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जानें पासपोर्ट वेरिफिकेशन में कहां है 'लूप होल', क्यों आसानी से देश से भाग जाते हैं बैंक डिफॉल्टर? - गुरुग्राम पासपोर्ट वेरिफिकेशन

बैंक रिकॉर्ड से उसका कोई नाता नहीं होता है और आज के समय में अधिकतर बैंक लोगों बैंक से करोड़ों का लोन लेकर देश छोड़कर रफूचक्कर हो जाते हैं. पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट केवल सुझाव दे सकती है. पासपोर्ट जारी किए जाने संबंधी निर्णय लेने का अधिकार विदेश मंत्रालय के दफ्तर के पास ही सुरक्षित रहता है.

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जानें पासपोर्ट वेरिफिकेशन में कहां है 'लूप होल'
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Published : Mar 18, 2021, 1:25 PM IST

गुरुग्राम: आजकल विदेश यात्रा बेहद आसान और सस्ती हो गई है, हर साल हमारे देश से लाखों लोग बिजनेस, सैर-सपाटे और स्टडी के लिए विदेश यात्रा करते हैं. अगर आप भी विदेश यात्रा के बारे में सोच रहे हैं, और आप इससे पहले कभी विदेश नहीं गए तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है.

विदेश यात्रा के लिए किसी भी देश के नागरिक को अपने पूरे कागजात बनवाने होते हैं. मसलन भारत में विदेश यात्रा के लिए सबसे अहम कागजात पासपोर्ट है. विदेश जाने से पहले हर भारतीय को पासपोर्ट बनवाने के लिए पुलिस वेरिफिकेशन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.

पुलिस वेरिफिकेशन में क्या होता है ?

  • आवेदक के पते की जांच
  • पहचान पत्र की जांच
  • क्रिमिनल रिकॉर्ड की जांच
    जानें पासपोर्ट वेरिफिकेशन में कहां है 'लूप होल', देखिए वीडियो

आवेदन करने के बाद पुलिस व्यक्तिगत तौर पर आवेदक के बताए पते पर पहुंचती है. पुलिस ये पता करती है कि आवेदक बताए गए पते पर कबसे है, क्रिमिनल रिकॉर्ड क्या रहा है, पहचान पत्र है या नहीं. अगर आवेदक के खिलाफ कोई पुलिस या कोर्ट केस पेंडिंग हो तो पुलिस इसके बारे में पूरी जानकारी लेकर पासपोर्ट दफ्तर को पहुंचाती है.

कहां है लूप होल?

कानूनी जानकार बताते हैं कि पासपोर्ट एक्ट 1967 या पासपोर्ट रूल्स-1980 में कहीं ऐसा दर्ज नहीं है कि पुलिस आवेदक के सामाजिक या राजनीतिक बर्ताव को जांचे और इसे वैधानिक चेतावनी के तौर पर दर्ज करे. ट्रैफिक सिगनल या अन्य ट्रैफिक नियम तोड़े जाने के मामले भी पासपोर्ट जांच में रोड़ा नहीं होते. हालांकि यह बात ध्यान देने की है कि पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट केवल सुझाव दे सकती है. पासपोर्ट जारी किए जाने संबंधी निर्णय लेने का अधिकार विदेश मंत्रालय के दफ्तर के पास ही सुरक्षित रहता है.

ये भी पढ़ें- सिरसा: कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पुलिस ने चलाया जागरुकता अभियान

क्यों देश से बच निकलते हैं बैंक फ्रॉड करने वाले?

रिटायर्ड एसपी महाराज सिंह के मुताबिक पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए सिर्फ क्राइम रिकॉर्ड खंगाले जाते हैं. बैंक रिकॉर्ड से उसका कोई नाता नहीं होता है और आज के समय में अधिकतर बैंक लोगों बैंक से करोड़ों का लोन लेकर देश छोड़कर रफूचक्कर हो जाते हैं. जो एक सबसे बड़ी कमी पासपोर्ट वेरिफिकेशन में है. उनका सुझाव है कि पासपोर्ट एप्लीकेशन फॉर्म में एक कॉलम होना चाहिए जिसमें बैंक की डिटेल जैसे कितना लोन लिया गया है और उसका भुगतान किया गया या नहीं उसकी जानकारी आवेदक को डालनी हो.

वन नेशनल वन पासपोर्ट स्कीम

साल 2018 में ये स्कीम लॉन्च की गई थी. इस स्कीम के तहत कोई भी व्यक्ति अगर अपने होमटाउन में नहीं है और उसको पासपोर्ट बनवाना है तो वो अपने प्रेजेंट एड्रेस के रीजनल पासपोर्ट ऑफिस में अप्लाई कर सकता है. जिसके बाद पासपोर्ट ऑफिस उसकी प्रेजेंट और परमानेंट ऐड्रेस पर वेरिफिकेशन करा सकता है, लेकिन उसमें भी कई जगह खामियां देखने को मिल रही है.

ये भी पढ़ें- सिरसा रेलवे स्टेशन पर प्लेटफार्म टिकट हुई महंगी, तीन गुणा बढ़ाए गए दाम

CCTNS से पासपोर्ट वेरिफिकेशन हो सकता है आसान

क्राइम क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम अगर सुचारु रुप से चल जाए तो पासपोर्ट वेरीफिकेशन में जो अभी तक खामियां बरती जा रही है. इस सिस्टम से पूरे भारत में अगर कोई भी व्यक्ति का क्रिमिनल रिकॉर्ड है तो उसका डाटा इस सिस्टम में अपलोड किया जाएगा. इसका मतलब ये हुआ कि अगर कोई भी व्यक्ति अगर कहीं से भी पासपोर्ट अप्लाई करता है तो उसका डाटा इस सिस्टम के जरिए निकल आएगा की क्या वह व्यक्ति अपराधिक प्रवृत्ति का है या नहीं. ऐसे में वैरिफिकेशन भी आसान होगा और डिफॉल्टर्स देश से बच कर विदेश नहीं जा पाएंगे.
ये भी पढ़ें: करनाल नगर निगम में कर्मचारियों का टोटा, कैसे पूरा होगा स्मार्ट सिटी का सपना?

