फतेहाबाद: पूरे देश में रावण दहन कर बुराई पर अच्छाई के जीत के के पर्व दशहरा बड़ी धूमधाम से बनाया गया. कहीं सबसे ऊंचे रावण को जलाया गया तो कहीं ऐसे रावण को जलाया गया जो प्रदूषण रहित था. वहीं इस बीच टोहाना में रावण दहन का विरोध किया गया.
टोहाना में दशहरे का विरोध
रावण दहन का विरोध करने वाले शख्स ने खुद का नाम अमित शर्मा बताया. जो मानवाधिकार संस्थान का कार्यकर्ता है. अमित शर्मा ने बाजुओं पर काली पट्टी बांधकर और रावण के पुतले के पास खड़े होकर लोगों से रावण को नहीं जलाने की अपील की. अमित शर्मा ने कहा कि ये एक कुप्रथा है जो सालों से चली आ रही है. जिसका अंत होना चाहिए.
क्यों किया दशहरे का विरोध ?
अमित शर्मा ने कहा कि रावण एक महान इंसान था. हम रेपिस्ट और हत्यारों को तो छोड़ देते हैं, लेकिन हर साल रावण जैसे महान इंसान का पुतला जला देते हैं. अगर वाकई में बुराई पर अच्छाई की जीत करनी है तो हमें इसके लिए रेपिस्ट और हत्यारों को सजा दिलानी होगी. ऐसा करके ही हम असल विजयदशमी मना सकेंगे.
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क्यों मनाया जाता है दशहरा ?
पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब भगवान राम 14 वर्षों के वनवास में थे तो लंकापति रावण ने उनकी पत्नी सीता का अपहरण कर उन्हें लंका की अशोक वाटिका में बंदी बना कर रखा लिया था. श्रीराम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण, भक्त हनुमान और वानर सेना के साथ रावण की सेना से लंका में ही पूरे नौ दिनों तक युद्ध लड़ा. मान्यता है कि उस समय प्रभु राम ने देवी माँ की उपासना की थी और उनके आशीर्वाद से आश्विन मास की दशमी तिथि पर अहंकारी रावण का वध किया था. जिस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था उसी दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है.