गुरुग्रामः 24 फरवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के दौरे पर आ रहे हैं. वो इस दौरान एक खास कार्यक्रम 'नमस्ते ट्रंप' में भी हिस्सा लेंगे. लेकिन ये कोई पहला मौका नहीं है जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए भारत ने खास इंतजाम किया हो. इससे पहले 1978 में जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर भारत दौरे पर आये थे तो वो खास तौर पर हरियाणा के गांव दौलतपुर नसीरबाद गए थे. जिसे अब कार्टरपुरी के नाम से जाना जाता है.
1978 में जिमी कार्टर ने किया था इस गांव का दौरा
1978 में जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर भारत के दौरे पर आये तो उन्होंने उस समय के भारतीय प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से हरियाणा के गांव दौलतपुर नसीराबाद जाने की इच्छा जताई. लिहाजा मोरारजी देसाई अपने कई मंत्रियों के साथ जिमी कार्टर को दौलतपुर नसीराबाद गांव ले गए. उस वक्त जिमी कार्टर के साथ उनकी पत्नी भी मौजूद थीं.
इसी गांव में क्यों गए जिमी कार्टर ?
जिमी कार्टर ने घूमने के लिए हरियाणा का दौलतपुर नसीराबाद गांव ही क्यों चुना. इस बारे में बताते हुए अतर सिंह कहते हैं कि मुझे अच्छे से याद है जब जिमी कार्टर आने वाले थे तो हमारे गांव में साफ सफाई होने लगी थी. सुरक्षाबलों का आना-जाना बढ़ गया था. यहां तक कि गोबर के उपलों से बने बिटोरों को भी रंग दिया गया था. अतर सिंह बताते हैं कि जिमी कार्टर की माता लिलियन कार्टर आजादी से पहले इस गांव में आया करती थी. क्योंकि वो एक नर्स होने के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं. उनका भारत में आना-जाना काफी रहता था. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान लिलियन कार्टर इस गांव में जेलदार के घर पर रुकती थीं. इसीलिए जब जिमी कार्टर भारत दौरे पर आ रहे थे तब उनकी माता ने उनसे कहा था कि वो इस गांव में जरूर जाएं.
दौलतपुर नसीराबाद से बदलकर गांव का नाम हो गया कार्टरपुरी
जब जिमी कार्टर ने इस गांव का दौरा किया और उनका दौलतपुर नसीराबाद से इतना गहरा नाता निकला तो भारत सरकार ने इस गांव का नाम बदलकर कार्टरपुरी रख दिया. और तब से लेकर आज तक दौलतपुर नसीराबाद गांव को कार्टरपुरी गांव के नाम से जाना जाता है.
...जब एक घर में घुसकर बाजरे की रोटी देखने लगे कार्टर
जिमी कार्टर के दौरे को अपनी आंखो से देखने वाले करतार सिंह बताते हैं कि जिमी कार्टर का पंचायत भवन में स्वागत किया था. लेकिन उन्होंने गांव में घूमने की इच्छा जाहिर कर दी. जिसके बाद तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई उन्हें गांव में घुमाने लगे तो जिमी कार्टर अचानक एक घर में घुस गए जहां बाजरे की रोटी बनाई जा रही थी. जिसे देखकर वो काफी उत्सुक हुए और बाजरे की रोटी हाथ में लेकर उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल की.
जिमी कार्टर की पत्नी ने पहने थे हरियाणवी कपड़े
जिमी कार्टर के साथ उनकी पत्नी रोज़लिन कार्टर भी आई थीं. उन्होंने यहां आकर परंपरागत हरियाणवी कपड़े पहने और जब तक वो इस गांव में परहीं तब तक उन कपड़ों को ही पहने रहीं. उसके बाद रोज़लिन कार्टर वो कपड़े अपने साथ ले गईं. इसके अलावा गांव वाले बताते हैं कि जिमी कार्टर और उनकी पत्नी का यहां ऐसे स्वागत किया गया था जैसे नई बहू का किया जाता है.
कार्टरपुरी गांव को गोद लेना चाहते थे जिमी कार्टर
करतार सिंह कहते हैं कि उस वक्त जिमी कार्टर ने हमारे गांव को गोद लेने की इच्छा भी जाहिर की थी लेकिन तब के भारतीय प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने इससे इनकार करते हुए कहा था कि इस गांव का विकास हम खुद ही करवा देंगे. लेकिन आज भी कार्टरपुरी गांव विकास के लिए बाट जोह रहा है. गांव में अभी भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है.
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जब कार्टर को नोबेल पुरुस्कार मिला तो गांव में मनाया गया जश्न
जिमी कार्टर को जब नोबेल पुरस्कार मिला तो कार्टरपुरी गांव में जश्न मनाया गया. इसी तरह जब भी जिमी कार्टर कोई प्रसिद्धि का काम करते तब-तब इस गांव में जश्न मनाया जाता. उस समय मनाए गए जश्न की तस्वीरें दिखाते हुए करतार सिंह कहते हैं कि उस दौरे के बाद जिमी कार्टर इस गांव को भूले नहीं और न ही ये गांव उन्हें भूला. वो आगे बताते हैं कि जिमी कार्टर के अमेरिका वापस जाने के बाद भी उनका पत्राचार के माध्यम से व्हाइट हाउस से संपर्क बना रहा.
जिमी कार्टर ने गांव को गिफ्ट किया था टीवी और दूरबीन
करतार सिंह ने बताया कि जिमी कार्टर ने उस वक्त गांव की पंचायत को एक टीवी और दूरबीन गिफ्ट के तौर पर दिया था. जिसे संभालकर नहीं रखा गया और अब न जाने वो कहां है.