गुरुग्राम: आजकल विदेश यात्रा बेहद आसान और सस्ती हो गई है, हर साल हमारे देश से लाखों लोग बिजनेस, सैर-सपाटे और स्टडी के लिए विदेश यात्रा करते हैं. अगर आप भी विदेश यात्रा के बारे में सोच रहे हैं, और आप इससे पहले कभी विदेश नहीं गए तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है.

विदेश यात्रा के लिए किसी भी देश के नागरिक को अपने पूरे कागजात बनवाने होते हैं. मसलन भारत में विदेश यात्रा के लिए सबसे अहम कागजात पासपोर्ट है. विदेश जाने से पहले हर भारतीय को पासपोर्ट बनवाने के लिए पुलिस वेरिफिकेशन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.

पुलिस वेरिफिकेशन में क्या होता है ?

  • आवेदक के पते की जांच
  • पहचान पत्र की जांच
  • क्रिमिनल रिकॉर्ड की जांच
    जानें पासपोर्ट वेरिफिकेशन में कहां है 'लूप होल', देखिए वीडियो

आवेदन करने के बाद पुलिस व्यक्तिगत तौर पर आवेदक के बताए पते पर पहुंचती है. पुलिस ये पता करती है कि आवेदक बताए गए पते पर कबसे है, क्रिमिनल रिकॉर्ड क्या रहा है, पहचान पत्र है या नहीं. अगर आवेदक के खिलाफ कोई पुलिस या कोर्ट केस पेंडिंग हो तो पुलिस इसके बारे में पूरी जानकारी लेकर पासपोर्ट दफ्तर को पहुंचाती है.

कहां है लूप होल?

कानूनी जानकार बताते हैं कि पासपोर्ट एक्ट 1967 या पासपोर्ट रूल्स-1980 में कहीं ऐसा दर्ज नहीं है कि पुलिस आवेदक के सामाजिक या राजनीतिक बर्ताव को जांचे और इसे वैधानिक चेतावनी के तौर पर दर्ज करे. ट्रैफिक सिगनल या अन्य ट्रैफिक नियम तोड़े जाने के मामले भी पासपोर्ट जांच में रोड़ा नहीं होते. हालांकि यह बात ध्यान देने की है कि पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट केवल सुझाव दे सकती है. पासपोर्ट जारी किए जाने संबंधी निर्णय लेने का अधिकार विदेश मंत्रालय के दफ्तर के पास ही सुरक्षित रहता है.

ये भी पढ़ें- सिरसा: कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पुलिस ने चलाया जागरुकता अभियान

क्यों देश से बच निकलते हैं बैंक फ्रॉड करने वाले?

रिटायर्ड एसपी महाराज सिंह के मुताबिक पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए सिर्फ क्राइम रिकॉर्ड खंगाले जाते हैं. बैंक रिकॉर्ड से उसका कोई नाता नहीं होता है और आज के समय में अधिकतर बैंक लोगों बैंक से करोड़ों का लोन लेकर देश छोड़कर रफूचक्कर हो जाते हैं. जो एक सबसे बड़ी कमी पासपोर्ट वेरिफिकेशन में है. उनका सुझाव है कि पासपोर्ट एप्लीकेशन फॉर्म में एक कॉलम होना चाहिए जिसमें बैंक की डिटेल जैसे कितना लोन लिया गया है और उसका भुगतान किया गया या नहीं उसकी जानकारी आवेदक को डालनी हो.

वन नेशनल वन पासपोर्ट स्कीम

साल 2018 में ये स्कीम लॉन्च की गई थी. इस स्कीम के तहत कोई भी व्यक्ति अगर अपने होमटाउन में नहीं है और उसको पासपोर्ट बनवाना है तो वो अपने प्रेजेंट एड्रेस के रीजनल पासपोर्ट ऑफिस में अप्लाई कर सकता है. जिसके बाद पासपोर्ट ऑफिस उसकी प्रेजेंट और परमानेंट ऐड्रेस पर वेरिफिकेशन करा सकता है, लेकिन उसमें भी कई जगह खामियां देखने को मिल रही है.

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CCTNS से पासपोर्ट वेरिफिकेशन हो सकता है आसान

क्राइम क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम अगर सुचारु रुप से चल जाए तो पासपोर्ट वेरीफिकेशन में जो अभी तक खामियां बरती जा रही है. इस सिस्टम से पूरे भारत में अगर कोई भी व्यक्ति का क्रिमिनल रिकॉर्ड है तो उसका डाटा इस सिस्टम में अपलोड किया जाएगा. इसका मतलब ये हुआ कि अगर कोई भी व्यक्ति अगर कहीं से भी पासपोर्ट अप्लाई करता है तो उसका डाटा इस सिस्टम के जरिए निकल आएगा की क्या वह व्यक्ति अपराधिक प्रवृत्ति का है या नहीं. ऐसे में वैरिफिकेशन भी आसान होगा और डिफॉल्टर्स देश से बच कर विदेश नहीं जा पाएंगे.
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