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गुरुग्राम: IVF तकनीक से पैदा हुए दो बच्चे, डॉक्टरों ने बड़ी मुश्किल से बचाई जान - two baby born gurugram

गुरुग्राम में मेडिओर अस्पताल में डॉक्टरों ने करिश्मा कर दो नवजात शिशुओं की जान बचा ली. आईवीएफ तकनीक से हुए 2 बच्चों का जन्म समय से पहले ही हो गया. इस स्थिति में बच्चों को बचाना बड़ा मुश्किल था, लेकिन डॉक्टरों ने अपना अनुभव और हिम्मत दिखाते हुए बच्चों के बचा लिया.

गुरुग्राम आईवीएफ तकनीक
गुरुग्राम आईवीएफ तकनीक
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Published : Feb 21, 2020, 9:19 AM IST

Updated : Feb 21, 2020, 9:36 AM IST

गुरुग्राम: राजस्थान के भिवाड़ी इलाके में रहने वाली एक महिला ने आईवीएफ तकनीक से 2 बच्चों को जन्म दिया, लेकिन इस खुशी के दौरान सबसे बड़ी परेशानी ये थी कि दोनों ही बच्चों का वजन काफी कम था. उसका मुख्य कारण यही था कि बच्चों का जन्म समय से पहले हो गया था.

अमूमन तौर पर इस प्रक्रिया में बच्चे 36 सप्ताह में जन्म लेते हैं, लेकिन इस केस में महिला ने 27 सप्ताह में ही बच्चों को जन्म दे दिया. इसमें एक बच्चा लड़की और दूसरा लड़का हुआ था. दोनों को बचाना बड़ा मुश्किल था, लेकिन डॉक्टर की हिम्मत और योजनाबद्ध इलाज के चलते बच्चों को सकुशल बचा लिया गया.

IVF तकनीक से पैदा हुए दो बच्चे, डॉक्टरों ने बड़ी मुश्किल से बचाई जान

ये भी पढ़ें- जरूरी सूचना: अंबाला-दिल्ली रेल रूट पर होगा मेगा ब्लॉक, इन दिनों ये ट्रेनें रहेंगी रद्द

मानेसर स्थित मेडिओर अस्पताल में अपने अनुभव और प्रयोग के सहारे डॉक्टर विनीत कोवत्रा और उनकी टीम की सदस्य मीनू ने इस केस को गंभीरता से लेते हुए ये निर्णय लिया कि इस केस में बच्चों को वेंटिलेटर पर नहीं रखेंगे. बल्कि नॉन इनवेसिव वेंटीलेशन पद्धति के दौरान इलाज किया गया.

दोनों ही बच्चों का जन्म समय से पहले होने के कारण फेफड़े और शरीर के दूसरे अंग पूरी तरह से निर्मित नहीं हुए थे. वहीं वजन भी अमूमन तौर पर दूसरे शिशुओं से काफी कम था, जो एक डॉक्टर की टीम के लिए बड़ी चुनौती थी, लेकिन डॉ. विनीत ने एक पद्धति के मार्फत इस केस में दोनों ही बच्चों का इलाज किया और डेढ़ महीने के सफल इलाज के बाद दोनों ही बच्चे अपने अपने परिवार के साथ हैं.

गुरुग्राम: राजस्थान के भिवाड़ी इलाके में रहने वाली एक महिला ने आईवीएफ तकनीक से 2 बच्चों को जन्म दिया, लेकिन इस खुशी के दौरान सबसे बड़ी परेशानी ये थी कि दोनों ही बच्चों का वजन काफी कम था. उसका मुख्य कारण यही था कि बच्चों का जन्म समय से पहले हो गया था.

अमूमन तौर पर इस प्रक्रिया में बच्चे 36 सप्ताह में जन्म लेते हैं, लेकिन इस केस में महिला ने 27 सप्ताह में ही बच्चों को जन्म दे दिया. इसमें एक बच्चा लड़की और दूसरा लड़का हुआ था. दोनों को बचाना बड़ा मुश्किल था, लेकिन डॉक्टर की हिम्मत और योजनाबद्ध इलाज के चलते बच्चों को सकुशल बचा लिया गया.

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मानेसर स्थित मेडिओर अस्पताल में अपने अनुभव और प्रयोग के सहारे डॉक्टर विनीत कोवत्रा और उनकी टीम की सदस्य मीनू ने इस केस को गंभीरता से लेते हुए ये निर्णय लिया कि इस केस में बच्चों को वेंटिलेटर पर नहीं रखेंगे. बल्कि नॉन इनवेसिव वेंटीलेशन पद्धति के दौरान इलाज किया गया.

दोनों ही बच्चों का जन्म समय से पहले होने के कारण फेफड़े और शरीर के दूसरे अंग पूरी तरह से निर्मित नहीं हुए थे. वहीं वजन भी अमूमन तौर पर दूसरे शिशुओं से काफी कम था, जो एक डॉक्टर की टीम के लिए बड़ी चुनौती थी, लेकिन डॉ. विनीत ने एक पद्धति के मार्फत इस केस में दोनों ही बच्चों का इलाज किया और डेढ़ महीने के सफल इलाज के बाद दोनों ही बच्चे अपने अपने परिवार के साथ हैं.

Last Updated : Feb 21, 2020, 9:36 AM IST
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