गुरुग्राम: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुग्राम जिले के दौला गांव को 2017 में गोद लिया था. गांव को आदर्श बनाने के लिए वाई-फाई से लेकर डिजिटल स्कीम तक की सुविधा को शुरू कराया था तो वहीं रोजगार के लिए भी युवाओं से वादे किए गए थे और स्किल इंस्टीट्यूट खोलने का भी दावा किया था. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम सोहना विधानसभा और गुरुग्राम जिले के दौला गांव पहुंची और गांव के हालात का जायजा लिया.
खस्ता हालत में है गांव की सड़कें
दरअसल, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुग्राम जिले और नूंह में कई गांव को गोद लिया था और गांव की तस्वीर बदलने की बात भी कही थी, लेकिन जब हमारी टीम गांव दौला की ओर जा रही थी तो दौला जाने वाली सड़क काफी बदहाल थी.
जब हमने मुसाफिरों से जानना चाहा कि सड़क कब से खराब है तो पता चला कि बीते 1 से 2 साल से ये सड़क ऐसे ही खराब है और ना जाने कितने एक्सीडेंट सड़क के खराब होने के चलते यहां हो चुके हैं. वहीं ये सड़क सिर्फ दौला गांव को ही नहीं बल्कि कई गांव को जोड़ती है. उसके बावजूद इसकी मरम्मत आज तक नहीं हुई है.
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दौला गांव में स्वच्छता की भी उड़ी धज्जियां
दौला गांव में स्वच्छ भारत अभियान की धज्जियां उड़ती हुई दिखाई दी. ग्रामीणों की मानें तो साफ-सफाई से लेकर पीने के पानी तक का बुरा हाल है. दौला में ना तो पीने के लिए साफ पानी मिलता है ना ही गांव में पूरी तरह से सफाई होती है.
मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट है गांव की बड़ी समस्या
दौला गांव में सबसे बड़ी समस्या मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट की थी. जिसको लेकर भी प्रणब मुखर्जी ने दावा किया था कि इस समस्या का समाधान कर दिया जाएगा और समस्या का समाधान करते हुए पूरे गांव में फ्री वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध कराई गई. जिसके लिए एयरटेल का टावर भी गांव के बीचो-बीच लगाया गया, लेकिन ये वाई-फाई महज 2 से 3 महीने तक ही चला. जिसके बाद एयरटेल का टावर सिर्फ और सिर्फ दिखावा बन कर रह गया.
सखी केंद्र पर लगा ताला
गांव में महिलाओं के रोजगार के लिए नि:स्वार्थ सखी का उद्घाटन किया गया था. जिसमें महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन बनाना और सिलाई का काम सिखाया जा रहा था, लेकिन उद्घाटन के बाद वो भी महज 2 से 3 महीने तक चला उसके बाद सिर्फ कागजों में बंद होकर रह गया. जिसके बाद इस केंद्र के गेट पर ताले चढ़े हुए हैं.
दौला गांव रो रहा बदहाली के आंसू
ये भारत का दुर्भाग्य है कि साइबर सिटी गुरुग्राम शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर एक गांव में लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. यही नहीं 2020 में भी पूरी तरह से मोबाइल नेटवर्क ना होने के चलते छात्रों को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. तमाम नेता चुनाव के टाइम पर गांव में वोट मांगने के आते हैं और बड़े-बड़े बातें भी करते हैं, लेकिन वो वादे चुनाव के बाद में है सिर्फ वादे ही रह जाते हैं.