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हरियाणा में बने इस चमत्कारी कुंड में नहाने से दूर होता है चर्म रोग! दूर-दूर से आते हैं लोग - शिव कुंड स्नान चर्म रोग

शिव कुंड से निकलने वाले प्राकृतिक गर्म पानी चरम रोगियों, खांसी, दर्द इत्यादि बिमारियों के लिए रामबाण है. मरीज कई-कई महीनें ठहरकर सरोवर में स्नान करके लाभ प्राप्त करते हैं.

Sohna Shiva Kund
हरियाणा में बने इस चमत्कारी कुंड में नहाने से दूर होता है चर्म रोग, पूर्व उप प्रधानमंत्री करते थे यहां स्नान
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Published : Feb 13, 2021, 8:23 PM IST

गुरुग्राम: धर्म, भक्ति, अध्यात्म और साधना का देश है भारत, जहां प्राचीन काल से पूजा-स्थल के रूप में कई मंदिर ऐसे हैं जहां विस्मयकारी चमत्कार भी होते हैं. वहीं प्रकृति के विभिन्न चमत्कारों में से एक उदाहरण है सोहना का शिव कुंड.

विभिन्न चमत्कारों में से एक है सोहना का शिव कुंड

इस शिव कुंड पर निकलने वाले गर्म पानी में स्नान करने के लिए रोजाना हजारों लोग आते हैं. लोगों का कहना है कि शिव कुंड में डुबकी लगाने से हर प्रकार का चर्म रोग ठीक होता है और लोगों की हर ख्वाहिश पूरी होती है.

हरियाणा में बने इस चमत्कारी कुंड में नहाने से दूर होता है चर्म रोग, पूर्व उप प्रधानमंत्री करते थे यहां स्नान

आपको बता दें की पूरे भारत में सिर्फ सोहना की ही ये एक मात्र जगह है जहां इस चमत्कारी कुंड में नहाने से लोगों का चर्म रोग ठीक हो जाता है और उनकी मनोकामना भी पूरी होती है.

पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल भी यहां करते थे स्नान

सोहना शिव कुंड कमेटी मैनेजर सुभाष चंद ने हमें बताया कि यहां पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल भी इस सरोवर में स्नान करते थे और यही का पानी पीते थे. और तो और उनके लिए दिल्ली तक इसी शिव कुंड का पानी भिज वाया जाता था.

ये भी पढ़ें: हरियाणा के किसान भाइयों का कमाल, अपनी छत पर एरोपोनिक तकनीक से उगा दिया केसर

शिव कुंड पर निकलने वाले इस प्राकृतिक गर्म पानी को लेकर विभिन्न प्रकार की भ्रांतियां हैं. कहा जाता है कि विक्रमी संवत 1584 में चतुर्भुज नाम के बंजारे और उसके कुत्ते ने इस गर्म पानी की खोज की थी. महा मंडलेश्वर मनोहर दास शास्त्री ने बताया कि बजांरा और उसके कुत्ते प्यास लगी थी जिसकी और उन्होंने इस पानी की खोज की जिसके बाद यहां भवन निर्माण कराया गया.

ये भी पढ़ें: ट्रेन यातायात बहाल करने की मांग तेज, सरकार पर उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने का आरोप

बताया ये भी जाता है सन् 1900 में केशवानंद महाराज ने पवित्र सरोवर की गुंबद पर अष्टधातु निर्मित कलश का निर्माण कराया था. सन् 1938 में तीर्थस्थल (गर्म कुण्ड) के स्वामित्व को लेकर कस्बे की हिन्दू और मुस्लिम जनता के बीच विवाद हो गया था और ये मामला लाहौर हाईकोर्ट तक जा पहुंच गया था.

करीब 10 वर्षों तक चली अदालती जंग के पश्चात् माननीय हाईकोर्ट ने मुगल सम्राट मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर के दरबारी कवि अबुल फजल द्वारा रचित पुस्तक आईना–ए-अकबरी के तहत निर्णय हिन्दुओं के पक्ष में दिया था.

ये भी पढ़ें: चौड़ी सड़कों पर रफ्तार भरती गाड़ियां, फुटओवर ब्रिज नहीं, कैसे सड़क पार करे आम आदमी ?

सोहना के इस शिव कुंड में इतनी अद्भुत शक्तियां होने के बावजूद सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं की जाती. मंदिर प्रशासन का कहना है यहां हजारों लोग स्नान करने आते है और उसी चंदे की राशी से सारी व्यवस्था चलती है.

