हिसार: हर बार की तरह इस बार भी मार्केट कमेटी और आढ़तियों की लापरवाही हिसार की अनाज मंडी में देखने को मिली. मौसम विभाग द्वारा 16 अप्रैल को बारिश होने का अंदेशा जता दिया था. इसके बावजूद मंडी प्रशासन ने कोई इंतजाम नहीं किए, ना ही किसी आढ़ती ने अनाज के कट्टों पर तिरपाल ढका.
हजारों क्विंटल गेहूं भीगा
शुक्रवार शाम को बारिश आने से खुले में रखे गेहूं से भरे 80 हजार कट्टे व 20 हजार क्विंटल खुले में पड़ा गेहूं भी भीग गया. इससे पहले भी ईटीवी भारत ने इस खबर को प्रमुखता से उठाया था कि मंडी में शेड के नीचे कहीं भी जगह नहीं बची है और ऐसे में अगर बारिश आती है तो गेहूं की फसल बर्बाद हो जाएगी.
अब इसके लिए कौन जिम्मेदार है, किस अधिकारी की गलती है. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर पड़ताल की और संबंधित संस्थाओं के अधिकारियों व आढ़तियों से बातचीत की.
गेहूं भीगने के मामले को लेकर आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान छबीलदास केड़िया ने बताया कि उनके पास सुबह साढ़े 10 बजे मुख्यमंत्री मनोहर लाल का फोन आया. उन्होंने फोन पर मंडी में उठान के बारे में पूछा तो केड़िया ने बताया कि मंडी में उठान प्रक्रिया बहुत धीमी है जिसकी वजह से समस्याएं हैं और गेहूं बाहर सड़कों पर पड़ा है.
आढ़ती और अधिकारी एक दूसरे पर लगा रहे आरोप
मुख्यमंत्री ने जल्द समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया. गेहूं भीगने को लेकर छबीलदास ने कहा कि मार्केट कमेटी की तरफ से कोई तिरपाल का प्रबंध नहीं किया गया और ना ही शेड को खाली करवाया गया. लिहाजा गेहूं भीग रही है और आढ़तियों को नुकसान हो रहा है. पिछली साल भी इसी तरह हजार क्विंटल गेहूं खराब होने से नुकसान हुआ था. गेहूं भीगने का सारा दोष आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान ने अधिकारियों पर डाल दिया और पल्ला झाड़ लिया.
वहीं इस मामले को लेकर हैफेड खरीद एजेंसी के मैनेजर संजीव कुमार ने बताया कि जाहिर तौर पर उठान प्रक्रिया धीमी है. इसको लेकर मार्केट कमेटी को लिखा भी गया है, लेकिन आढ़तियों ने बारिश को लेकर कोई इंतजाम नहीं किया. जब तक माल खरीदने के बाद गोदाम तक नहीं पहुंच जाता तब तक आढ़तियों की जिम्मेदारी होती है.
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इसी का उन्हें ढाई पर्सेंट कमीशन मिलता है, लेकिन आप देख रहे हैं कि किसी भी आढ़ती ने कोई तिरपाल नहीं ढका. ना ही कट्टों को सही तरीके से कैरेट पर लगाकर रखा. अगर सही तरीके से कट्टों को ढक कर रखा जाता तो मंडी में जगह भी बन जाती और बारिश में गेहूं खराब भी नहीं होती.
मार्केट कमेटी के नियमों की बात की जाए तो नियमानुसार एक आढ़ती के पास 5 तिरपाल और 20 लकड़ी के कैरेट होना आवश्यक है और जब तक अनाज गोदामों तक नहीं पहुंच जाता तब तक रखरखाव की जिम्मेदारी आढ़ती की होती है. इसी बात का उसे ढाई पर्सेंट कमीशन दिया जाता है.
मंडी में गेहूं लेकर आने वाले किसान हुए परेशान
मंडी में फसल लेकर आए किसान भगवान दास ने बताया कि मंडी में कहीं भी जगह नहीं बची है. हम सुबह से परेशान हैं. 110 क्विंटल गेहूं लेकर मंडी आए थे, लेकिन यहां बारिश में सब भीग रहा है. शेड के नीचे तो छोड़ो मैदान तक में जगह नहीं बची है.
बहरहाल सरकार द्वारा जो तमाम दावे किए जा रहे थे कि गेहूं खरीद में किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं होगी, इन दावों पर शुक्रवार को हुई बारिश ने पानी फेर दिया. हजारों क्विंटल गेहूं मंडी में अधिकारियों की आंखों के सामने भीग गया, लेकिन हैफेड मैनेजर के अलावा कोई अधिकारी मंडी में देखने तक नहीं पहुंचा.
अधिकारी और आढ़ती पूरे मामले में एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ते नजर आए. अब गलती चाहे किसी की भी हो, लेकिन फसल और किसानों की मेहनत बर्बाद जरूर हुई है और इस नुकसान की भरपाई कौन करेगा ये सरकार को तय करना है.
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