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सरकार उठाए पराली प्रबंधन का खर्चा, नहीं तो पराली में लगाएंगे आग- किसान

टोहाना के गांव भोड़ी में किसानों ने कृषि अधिकारियों को बैरंग लौटा दिया. किसानों ने कहा कि पराली प्रबंधन का खर्चा सरकार उठाए नहीं तो किसान पराली में आग लगाएंगे.

tohana farmers on stubble management
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Published : Oct 19, 2020, 11:22 AM IST

फतेहाबाद: टोहाना के गांव भोड़ी के किसानों ने पराली ना जलाने के कृषि विभाग के अधिकारियों के सुझाव को नकार दिया. किसानों ने कहा कि पराली प्रबंधन के लिए किसान को खर्चा खुद उठाना पड़ रहा है. जबकि खर्चा किसान के बजाए सरकार को देना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर सरकार उन्हें खर्चा उपलब्ध नहीं करवाएगी तो वे इकट्ठे होकर खेतों में पराली को आग लगाएंगे.

एक वायरल वीडियो से मिली जानकारी के अनुसार टोहाना के गांव भोड़ी में कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को एक कार्यक्रम के दौरान ये समझाने गए थे कि वे अपने खेतों में कृषि अवशेष पराली को आग ना लगाएं क्योंकि इससे पर्यावरण दूषित होता है और खेत की उर्वरक क्षमता पर भी फर्क पड़ता है.

सरकार उठाए पराली प्रबंधन का खर्चा, नहीं तो किसान पराली में लगाएंगे आग

इस बीच किसानों ने सीधे सवाल कृषि विभाग के अधिकारियों से करने शुरू किए कि आखिरकार पराली प्रबंधन का खर्चा किसान ही क्यों उठाएं. इससे किसान पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. मगर इस सवाल का कृषि विभाग के अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं था जिसके बाद कृषि विभाग के अधिकारी यहां गांव से बिना कोई ट्रायल दिखाएं अपना कृषि यंत्र लेकर चले गए.

इस बारे में जब हमने गांव भोड़ी में किसानों से जाकर बात की तो उन्होंने बताया कि कृषि विभाग की तरफ से एडीओ स्तर के अधिकारी उनके यहां पर पराली प्रबंधन के बारे में ट्रायल दिखाने आए थे मगर इसका खर्चा किसान को उठाना था. उन्होंने सीधे-सीधे सवाल किए हैं कि किसान आखिरकार प्रति एकड़ लगभग 4500 रुपये के करीब खर्चा क्यों उठाएं.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में कोरोना के कारण पौधारोपण में आई कमी, देखिए ये रिपोर्ट

उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वे किसान को प्रति एकड़ 3000 रुपये उपलब्ध करवाएं जिसके बाद किसान भी अपनी जेब से 1500 रुपये खर्च करके पराली प्रबंधन के कार्य में सरकार को सहयोग करें. अगर सरकार ऐसा नहीं करती तो उन्हें मजबूर होकर खेतों में पराली को आग लगानी पड़ेगी क्योंकि पराली को उठाए बगैर अगली फसल खेत में नहीं बोई जा सकती.

फतेहाबाद: टोहाना के गांव भोड़ी के किसानों ने पराली ना जलाने के कृषि विभाग के अधिकारियों के सुझाव को नकार दिया. किसानों ने कहा कि पराली प्रबंधन के लिए किसान को खर्चा खुद उठाना पड़ रहा है. जबकि खर्चा किसान के बजाए सरकार को देना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर सरकार उन्हें खर्चा उपलब्ध नहीं करवाएगी तो वे इकट्ठे होकर खेतों में पराली को आग लगाएंगे.

एक वायरल वीडियो से मिली जानकारी के अनुसार टोहाना के गांव भोड़ी में कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को एक कार्यक्रम के दौरान ये समझाने गए थे कि वे अपने खेतों में कृषि अवशेष पराली को आग ना लगाएं क्योंकि इससे पर्यावरण दूषित होता है और खेत की उर्वरक क्षमता पर भी फर्क पड़ता है.

सरकार उठाए पराली प्रबंधन का खर्चा, नहीं तो किसान पराली में लगाएंगे आग

इस बीच किसानों ने सीधे सवाल कृषि विभाग के अधिकारियों से करने शुरू किए कि आखिरकार पराली प्रबंधन का खर्चा किसान ही क्यों उठाएं. इससे किसान पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. मगर इस सवाल का कृषि विभाग के अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं था जिसके बाद कृषि विभाग के अधिकारी यहां गांव से बिना कोई ट्रायल दिखाएं अपना कृषि यंत्र लेकर चले गए.

इस बारे में जब हमने गांव भोड़ी में किसानों से जाकर बात की तो उन्होंने बताया कि कृषि विभाग की तरफ से एडीओ स्तर के अधिकारी उनके यहां पर पराली प्रबंधन के बारे में ट्रायल दिखाने आए थे मगर इसका खर्चा किसान को उठाना था. उन्होंने सीधे-सीधे सवाल किए हैं कि किसान आखिरकार प्रति एकड़ लगभग 4500 रुपये के करीब खर्चा क्यों उठाएं.

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उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वे किसान को प्रति एकड़ 3000 रुपये उपलब्ध करवाएं जिसके बाद किसान भी अपनी जेब से 1500 रुपये खर्च करके पराली प्रबंधन के कार्य में सरकार को सहयोग करें. अगर सरकार ऐसा नहीं करती तो उन्हें मजबूर होकर खेतों में पराली को आग लगानी पड़ेगी क्योंकि पराली को उठाए बगैर अगली फसल खेत में नहीं बोई जा सकती.

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