हिसार: पारंपरिक खेती से अगर आप कमाई नहीं कर पा रहे तो तरीका बदलिए. पशुपालन में हाथ आजमाइए. बेहद कम लागत और अधिक मुनाफा होने के कारण सुअर पालन का प्रचलन आज के समय में बड़ी तेजी से बढ़ रहा है. बेरोजगार युवाओं के लिए यह रोजगार का एक बेहतर विकल्प बनता जा रहा है. इसी कड़ी में सरकार भी सुअर पालन का रोजगार शुरू करने के लिए बेहतर प्रोत्साहन के साथ आर्थिक मदद और सब्सिडी भी दे रही हैं.
एक समय था जब प्रदेश में सुअर पालन एक खास वर्ग द्वारा किया जाता था लेकिन बदलते वक्त के साथ साथ अब युवाओं की सोच बदल रही है. आत्मनिर्भर बनने की कड़ी में काफी युवा अब इस क्षेत्र में आगे आ रहे हैं. सुअर पालन शुरू करने के लिए सरकार द्वारा लोन देने की व्यवस्था भी की गई है. इसके अलावा सरकारी सुअर फॉर्म से बच्चे भी सब्सिडी रेट पर दिए जाते हैं. सुअर पालन के लिए खास तौर पर जानकार लार्ज व्हाइट यॉर्कशायर नस्ल के सुअर को पालने की सलाह देते (Large White Yorkshire Breed Haryana) हैं. मूल रूप से इंग्लैंड की यह नस्ल देसी सुअर के बाद भारत में सबसे ज्यादा पाली जाती. दिखने में यह सुअर सफेद रंग का होता है. एक वयस्क सुअर का वजन करीब चार सौ किलोग्राम होता है. क्रॉस ब्रीडिंग के लिए भी यह सबसे उत्तम नस्ल के सुअर हैं.
कम लागत अधिक मुनाफा- सुअर पालन में दूसरे पशुपालन की तरह बेहद ज्यादा पैसे भी खर्च नहीं करनी पड़ते. ना ही बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. सुअर की प्रजनन क्षमता काफी ज्यादा है. एक बार में सुअर औसतन दस से 12 बच्चों को जन्म देती है. जिसके बाद उनके पालन करने के लिए किसी भी विशेष तरह के खाने की आवश्यकता नहीं होती बल्कि पशुओं के लिए डाला जाने वाला चारा, मक्का, ज्वार, बाजरा , सब्जियों के छिलके, व बासी हो चुके फल-सब्जी इन्हें खिलाई जा सकती है.
सुअर पालन के लिए सब्सिडी व लोन- सुअर पालन के लिए सरकारी सुअर प्रजनन एवं प्रशिक्षण केंद्र हिसार और अंबाला में स्थित (Pig Breeding Training Center Haryana) है. यहां से युवाओं को फ्री ट्रेनिंग मिलती है. उन्हें अपना सुअर पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए लोन लेने में सहायता और सब्सिडी रेट पर बच्चे भी दिए जाते हैं. इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सरकारी बैंक और नाबार्ड द्वारा लोन दिया जाता है. इस लोन की ब्याज दर भी बेहद कम होती है. सुअर पालन के व्यवसाय पर सरकार सब्सिडी भी देती है.
कैसे करें ट्रेनिंग- सुअर पालन के व्यवसाय को लेकर डॉ. विजय नैन ने बताया कि ट्रेनिंग करने के लिए सबसे पहले हिसार में सिरसा रोड स्थित सुअर प्रजनन एवं प्रशिक्षण केंद्र में अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. उसके बाद जैसे ही निर्धारित संख्या का बैच तैयार होता है. आवेदक युवाओं को फोन कर केंद्र की तरफ से ट्रेनिंग के समय की जानकारी दी जाती है. ट्रेनिंग के बाद युवाओं को संस्थान की तरफ से एक सर्टिफिकेट भी दिया जाता है. इससे फार्म शुरू करते समय लोन लेने में भी आसानी होती है.
केंद्र की तरफ से सुअर पालन करने वाले युवाओं को सब्सिडी रेट पर 1300 रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से सुअर के बच्चे भी दिए जाते (subsidy on Pig farming) हैं. अगर 10 फीमेल और एक मेल सुअर का पालन करें तो लार्ज व्हाइट यॉर्कशायर नस्ल का सुअर चार महीने में बच्चे को जन्म देता है. यानी साल में तीन बार के हिसाब से एक सुअर ने तीस बच्चे और दस सुअर ने तीन सौ बच्चे दिए. एक बच्चा आठ से नौ महीने में वयस्क हो जाता है. एक सुअर करीब बीस हजार का बिकता है. साल में औसतन नब्बे से पंचानबे बच्चे बिकने के लिए तैयार होते है. जिससे करीब 5 से 7 लाख रुपये मुनाफा होता है.
सुअर पालन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें बीमारियां बहुत कम आती है. मृत्यु का खतरा सबसे कम है. फिर भी सुअरों को दस्त होने की शिकायत या फिर मुंह का रोग आता है. इन रोगों से सुअरों को बचाने के लिए हर साल टीकाकरण करवाएं तो कोई समस्या नहीं होती. सुअर की देखभाल करने के लिए ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं सिर्फ उन्हें बाहर निकाल कर घुमाना होता है और बाड़े की साफ-सफाई रखनी होती है.
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