हिसार: पशुपालन और दूध उत्पादन में हरियाणा भारत के नंबर वन राज्यों में से एक है. आधुनिक तकनीक और उपकरण अपनाने के बाद इस श्रेत्र में नई क्रांति आई है. लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं विज्ञान विश्वविद्यालय हिसार में नई तकनीक स्थापित करने के लिए लैब तैयार की गई है. इस लैब में आईवीएफ तकनीक के जरिए सेरोगेसी के तहत अच्छी नस्ल के पशुओं (Good Breed Animals IVF technology) को तैयार किया जाएगा.
इसके लिए ब्राजील की एक कंपनी से टाइअप किया गया है. जिसके साथ मिलकर विश्वविद्यालय (Lala Lajpat Rai University of Veterinary and Science Hisar) के वैज्ञानिक अंडों को निषेचन करने की प्रक्रिया में जुटे हैं. वैज्ञानिकों को दावा है कि 1 साल में इस लैब के जरिए लगभग 15000 उच्च गुणवत्ता के पशुओं को जन्म दिलवाया जा सकेगा. शुरुआत में आसपास के गौशालाओं से 25-25 पशुओं के बैच लिए जाएंगे. फिर उनमें गर्भधारण करवाया जाएगा. गर्भधारण के 72 दिन पूरे होने के बाद उन्हें वापस उनकी गौशाला में भेज दिया जाएगा.
अभी तक इस लैब में 3000 से भी ज्यादा अंडों को निषेचित किया जा चुका है. जिन्हें नाइट्रोजन गैस में स्टोर किया गया है. अगले कुछ दिनों बाद इन अंडों में सीमन ट्रांसफर कर आईवीएफ तकनीक के जरिए पशुओं में स्थापित किया जाएगा. इसके करीब 7 से 8 महीने बाद बच्चे पैदा होंगे. इस तकनीक की विशेषता ये है कि इसके जरिए वैज्ञानिक सिर्फ ऐसी ही नस्लों के पशुओं को जन्म दिलवाएंगे जो उच्च गुणवत्ता के हैं.
यानी अधिक दूध देने वाली स्वस्थ मादा से अंडे निकालकर उन्हें हाई क्वालिटी वाले नर सीमन (high quality male semen) के साथ लैब में निषेचित करवाया जाएगा, इसके बाद उस निषेचित अंडे को किसी तीसरे मादा पशु (चाहे व किसी भी नस्ल या गुणवत्ता का हो) के गर्भाशय में स्थापित किया जाएगा. फिर गर्भावस्था सर्कल के बाद उस मादा से माता-पिता की जैसी गुणवत्ता वाला बच्चा पैदा होगा. विश्विद्यालय के पशु वैज्ञानिक डॉक्टर त्रिलोक नन्दा ने बताया कि इस तकनीक में सेक्स सॉर्टेड सीमन का उपयोग किया जाएगा.
यानी उस सीमन में से सिर्फ मादा पशु के ही जीन होंगे, इस सीमन से मादा के अंडों को निषेचन के बाद सिर्फ मादा बच्चे ही पैदा होंगे. यानी नर पशुओं की जरुरत बहुत कम हो जाएगी. जिससे सड़कों घूम रहे पर आवारा सांडों या झोटों की संख्या बहुत कम हो जाएगी. आमतौर पर एक जन्म में एक उच्च गुणवत्ता वाली स्वस्थ मादा पशु औसतन 10 बच्चे पैदा कर सकती है, लेकिन इसी तकनीक से उसके शरीर से अंडे लेकर कम से कम 200 बच्चों को सरोगेसी के जरिए जन्म दिया जा सकता है.
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इस तरह की तकनीक ब्राजील जैसे बड़े दूध उत्पादन वाले देशों में अपनाई जाती रही है. अब हरियाणा और आसपास के राज्यों के लिए ये तकनीक स्थापित करने के लिए ब्राजील की कंपनी से टाईअप किया गया है, जिसके साथ मिलकर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक इस पूरे प्रोजेक्ट को अंजाम देंगे. इसकी लैब स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 5 करोड़ रुपये की राशि भी जारी की गई है.