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किसानों का एलान, 9 नवंबर को करनाल में मुख्यमंंत्री आवास के बाहर करेंगे प्रदर्शन - farmers protest cm residence

प्रदेश भर के किसानों ने 5 नवंबर को 4 घंटे के लिए रास्ते बंद करने का एलान किया गया है. वहीं 9 नवंबर को हरियाणा के सभी किसान संगठन करनाल में विरोध प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री को चुनौती देंगे और 26 और 27 नवंबर को दिल्ली चलो का आह्वान किया गया है.

farmers announced a protest outside the cm residence on 9 november
किसानों ने किया एलान, 9 नवंबर को मुख्यमंंत्री आवास के बाहर करेंगे प्रदर्शन
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Published : Nov 4, 2020, 10:38 AM IST

हिसार: प्रदेश के किसान और सरकार के बीच तनातनी का दौर अभी भी जारी है. किसानों ने मनोहर सरकार पर उनकी मांगों को अनसुना करने के आरोप लगाए हैं. जिसके बाद अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने आंदोलन की घोषणा की है. इस आंदोलन के तहत 1 से 9 नवंबर तक हर गांव में किसानों द्वारा प्रदर्शन किया जाएगा.

आगामी 5 नवंबर को 4 घंटे के लिए रास्ते बंद करने का एलान किया गया है. वहीं 9 नवंबर को हरियाणा के सभी किसान संगठन करनाल में विरोध प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री को चुनौती देंगे और 26 और 27 नवंबर को दिल्ली चलो का आह्वान किया गया है.

किसानों ने मनोहर सरकार पर लगाए तानाशाही करने के आरोप

किसान सभा के राज्य सचिव सुमित सिंह ने एक बैठक के दौरान कहा कि बीजेपी सरकार किसानों की मांगों को अनुसना कर तानाशाही रवैया अपना रही है. किसानों की दैनिक खरीद से संबंधित और अन्य समस्याओं को हल नहीं किया जा रहा है और आंदोलन को मजबूर किसानों पर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब किसान कृषि कानून रद्द न होने तक आंदोलन से पीछे हटने वाले नहीं है. उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश भर में सभी किसान संगठन अब एकजुट होकर लड़ाई लड़ रहे हैं.

सरकार पर किसानों को प्रताड़ित करने के आरोप

किसान सभा के राज्य प्रधान फूल सिंह श्योकंद ने कहा कि सरकार फसल की खरीद पर झूठ बोल रही है. आज तक किसानों की फसलों का भुगतान नहीं हुआ है. रोहतक और जींद जिले में कपास की बर्बाद हुई फसलों की स्पेशल गिरदावरी के आदेश जारी नहीं किए गए है. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं को हल करने की बजाए उनकों प्रताड़ित करने के कानून बना रही है.

पराली के लिए बनाए गए कानून स्वीकार करने से किया इंकार

किसान सभा हरियाणा ने पराली के नाम पर बनाए कानून को बेतुका बताया और कहा कि हम इस कानून को स्वीकार नहीं करेंगे. किसान सभा बिल्कुल भी पराली जलाने के हक में नही है, लेकिन सरकार इसके पुख्ता प्रबंध करने की बजाए किसानों का उत्पीड़न करना चाहती है. किसान सभा ने प्रदूषण फैलाने वाले अन्य कारणों और पटाखों पर रोक लगाने की मांग की है जो कि प्रदूषण का मुख्य कारण है.

दिल्ली का भी रूख करेंगे किसान

बता दें कि किसान सभा कृषि कानूनों के खिलाफ और किसानों पर दर्ज किए गए झूठे मुकदमें वापिस लेने की मांग को लेकर सभी जिलों में 1 से 9 नवंबर तक जत्थे निकालेगी और 5 नवंबर को प्रदेश भर में रास्ते बंद किए जाएंगे.

हरियाणा के भी 34 किसान संगठन एकजुट होकर 9 नवंबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को चुनौती देने के लिए करनाल में प्रदर्शन करेंगें और फुर आगामी 26 और 27 नवंबर को दिल्ली चलो के आह्वान पर प्रदेश भर से हजारों किसान दिल्ली पहुंचेंगे.

ये भी पढ़िए: बरोदा उपचुनाव में इस बार 68.94 प्रतिशत मतदान, 10 नवंबर को आएंगे नतीजे

हिसार: प्रदेश के किसान और सरकार के बीच तनातनी का दौर अभी भी जारी है. किसानों ने मनोहर सरकार पर उनकी मांगों को अनसुना करने के आरोप लगाए हैं. जिसके बाद अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने आंदोलन की घोषणा की है. इस आंदोलन के तहत 1 से 9 नवंबर तक हर गांव में किसानों द्वारा प्रदर्शन किया जाएगा.

आगामी 5 नवंबर को 4 घंटे के लिए रास्ते बंद करने का एलान किया गया है. वहीं 9 नवंबर को हरियाणा के सभी किसान संगठन करनाल में विरोध प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री को चुनौती देंगे और 26 और 27 नवंबर को दिल्ली चलो का आह्वान किया गया है.

किसानों ने मनोहर सरकार पर लगाए तानाशाही करने के आरोप

किसान सभा के राज्य सचिव सुमित सिंह ने एक बैठक के दौरान कहा कि बीजेपी सरकार किसानों की मांगों को अनुसना कर तानाशाही रवैया अपना रही है. किसानों की दैनिक खरीद से संबंधित और अन्य समस्याओं को हल नहीं किया जा रहा है और आंदोलन को मजबूर किसानों पर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब किसान कृषि कानून रद्द न होने तक आंदोलन से पीछे हटने वाले नहीं है. उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश भर में सभी किसान संगठन अब एकजुट होकर लड़ाई लड़ रहे हैं.

सरकार पर किसानों को प्रताड़ित करने के आरोप

किसान सभा के राज्य प्रधान फूल सिंह श्योकंद ने कहा कि सरकार फसल की खरीद पर झूठ बोल रही है. आज तक किसानों की फसलों का भुगतान नहीं हुआ है. रोहतक और जींद जिले में कपास की बर्बाद हुई फसलों की स्पेशल गिरदावरी के आदेश जारी नहीं किए गए है. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं को हल करने की बजाए उनकों प्रताड़ित करने के कानून बना रही है.

पराली के लिए बनाए गए कानून स्वीकार करने से किया इंकार

किसान सभा हरियाणा ने पराली के नाम पर बनाए कानून को बेतुका बताया और कहा कि हम इस कानून को स्वीकार नहीं करेंगे. किसान सभा बिल्कुल भी पराली जलाने के हक में नही है, लेकिन सरकार इसके पुख्ता प्रबंध करने की बजाए किसानों का उत्पीड़न करना चाहती है. किसान सभा ने प्रदूषण फैलाने वाले अन्य कारणों और पटाखों पर रोक लगाने की मांग की है जो कि प्रदूषण का मुख्य कारण है.

दिल्ली का भी रूख करेंगे किसान

बता दें कि किसान सभा कृषि कानूनों के खिलाफ और किसानों पर दर्ज किए गए झूठे मुकदमें वापिस लेने की मांग को लेकर सभी जिलों में 1 से 9 नवंबर तक जत्थे निकालेगी और 5 नवंबर को प्रदेश भर में रास्ते बंद किए जाएंगे.

हरियाणा के भी 34 किसान संगठन एकजुट होकर 9 नवंबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को चुनौती देने के लिए करनाल में प्रदर्शन करेंगें और फुर आगामी 26 और 27 नवंबर को दिल्ली चलो के आह्वान पर प्रदेश भर से हजारों किसान दिल्ली पहुंचेंगे.

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