हिसार: कहने को भारत विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन जब शादियों में दहेज या फिर भात लेने की बारी आती है तो वही विकासशील सोच रूढ़िवादी बन जाती है. आज भी शादियों पर में जमकर दहेज लिया और दिया जाता है. लेकिन हिसार के गांव खरक पूनिया के इंजीनियर जोगेंद्र पुनियां ने शादी-विवाह में पैसों की लेने की परंपरा को बदलते हुए नई सामाजिक मिसाल पैदा की है.
जोगेंद्र पूनिया ने अपने भात में पैसों की बजाय पांच सिलाई मशीनें ली हैं, जिसे उन्होंने राह संस्था के बुटिक सेंटरों को भेंट कर दी. अब इन मशीनों का उपयोग बेटियों को बुटिक ट्रेनिंग देने के लिए किया जाएगा. इसके अलावा जोगेंद्र ने अपनी शादी में 500 पौधे भी उपहार स्वरूप लिए.
ये भी पढ़िए: कोरोना से प्रभावित हुई जनसुविधाएं, 1 महीने में हो रहा 1 सप्ताह का काम
जोगेंद्र ने कहा कि भात जैसी सामाजिक रीति रिवाज का समाज में बहुत अधिक महत्व है. बचपन से ही वो चाहते थे कि उनके परिवार के माध्यम से समाज का विशेषकर बेटियों का भला हो. उनके अनुसार बेटियों को आगे बढ़ाने के प्रयासों में उनका ये कदम मील का पत्थर साबित होगा.
वहीं विधायक जोगीराम सिहाग ने कहा है कि वास्तव में जोगेंद्र पुनिया ने भात और दहेज के माध्यम से सिलाई मशीनें और पौधे लेकर समाज को नई दिशा देने का प्रयास किया है. उनके इसके कदम से युवाओं को सीख लेने की जरूरत है.