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हिसार में कृषि अध्यादेशों के खिलाफ किसानों ने किया प्रदर्शन

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Published : Aug 16, 2020, 7:48 PM IST

केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि अध्यादेशों के खिलाफ हिसार में किसानों ने प्रदर्शन किया. किसानों ने सरकार से मांग की कि वो इन अध्यादेशों को वापस ले.

farmers protest against agricultural ordinances in hisar
हिसार में कृषि अध्यादेशों के खिलाफ किसानों ने किया प्रदर्शन

हिसार: रविवार को हरियाणा के हजारों किसानों ने प्रदेश भर में सरकार द्वारा पारित कृषि अध्यादेशों के विरोध में प्रदर्शन किया. इस दौरान हिसार में किसानों ने अध्यादेश की प्रतियां जलाकर और काले झंडे दिखाकर केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ रोष प्रकट किया. प्रदर्शन के दौरान किसानों ने 'काले कानून वापस लो' के नारे लगाकर विरोध जताया.

किसान नेताओं ने कहा कि सरकार अपने काले कानून को वापस ले, नहीं तो आंदोलन को तेज किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बिजली बिल कानून को भी वापस लिया जाना चाहिए. किसान नेताओ ने बताया कि ये प्रदर्शन हरियाणा प्रदेश और पंजाब के सभी जिला मुख्यलयों पर में किया गया.

हिसार में कृषि अध्यादेशों के खिलाफ किसानों ने किया प्रदर्शन

भारतीय किसान संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष विकास सिसर ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा पारित किया गया कृषि अध्यादेश किसान विरोधी है. इस अध्यादेश को सरकार ने पूंजीपतियों के इशारे पर पारित किया है. जिससे किसान अपने ही खेतों में मजदूर बन जाए.

उन्होंने कहा कि किसानों की फसलें एमएसपी से कम रेट में बिकती हैं. जिसके चलते पिछले 20 सालों में किसानों को कई लाख करोड़ का घाटा हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार ये कानून बनाए कि जो व्यापारी किसानों से एमएसपी से कम रेट में फसल खरीदे. उसे पांच साल की सजा हो.

क्या है कृषि अध्यादेश 2020?

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े तीन अध्यादेश व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश और आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश पारित किए हैं.

व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश: इस अध्यादेश में किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी. किसानों की फसल को कोई भी कंपनी या व्यक्ति खरीद सकता है. वहीं इस अध्यादेश में किसानों को तीन दिन के अंदर पैसे मिलने की बात कही गई है. इस अध्यादेश की सबसे बड़ी बात तो ये है कि अगर किसान और व्यापारी में कोई विवाद होगा तो उसका निपटारा जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा तीस दिनों के भीतर किया जाएगा. इस विवाद को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जिससे किसानों को डर है कि कंपनियों के दबाव में आकर सरकार उनके साथ विश्वासघात ना कर दे. इस बात को लेकर किसान डरे हुए हैं.

मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश: इस अध्यादेश के तहत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही है. कॉन्ट्रैक्ट खेती में खेती बड़ी-बड़ी कंपनियां करेंगी. जिससे किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएंगे. जिसके विरोध में किसान सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश: देश में कालाबाजारी को रोकने के लिए साल 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एक निश्चित मात्रा से अधिक खाद्य वस्तुओं का भंडारण नहीं कर सकता था.अब केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए अध्यादेश में आलू, प्याज और तिलहन जैसे दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर लगाई गई रोक को हटा लिया गया है. इस अध्यादेश के माध्यम से लोग इन सामानों की जितनी चाहें स्टॉक जमा कर सकते हैं. किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण करने की क्षमता नहीं है. जिससे उनको अपने उत्पादों को कंपनियों को बेचना ही पड़ेगा और कंपनियां जब चाहें इन वस्तुओं का दाम बढ़ा कर लोगों से पैसे ऐंठ सकती हैं.

