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प्रिंस हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड तय करे कि भोलू को बालिग माना जाए या नाबालिग

गुरुग्राम के बहुचर्चित प्रिंस हत्याकांड (prince murder case) में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आरोपी के बालिग और नाबालिग होने वाली याचिका पर फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले के बरकरार रखा है. जानें पूरा मामला.

prince murder supreme court
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Published : Jul 13, 2022, 6:32 PM IST

गुरुग्राम: बहुचर्चित प्रिंस हत्याकांड (prince murder case) में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को बालिग या नाबालिग मानने की याचिका पर फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी छात्र पर नाबालिग के तौर पर मुकदमा चलेगा या बालिग के तौर पर इसका फैसला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी के बालिग या नाबालिग मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि अदालत के लिए ये तय करना मुश्किल है कि आरोपी पर नाबालिग की तरह मुकदमा चले या बालिग की तरह ट्रायल हो.

सुप्रीम कोर्ट (prince murder supreme court) ने कहा कि इसे तय करने के लिए विशेषज्ञों की जरूरत है. दरअसल जुवेनाइल कोर्ट ने इस मामले में आरोपी छात्र को बालिग माना था. जिसके बाद बचाव पक्ष के वकील ने हाई कोर्ट में आरोपी को नाबालिग की तरह ट्रीट करने की याचिका डाली. पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के आरोपी को बालिग ठहराए जाने के फैसले को पलटते हुए नए सिरे से बोर्ड को तय करने को कहा था कि आरोपी को बालिग मानकर मुकदमा चलाए या नाबालिग की तरह.

हाई कोर्ट इस इस फैसले के खिलाफ पीड़ित लड़के के पिता ने SC में अर्जी दायर की थी. उनका कहना था कि बोर्ड ने सोच समझकर आरोपी पर बालिग की तरह मुकदमा चलाने का फैसला दिया है. ऐसे में HC का पुर्नविचार का आदेश देना गलत है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रिंस के पिता की अर्जी पर फैसला सुनाते हुए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा. मतलब ये हुआ कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड नए सिरे से तय करेगा कि आरोपी के खिलाफ बालिग की तरह मुकदमा चलेगा या नाबालिग की तरह.

क्या था पूरा मामला? 8 सितंबर 2017 को गुरुग्राम में एक निजी स्कूल में 7 वर्षीय मासूम प्रिंस की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. इस मामले में स्थानीय पुलिस ने बस चालक को आरोपी बनाया था. मामले की जांच जब सीबीआई को दी गई तो पूरा मामला बदल गया. निजी स्कूल का एक 16 वर्षीय छात्र ही इस मामले में आरोपी निकला. इसके बाद से आरोपी छात्र नाबालिग होने के चलते ऑब्जरवेशन रूम में बंद है.

इस पूरे मामले पर प्रिंस की मां का कहना है कि वो 5 साल से न्याय की राह देख रही हैं. उन्हें मानसिक ही नहीं बल्कि शारीरिक और आर्थिक परेशानी भी झेलनी पड़ रही है, लेकिन अपने बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए वो हर मुश्किल सहने को तैयार हैं. प्रिंस की मां ज्योति ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जो फैसला दिया गया है. वो उससे संतुष्ट हैं. उन्होंने उम्मीद जताई की जल्द ही उनके बेटे को अब इंसाफ मिलेगा.

गुरुग्राम: बहुचर्चित प्रिंस हत्याकांड (prince murder case) में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को बालिग या नाबालिग मानने की याचिका पर फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी छात्र पर नाबालिग के तौर पर मुकदमा चलेगा या बालिग के तौर पर इसका फैसला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी के बालिग या नाबालिग मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि अदालत के लिए ये तय करना मुश्किल है कि आरोपी पर नाबालिग की तरह मुकदमा चले या बालिग की तरह ट्रायल हो.

सुप्रीम कोर्ट (prince murder supreme court) ने कहा कि इसे तय करने के लिए विशेषज्ञों की जरूरत है. दरअसल जुवेनाइल कोर्ट ने इस मामले में आरोपी छात्र को बालिग माना था. जिसके बाद बचाव पक्ष के वकील ने हाई कोर्ट में आरोपी को नाबालिग की तरह ट्रीट करने की याचिका डाली. पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के आरोपी को बालिग ठहराए जाने के फैसले को पलटते हुए नए सिरे से बोर्ड को तय करने को कहा था कि आरोपी को बालिग मानकर मुकदमा चलाए या नाबालिग की तरह.

हाई कोर्ट इस इस फैसले के खिलाफ पीड़ित लड़के के पिता ने SC में अर्जी दायर की थी. उनका कहना था कि बोर्ड ने सोच समझकर आरोपी पर बालिग की तरह मुकदमा चलाने का फैसला दिया है. ऐसे में HC का पुर्नविचार का आदेश देना गलत है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रिंस के पिता की अर्जी पर फैसला सुनाते हुए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा. मतलब ये हुआ कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड नए सिरे से तय करेगा कि आरोपी के खिलाफ बालिग की तरह मुकदमा चलेगा या नाबालिग की तरह.

क्या था पूरा मामला? 8 सितंबर 2017 को गुरुग्राम में एक निजी स्कूल में 7 वर्षीय मासूम प्रिंस की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. इस मामले में स्थानीय पुलिस ने बस चालक को आरोपी बनाया था. मामले की जांच जब सीबीआई को दी गई तो पूरा मामला बदल गया. निजी स्कूल का एक 16 वर्षीय छात्र ही इस मामले में आरोपी निकला. इसके बाद से आरोपी छात्र नाबालिग होने के चलते ऑब्जरवेशन रूम में बंद है.

इस पूरे मामले पर प्रिंस की मां का कहना है कि वो 5 साल से न्याय की राह देख रही हैं. उन्हें मानसिक ही नहीं बल्कि शारीरिक और आर्थिक परेशानी भी झेलनी पड़ रही है, लेकिन अपने बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए वो हर मुश्किल सहने को तैयार हैं. प्रिंस की मां ज्योति ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जो फैसला दिया गया है. वो उससे संतुष्ट हैं. उन्होंने उम्मीद जताई की जल्द ही उनके बेटे को अब इंसाफ मिलेगा.

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