गुरुग्राम: बहुचर्चित प्रिंस हत्याकांड (prince murder case) में आरोपी भोलू पर बालिग (accused bholu tried as an adult) मानकर हत्या का मामला चलेगा. सोमवार को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) ने ये फैसला सुनाया. फैसले के दौरान बोर्ड में आरोपी भोलू, उसके परिजन, पीड़ित पक्ष के पिता और सीबीआई के अधिकारी मौजूद रहे. बोर्ड ने अपने फैसले में 31 अक्तूबर को ट्रायल के लिए आरोपी भोलू को सेशन कोर्ट में पेश करने के भी निर्देश दिए.
प्रिंस के वकील सुशील टेकरीवाल ने इसे ऐतिहासिक फैसला बताया. उन्होंने कहा कि ये फैसला इस तरह के आपराधिक मामलों को अंजाम देने वालों के लिए नजीर बनेगा. बोर्ड (gurugram Juvenile Justice Board) ने सूक्ष्म पहलुओं, मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट, चार्जशीट के आधार पर, सभी पक्षों की बहस को सुनकर, आरोपी की मनोवैज्ञानिक्ता और परिपाक मानसिकता को ध्यान में रखकर आंकलन और मूल्यांकन कर ये फैसला सुनाया है.
दरअसल साल 2017 दिसंबर में भी जेजे बोर्ड ने आरोपी भोलू पर बालिग मानकर हत्या का मुकदमा चलाने का फैसला सुनाया था. जिसके बाद बचाव पक्ष के वकील ने हाई कोर्ट में आरोपी को नाबालिग की तरह ट्रीट करने की याचिका डाली. पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के आरोपी को बालिग ठहराए जाने के फैसले को पलटते हुए नए सिरे से बोर्ड को तय करने को कहा था कि आरोपी को बालिग मानकर मुकदमा चलाए या नाबालिग की तरह.
हाई कोर्ट इस इस फैसले के खिलाफ पीड़ित लड़के के पिता ने SC में अर्जी दायर की थी. उनका कहना था कि बोर्ड ने सोच समझकर आरोपी पर बालिग की तरह मुकदमा चलाने का फैसला दिया है. ऐसे में HC का पुर्नविचार का आदेश देना गलत है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रिंस के पिता की अर्जी पर फैसला सुनाते हुए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा. मतलब ये हुआ कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड नए सिरे से तय करेगा कि आरोपी के खिलाफ बालिग की तरह मुकदमा चलेगा या नाबालिग की तरह.
क्या है मामला? गौरतलब है कि 8 सितंबर 2017 को दिल्ली से सटे हरियाणा के गुरुग्राम में एक निजी स्कूल में 7 वर्षीय मासूम प्रिंस की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. इस मामले में स्थानीय पुलिस ने एक बस चालक को आरोपी बनाकर पेश किया था, लेकिन जांच जब सीबीआई को दी गई तो पूरा मामला बदल गया. निजी स्कूल का एक 16 वर्षीय छात्र ही इस मामले में आरोपी निकला.