गुरुग्राम: देश में जहां किसान खेती कर देश और प्रदेश का पेट पाला करते थे. वहां पर अब पानी की किल्लत के चलते खेती करना दूबर रो रहा है. ऐसे में घटता जल स्तर बरसात की कमी किसानों के लिए खेती में मुश्किल पैदा कर रही है. कई इलाके ऐसे हैं. जहां पर नहरी पानी नहीं है और किसान 2 साल से अपनी खेती बाड़ी कर नही पा रहे हैं
गुरुग्राम का नाम जब भी जेहन में आता है तब साइबर सिटी ऊंची ऊंची इमारतें जैसी बातें हमारे जहन में आती हैं, लेकिन इसी गुरुग्राम की जमीन में अन्नदाता खेती किया करते थे. तो वहीं अब गुरुग्राम में ज्यादातर कृषि योग्य भूमि या तो सरकार ने एक्वायर कर ली या फिर उन जमीनों को बिल्डर ने खरीद लिया. जिसके चलते यहां पर बहुत ही कम जमीन खेती बाड़ी की बची है.
जमीन खेती बाड़ी की बची है और उस जमीन में किसानों को खेती करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल पा रहा है. ट्यूबवेल के कनेक्शन पर पाबंदी लगी है तो कहीं पर टयूबवेल का जो जल स्तर है. वह 300 के पार या जलस्तर नीचे चला गया है. ऐसे में ट्यूबेल को सुचारू रूप से चालू रखने के लिए काफी लागत आती है और किसान इस बोझ के तले दबा जा रहा है ना तो पर्याप्त मात्रा में पानी मिल रहा है और ना ही मानसून से, जो बारिश होती है उसी पर किसान निर्भर रहता है.
इन परिस्थितियों में किसान को खेती करना अभिशाप बन गया है. हालांकि सरकार और प्रशासन किसानों को लेकर नई नई योजनाएं एक नई नई नीति जरूर बनाता है, लेकिन क्या वह धरातल पर पर्याप्त उतरती है या जो नीतियां सरकार और प्रशासन बनाता है. उसका फायदा किसान उठा पा रहे हैं या फिर नीतियां और योजनाएं मात्र दिखावा रह गई है.
किसानों की प्यासी धरती की प्यास कौन बुझायेगा? ना तो नहरी पानी मिल पा रहा है और ना ही ट्यूबवेल के कनेक्शन. ऐसे में सरकार की किसानों के प्रति जो नीति है कि किसान की आमदनी की जाएगी ऐसे में किसान कि आप सोच सकते हैं कि आमदनी कैसे होगी. जब पर्याप्त खेती करने के लिए पानी नहीं मिल पा रहा. आखिर किसान जाए तो कहां जाए क्योंकि गुरुग्राम जैसे डेवेलोप सिटी में जहां पर सबसे ज्यादा जमीनी पानी का दुरुपयोग किया जा रहा है. यहां तक कि ये भी आरोप लगाए जाते रहे हैं कि बिल्डर्स के प्रोजेक्ट भी जमीनी पानी से तैयार किया जा रहे हैं.
किसानों के लिए स्किम
किसानों के लिए गुरुग्राम में कोई स्कीम फिलहाल नहीं चलाई जा रही है. अधिकारियों का कहना है कि सरकार टाइम-टाइम पर किसानों को मॉडर्न टेक्निक की ट्रेनिंग जरूर देती है, लेकिन जब ईटीवी भारत ने किसानों से बात की तो किसानों का साफ तौर पर कहना था कि किसी भी तरह की कोई ट्रेनिंग नहीं मिली है.
सिर्फ बाजरे की होती है खेती
गुरुग्राम क्षेत्र में किसान बाजरा की खेती करते हैं तो वहीं किसानों की मानें तो पानी की किल्लत होने के कारण वह बाजरा की खेती करने पर मजबूर हैं क्योंकि सब्जी की खेती करने पर भी पानी का इस्तेमाल ज्यादा होता है.
डार्क जोन में कृषि योग्य क्षेत्र
कृषि विभाग के अधिकारी की माने तो गुरुग्राम जिले में 50 हजार हेक्टेयर जमीन कृषि योग्य बची है. जिसमें बाजरा धान की खेती की जाती है. वहीं ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अधिकारी ने भी माना कि पानी के लिए किसान अब सिर्फ बारिश पर निर्भर है.
हालांकि सरकार ने ट्यूबवेल पर नकेल कसने के लिए कमेटियां बनाई हुई है. जो कि लगातार काम करती है. सूचना मिलने पर उनको सील भी करती है. सरकार दावा जरूर करती है कि जलस्तर बढ़ाने के लिए हार्वेस्टिंग सिस्टम और पोंड को डिवेलप करने के लिए प्रयास किया जा रहा है. जिससे कि जलस्तर बढ़ा जा सके, लेकिन जमीनी स्तर पर तमाम दावे अभी तक फेल नजर आ रहे हैं.