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हिसार: हरियाणा रोडवेज संघ ने किया पीटीआई अध्यापकों के धरने का समर्थन

हिसार रोडवेज यूनियन ने पीटीआई अध्यापकों के धरने का समर्थन किया है. संघ के नेता दलबीर किरमारा ने सरकार को चुनौती दी है कि अगर पीटीआई शिक्षकों को नौकरी पर वापस नहीं रखा गया, तो आंदोलन की रोह पकड़ेंगे.

haryana roadways joint employees union supports pti teachers to protest
हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ ने किया पीटीआई अध्यापकों के धरने का समर्थन
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Published : Jun 20, 2020, 9:15 PM IST

हिसार: हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ ने पीटीआई अध्यापकों के धरने का समर्थन किया है. संघ के राज्य प्रधान दलबीर किरमारा ने सरकार को आंदोलन की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि सरकार पर चुनाव के समय कर्मचारियों, किसानों, मजदूरों और महिलाओं के आगे गिड़गिड़ा कर वोट हासिल कर लेते हैं, और सत्ता में हासिल करने के बाद जनविरोधी फैसले लेते हैं.

राज्य प्रधान दलबीर किरमारा ने कहा कि पहले लैब अटैंडेंट, उसके बाद कम्प्यूटर टीचर, गेस्ट टीचर, लेक्चरर, रोडवेज और अब पीटीआई अध्यापकों को नौकरी से बाहर कर दिया गया. जिससे सरकार का जनविरोधी चेहरा उजागर हो गया है. उन्होंने कहा कि आज आम जनता और कर्मचारियों को समझन होगा और जातपात व धर्म की राजनीति से दूर रहकर जनहित, कर्मचारी हित, किसान व मजदूर हित में सभी को एक मंच पर आने की आवश्यकता है.

दलबीर किरमारा ने जोर देकर कहा कि 10 साल से नौकरी कर रहे पीटीआई अध्यापकों को तुरंत नौकरी पर वापस लिया जाए नहीं तो यह आंदोलन केवल पीटीआई अध्यापकों का आंदोलन ना होकर जन आंदोलन बन जाएगा.

सरकार पर लगाए भेदभाव के आरोप

धरना देने वाले पीटीआई अध्यापकों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार इस मामले में राजनीति कर रही है. उनका सवाल है कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट के बहुत से आदेश आ चुके हैं. क्या सरकार ने सबको माना है? गेस्ट टीचर के मामले में भी पोस्ट के आदेश आए थे. एसवाईएल पर फैसला भी कोर्ट दे चुकी है. क्या सरकार उसे मान रही है, तो फिर हमारे साथ भेदभाव क्यों?

क्या है पूरा मामला?

हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने अप्रैल 2010 में 1983 पीटीआई को प्रदेशभर में भर्ती किया था. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी.

याचिका लगाने वालों में से दो की मौत हो चुकी है जबकि एक कर्मचारी 30 अप्रैल को ही रिटायर हुआ है.याचिका में उन्होंने कहा था कि ऐसे उम्मीदवारों को भी नियुक्ति दी थी, जिनके शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई कर पीटीआई की भर्ती को रद्द कर दिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा.

ये भी पढ़ें- फिर आक्रामक हुए अशोक तंवर, बोले- कांग्रेस के DNA में सिर्फ धोखेबाजी है

हिसार: हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ ने पीटीआई अध्यापकों के धरने का समर्थन किया है. संघ के राज्य प्रधान दलबीर किरमारा ने सरकार को आंदोलन की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि सरकार पर चुनाव के समय कर्मचारियों, किसानों, मजदूरों और महिलाओं के आगे गिड़गिड़ा कर वोट हासिल कर लेते हैं, और सत्ता में हासिल करने के बाद जनविरोधी फैसले लेते हैं.

राज्य प्रधान दलबीर किरमारा ने कहा कि पहले लैब अटैंडेंट, उसके बाद कम्प्यूटर टीचर, गेस्ट टीचर, लेक्चरर, रोडवेज और अब पीटीआई अध्यापकों को नौकरी से बाहर कर दिया गया. जिससे सरकार का जनविरोधी चेहरा उजागर हो गया है. उन्होंने कहा कि आज आम जनता और कर्मचारियों को समझन होगा और जातपात व धर्म की राजनीति से दूर रहकर जनहित, कर्मचारी हित, किसान व मजदूर हित में सभी को एक मंच पर आने की आवश्यकता है.

दलबीर किरमारा ने जोर देकर कहा कि 10 साल से नौकरी कर रहे पीटीआई अध्यापकों को तुरंत नौकरी पर वापस लिया जाए नहीं तो यह आंदोलन केवल पीटीआई अध्यापकों का आंदोलन ना होकर जन आंदोलन बन जाएगा.

सरकार पर लगाए भेदभाव के आरोप

धरना देने वाले पीटीआई अध्यापकों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार इस मामले में राजनीति कर रही है. उनका सवाल है कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट के बहुत से आदेश आ चुके हैं. क्या सरकार ने सबको माना है? गेस्ट टीचर के मामले में भी पोस्ट के आदेश आए थे. एसवाईएल पर फैसला भी कोर्ट दे चुकी है. क्या सरकार उसे मान रही है, तो फिर हमारे साथ भेदभाव क्यों?

क्या है पूरा मामला?

हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने अप्रैल 2010 में 1983 पीटीआई को प्रदेशभर में भर्ती किया था. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी.

याचिका लगाने वालों में से दो की मौत हो चुकी है जबकि एक कर्मचारी 30 अप्रैल को ही रिटायर हुआ है.याचिका में उन्होंने कहा था कि ऐसे उम्मीदवारों को भी नियुक्ति दी थी, जिनके शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई कर पीटीआई की भर्ती को रद्द कर दिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा.

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