शिव कुंड में डुबकी लगाने आते हैं हजारों श्रद्धालु

कहा जाता है कि शिव कुंड से निकलने वाले प्राकृतिक गर्म पानी चरम रोगियों, खांसी, दर्द इत्यादि बिमारियों के लिए रामबाण है. मरीज कई-कई महीनें ठहरकर सरोवर में स्नान करके लाभ प्राप्त करते हैं. इसके अलावा शादी ब्याह, जन्म, मृत्यू के कार्यक्रमों में स्थानीय निवासी सरोवर के जल का इस्तेमाल करके अपने आपको भाग्यशाली समझते हैं.

गुरुग्राम: धर्म, भक्ति, अध्यात्म और साधना का देश है भारत, जहां प्राचीन काल से पूजा-स्थल के रूप में कई मंदिर ऐसे हैं जहां विस्मयकारी चमत्कार भी होते हैं. वहीं प्रकृति के विभिन्न चमत्कारों में से एक उदाहरण है सोहना का शिव कुंड.

विभिन्न चमत्कारों में से एक है सोहना का शिव कुंड

इस शिव कुंड पर निकलने वाले गर्म पानी में स्नान करने के लिए रोजाना हजारों लोग आते हैं. लोगों का कहना है कि शिव कुंड में डुबकी लगाने से हर प्रकार का चर्म रोग ठीक होता है और लोगों की हर ख्वाहिश पूरी होती है.

हरियाणा में बने इस चमत्कारी कुंड में नहाने से दूर होता है चर्म रोग, पूर्व उप प्रधानमंत्री करते थे यहां स्नान

आपको बता दें की पूरे भारत में सिर्फ सोहना की ही ये एक मात्र जगह है जहां इस चमत्कारी कुंड में नहाने से लोगों का चर्म रोग ठीक हो जाता है और उनकी मनोकामना भी पूरी होती है.

पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल भी यहां करते थे स्नान

सोहना शिव कुंड कमेटी मैनेजर सुभाष चंद ने हमें बताया कि यहां पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल भी इस सरोवर में स्नान करते थे और यही का पानी पीते थे. और तो और उनके लिए दिल्ली तक इसी शिव कुंड का पानी भिज वाया जाता था.

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शिव कुंड पर निकलने वाले इस प्राकृतिक गर्म पानी को लेकर विभिन्न प्रकार की भ्रांतियां हैं. कहा जाता है कि विक्रमी संवत 1584 में चतुर्भुज नाम के बंजारे और उसके कुत्ते ने इस गर्म पानी की खोज की थी. महा मंडलेश्वर मनोहर दास शास्त्री ने बताया कि बजांरा और उसके कुत्ते प्यास लगी थी जिसकी और उन्होंने इस पानी की खोज की जिसके बाद यहां भवन निर्माण कराया गया.

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बताया ये भी जाता है सन् 1900 में केशवानंद महाराज ने पवित्र सरोवर की गुंबद पर अष्टधातु निर्मित कलश का निर्माण कराया था. सन् 1938 में तीर्थस्थल (गर्म कुण्ड) के स्वामित्व को लेकर कस्बे की हिन्दू और मुस्लिम जनता के बीच विवाद हो गया था और ये मामला लाहौर हाईकोर्ट तक जा पहुंच गया था.

करीब 10 वर्षों तक चली अदालती जंग के पश्चात् माननीय हाईकोर्ट ने मुगल सम्राट मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर के दरबारी कवि अबुल फजल द्वारा रचित पुस्तक आईना–ए-अकबरी के तहत निर्णय हिन्दुओं के पक्ष में दिया था.

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सोहना के इस शिव कुंड में इतनी अद्भुत शक्तियां होने के बावजूद सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं की जाती. मंदिर प्रशासन का कहना है यहां हजारों लोग स्नान करने आते है और उसी चंदे की राशी से सारी व्यवस्था चलती है.

शिव कुंड में डुबकी लगाने आते हैं हजारों श्रद्धालु

कहा जाता है कि शिव कुंड से निकलने वाले प्राकृतिक गर्म पानी चरम रोगियों, खांसी, दर्द इत्यादि बिमारियों के लिए रामबाण है. मरीज कई-कई महीनें ठहरकर सरोवर में स्नान करके लाभ प्राप्त करते हैं. इसके अलावा शादी ब्याह, जन्म, मृत्यू के कार्यक्रमों में स्थानीय निवासी सरोवर के जल का इस्तेमाल करके अपने आपको भाग्यशाली समझते हैं.

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