गुरुग्राम: 'जब सइयां भये कोतवाल, फिर डर काहे का' ये कहावत चाइनीज कंपनी ईको ग्रीन पर फिट बैठती है. दरअसल एक आरटीआई से हुए खुलासे में ये साफ हुआ है कि हरियाणा सरकार, गुरुग्राम नगर निगम और फरीदाबाद नगर निगम की मेहरबानी की वजह से कैसे एक सीमित परिवार को फायदा पहुंचाया गया है.
तीन वर्षों में 136 करोड़ रुपये का घोटाला
गुरुग्राम के आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने जब इस पूरे मामले में आरटीआई लगाई तो खुलासा हुआ कि इस पूरे प्रकरण में एक सीमित परिवार को फायदा पहुंचाया गया है. अगर इस पूरे मामले को भ्रष्टाचार से जोड़कर देखा जाए तो पूरे 3 साल में 136 करोड़ रुपये का घोटाला इको ग्रीन कंपनी के नाम पर किया गया है.
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने बताया गुरुग्राम की सीनियर डिप्टी मेयर के भाई योगेंद्र की कंपनी इंडिया ग्रीन को ये पूरा टेंडर दिया गया. टेंडर दिए जाने के बाद गुरुग्राम में कूड़ा संबंधित समस्याओं का निवारण तो नहीं हुआ बल्कि और भी ज्यादा समस्याएं गुरुग्राम के लोगों के लिए खड़ी हो गई. चाहे वो गाड़ियों का समय पर ना पहुंचना हो या फिर उनकी कमी होना हो.
आरटीआई से हुआ घोटाले का खुलासा
हम आपको बता दें कि किसी भी गाड़ी को जो गुरुग्राम जिले से कूड़ा उठाकर बंधवाड़ी डंपिंग स्टेशन या फिर जिले के किसी अन्य स्थान पर पहुंचाने का काम करती हैं. उनमें उस वाहन को पूरी तरीके से कवर होना यानी ढ़का होना, उसका वजन और उसकी लोकेशन की जानकारी हर वक्त जिला प्रशासन को होनी चाहिए, जो कि इस पूरे टेंडर के दौरान दरकिनार कर दी गई थी.
हालांकि इस मामले की जानकारी आरटीआई के खुलासे से हो गई है. पर क्या हरियाणा सरकार इस आरटीआई के द्वारा किए गए खुलासे के बाद इस पूरे मामले पर गंभीरता से जांच करेगी. इस पूरे मामले में आरोपित संबंधित अधिकारियों के खिलाफ क्या कदम उठाया जाता है वो तो आने वाला समय ही बताएगा.
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