इन्हीं मुद्दों को लेकर किसान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. अब देखने वाली बात होगी कि सरकार किसानों की बात मानती है या फिर किसान इसी तरह सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करते रहेंगे.

ये भी पढ़ें: इन 5 गांवों ने दिए 'हरियाणा कोरोना रिलीफ फंड' में 50 करोड़, जानें इन गावों के हालात

हिसार: रविवार को हरियाणा के हजारों किसानों ने प्रदेश भर में सरकार द्वारा पारित कृषि अध्यादेशों के विरोध में प्रदर्शन किया. इस दौरान हिसार में किसानों ने अध्यादेश की प्रतियां जलाकर और काले झंडे दिखाकर केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ रोष प्रकट किया. प्रदर्शन के दौरान किसानों ने 'काले कानून वापस लो' के नारे लगाकर विरोध जताया.

किसान नेताओं ने कहा कि सरकार अपने काले कानून को वापस ले, नहीं तो आंदोलन को तेज किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बिजली बिल कानून को भी वापस लिया जाना चाहिए. किसान नेताओ ने बताया कि ये प्रदर्शन हरियाणा प्रदेश और पंजाब के सभी जिला मुख्यलयों पर में किया गया.

हिसार में कृषि अध्यादेशों के खिलाफ किसानों ने किया प्रदर्शन

भारतीय किसान संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष विकास सिसर ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा पारित किया गया कृषि अध्यादेश किसान विरोधी है. इस अध्यादेश को सरकार ने पूंजीपतियों के इशारे पर पारित किया है. जिससे किसान अपने ही खेतों में मजदूर बन जाए.

उन्होंने कहा कि किसानों की फसलें एमएसपी से कम रेट में बिकती हैं. जिसके चलते पिछले 20 सालों में किसानों को कई लाख करोड़ का घाटा हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार ये कानून बनाए कि जो व्यापारी किसानों से एमएसपी से कम रेट में फसल खरीदे. उसे पांच साल की सजा हो.

क्या है कृषि अध्यादेश 2020?

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े तीन अध्यादेश व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश और आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश पारित किए हैं.

व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश: इस अध्यादेश में किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी. किसानों की फसल को कोई भी कंपनी या व्यक्ति खरीद सकता है. वहीं इस अध्यादेश में किसानों को तीन दिन के अंदर पैसे मिलने की बात कही गई है. इस अध्यादेश की सबसे बड़ी बात तो ये है कि अगर किसान और व्यापारी में कोई विवाद होगा तो उसका निपटारा जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा तीस दिनों के भीतर किया जाएगा. इस विवाद को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जिससे किसानों को डर है कि कंपनियों के दबाव में आकर सरकार उनके साथ विश्वासघात ना कर दे. इस बात को लेकर किसान डरे हुए हैं.

मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश: इस अध्यादेश के तहत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही है. कॉन्ट्रैक्ट खेती में खेती बड़ी-बड़ी कंपनियां करेंगी. जिससे किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएंगे. जिसके विरोध में किसान सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश: देश में कालाबाजारी को रोकने के लिए साल 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एक निश्चित मात्रा से अधिक खाद्य वस्तुओं का भंडारण नहीं कर सकता था.अब केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए अध्यादेश में आलू, प्याज और तिलहन जैसे दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर लगाई गई रोक को हटा लिया गया है. इस अध्यादेश के माध्यम से लोग इन सामानों की जितनी चाहें स्टॉक जमा कर सकते हैं. किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण करने की क्षमता नहीं है. जिससे उनको अपने उत्पादों को कंपनियों को बेचना ही पड़ेगा और कंपनियां जब चाहें इन वस्तुओं का दाम बढ़ा कर लोगों से पैसे ऐंठ सकती हैं.

इन्हीं मुद्दों को लेकर किसान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. अब देखने वाली बात होगी कि सरकार किसानों की बात मानती है या फिर किसान इसी तरह सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करते रहेंगे.

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