं.

धीरे-धीरे खत्म हो रहा राशन: सुपर मार्केट और दुकानें भी खाली हो गई हैं. जिससे की उनकी परेशानी बढ़ती जा रही हैं. छात्रों ने कहा कि अगर आने वाले 3 से 4 दिन के अंदर हमारा रेस्क्यू नहीं किया गया तो हमारे पास खाने के लिए भी कुछ नहीं बचेगा. छात्रों ने कहा कि अभी तक सरकार उन छात्रों को लेकर गई है जो कीव से कई किलोमीटर दूर सुरक्षित हैं. हम तो यहां से निकल भी नहीं सकते क्योंकि बाहर कर्फ्यू लगा है. वहां फंसे छात्रों ने मैप शेयर कर अपनी लोकेशन बताई है.

Indian students trapped in Ukraine
खारकीव शहर में फंसे छात्रों ने ये मैप शेयर कर अपनी स्थिति बताई है.

सरकार से मदद की गुहार: जिसके तहत उन्होंने बताया है कि वो कहां फंसे हैं और क्यों हंगरी, पोलैंड या रोमानिया के बॉर्डर पर नहीं आ सकते. छात्रों ने बताया कि ये बॉर्डर उनसे करीब 12 सौ से 15 किलोमीटर दूर है, ये शहर रूस बॉर्डर की तरफ स्थित है, रूस बॉर्डर से मात्र 45 किलोमीटर दूर है. बच्चों ने बताया कि एक बार उनका एंबेसी से संपर्क हुआ था तो उन्हें कहा गया था कि आप बॉर्डर की तरफ अपने इंतजाम से पहुंचे, लेकिन बॉर्डर तक पहुंचना असंभव है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा की बहादुर बेटी ने यूक्रेन छोड़ने से किया इंकार, वजह जानकर आप भी करेंगे सलाम

बच्चों ने बताया कि रूस का बॉर्डर उन से सिर्फ 45 किलोमीटर दूर है. भारत सरकार रूस गवर्नमेंट के साथ संपर्क स्थापित कर हम हमें आसानी से रूस देश के जरिए निकाल सकती है. बच्चों ने बताया कि हर तरफ बमबारी हो रही है और हम खतरे से बचने के लिए बंकर में रह रहे हैं. यहां क्वार्टर पर बिल्डिंगों पर मिसाइलें गिर रही हैं. हमें डर है क्योंकि अब इन मिसाइलों से सिविलियन को भी टारगेट किया जा रहा है. उन लोगों की भी कैजुअल्टी हो रही, हमारी यूनिवर्सिटी और हॉस्टल के सब कर्मचारी अधिकारी यहां से भाग गए हैं और यहां हमारी मदद करने के लिए कोई नहीं है.

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हिसार: रूस यूक्रेन युद्ध के चलते हजारों भारतीय छात्र यूक्रेन में फंसे (Indian students trapped in Ukraine) हुए हैं. लोग शहर को छोड़कर सुरक्षित जगहों पर पनाह ले रहे हैं. युद्ध में यूक्रेन की राजधानी कीव अभी तक ज्यादा प्रभावित हुई है. शहर के ज्यादातर हिस्सों में रशियन मिलिट्री ने अपना कब्जा कर लिया है. इस बीच खारकीव में फंसे हजारों भारतीय बच्चों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

खारकीव में फंसे अमन, हर्ष, विनय, सिखा, सुकेश, गौरव, आइंस्टीन ने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत की. और वहां के हालात साझा किए. ये सभी एमबीबीएस के छात्र हैं. इनमें से अमन हरियाणा के रहने वाले हैं. ईटीवी भारत के माध्यम से यूक्रेन के खारकीव शहर में फंसे भारतीय छात्रों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई. बातचीत के दौरान हिसार के पाबड़ा गांव के रहने वाले अमन और उनके साथियों ने बताया कि जान बचाने के लिए वो बंकर में रह रहे हैं.

यूक्रेन के खारकीव शहर में फंसे हजारों भारतीय छात्र

बंकर में छिपकर बचा रहे जान: छात्रों ने कहा कि हम भारतीय एंबेसी से लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई फोन नहीं उठा रहा है. उन्होंने कहा कि हम हॉस्टल के नीचे बंकर में छिप कर अपनी जान बचा रहे है. सड़कों पर रशियन मिलिट्री घूम रही है. हमारे पास खाने-पीने के लिए भी बेहद कम राशन बचा है. सिर्फ 2 घंटे के लिए दिन में कर्फ्यू खुला है. उसमें राशन का इंतजाम करना मुश्किल है क्योंकि सामान लेने के लिए लंबी लाइनें लग जाती हैं. एटीएम मशीन में पैसे खत्म हो चुके हैं.

धीरे-धीरे खत्म हो रहा राशन: सुपर मार्केट और दुकानें भी खाली हो गई हैं. जिससे की उनकी परेशानी बढ़ती जा रही हैं. छात्रों ने कहा कि अगर आने वाले 3 से 4 दिन के अंदर हमारा रेस्क्यू नहीं किया गया तो हमारे पास खाने के लिए भी कुछ नहीं बचेगा. छात्रों ने कहा कि अभी तक सरकार उन छात्रों को लेकर गई है जो कीव से कई किलोमीटर दूर सुरक्षित हैं. हम तो यहां से निकल भी नहीं सकते क्योंकि बाहर कर्फ्यू लगा है. वहां फंसे छात्रों ने मैप शेयर कर अपनी लोकेशन बताई है.

Indian students trapped in Ukraine
खारकीव शहर में फंसे छात्रों ने ये मैप शेयर कर अपनी स्थिति बताई है.

सरकार से मदद की गुहार: जिसके तहत उन्होंने बताया है कि वो कहां फंसे हैं और क्यों हंगरी, पोलैंड या रोमानिया के बॉर्डर पर नहीं आ सकते. छात्रों ने बताया कि ये बॉर्डर उनसे करीब 12 सौ से 15 किलोमीटर दूर है, ये शहर रूस बॉर्डर की तरफ स्थित है, रूस बॉर्डर से मात्र 45 किलोमीटर दूर है. बच्चों ने बताया कि एक बार उनका एंबेसी से संपर्क हुआ था तो उन्हें कहा गया था कि आप बॉर्डर की तरफ अपने इंतजाम से पहुंचे, लेकिन बॉर्डर तक पहुंचना असंभव है.

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बच्चों ने बताया कि रूस का बॉर्डर उन से सिर्फ 45 किलोमीटर दूर है. भारत सरकार रूस गवर्नमेंट के साथ संपर्क स्थापित कर हम हमें आसानी से रूस देश के जरिए निकाल सकती है. बच्चों ने बताया कि हर तरफ बमबारी हो रही है और हम खतरे से बचने के लिए बंकर में रह रहे हैं. यहां क्वार्टर पर बिल्डिंगों पर मिसाइलें गिर रही हैं. हमें डर है क्योंकि अब इन मिसाइलों से सिविलियन को भी टारगेट किया जा रहा है. उन लोगों की भी कैजुअल्टी हो रही, हमारी यूनिवर्सिटी और हॉस्टल के सब कर्मचारी अधिकारी यहां से भाग गए हैं और यहां हमारी मदद करने के लिए कोई नहीं है.

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