गुरुग्राम: गुरुग्राम लोक निर्माण विभाग की मनमानी एक बार फिर देखने को मिली है. जमीन अधिग्रहण के 56 साल बाद भी PWD ने पीड़ित किसान को मुआवजा नहीं दिया. इस पर अदालत ने सख्ती दिखाते हुए गुरुग्राम पीडब्ल्यूडी कार्यालय सील करवा दिया. यह दूसरी बार है, जब कोर्ट के आदेश पर इस कार्यालय को सील किया गया है. इससे पहले भी कोर्ट ने कार्यालय सील करने के आदेश दिए थे. इसके बाद कोर्ट ने अधिकारियों को कुछ समय देते हुए कार्यालय में लगाई गई सील को खोल दिया था.
जानकारी के अनुसार साल 1966 में की गई जमीन अधिग्रहण का करीब ढाई लाख रुपए मुआवजा बनाया गया था. 56 साल का कंपाउंड इंटरेस्ट बनाने के बाद आधा एकड़ जमीन का करीब साढ़े 8 करोड़ रुपए मुआवजा बनता है. इसे देने के लिए विभाग तैयार नहीं है, ऐसे में कोर्ट के आदेश पर पीडब्ल्यूडी कार्यालय को सील किया गया है. करीब दो महीने पहले भी अदालत के आदेश पर कार्यालय को सील कर दिया गया था. अदालत ने विभाग के अधिकारियों को समय देते हुए कार्यालय में लगाई गई सील को खोल दिया था, लेकिन निर्धारित समय बीत जाने के बाद भी पीड़ित किसान को मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया.
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भूमि अधिग्रहण किए बिना बना दी रोड: पीडब्ल्यूडी ने गुरुग्राम से फर्रूखनगर रोड के निर्माण के लिए जमीन को अधिग्रहित किए बिना ही सड़क का निर्माण करा दिया था. यह निर्माण अभी नहीं बल्कि साल 1966 में किया गया है. तब 10 फीट की पगडंडी को 90 फीट चौड़ी रोड में बदल दिया गया था. जब जमीन मालिक ने विभाग से अपनी जमीन का मुआवजा मांगा, तो विभाग के अधिकारियों ने उनकी अनदेखी कर दी.
अदालत ने पांच साल पहले भी विभाग के अधिकारियों को मुआवजा देने के लिए कहा था, लेकिन अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. अब अदालत ने पीड़ित को न्याय देने के लिए विभाग के कार्यालय को ही केस से अटैच करते हुए सील करा दिया है. सोमवार को पीडब्ल्यूडी कार्यालय की दूसरी मंजिल पर अदालत के आदेश के बाद दूसरी बार ताला लगा दिया गया.
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विभाग की मनमानी से किसान परेशान: याचिकाकर्ता ने जब अपनी जमीन का रिकॉर्ड निकलवाया, तो सामने आया कि असल में यह सड़क गलत तरीके से निकाली गई है. नक्शे में यह खेत ही दिखाया गया है. इस जमीन को अधिग्रहित नहीं किया गया बल्कि इस जमीन को विभाग ने अपने प्रयोग के लिए दिखाया है. जब यह सड़क बनाई गई थी, उस वक्त यह 10 फीट की थी, जिसे चौड़ा करके 90 फीट कर दिया गया. याचिकाकर्ता अमित शर्मा ने बताया कि न तो उन्हें जमीन का मुआवजा दिया गया और न ही उनकी जमीन के उपयोग करने के लिए कोई किराया दिया गया है.
बहरहाल इस मामले में अब पीडब्ल्यूडी के अधिकारी भी कानूनी सलाह ले रहे हैं. अधिकारियों की मानें तो इसमें यह सलाह ली जानी है कि इस मामले को उच्च अदालत में चुनौती देनी है अथवा पीड़ित को मुआवजे का भुगतान करना है. पीड़ित किसान वर्षों से न्याय की गुहार लगा रहा है. कोर्ट की सख्ती के बाद अब विभाग पीड़ित को कितना और कब मुआवजा देता है, यह देखना होगा.