टोहाना: जिला फतेहाबाद टोहाना के गांव समैण में किसान शमशेर सिंह 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली गए थे. इसी दौरान उनकी तबीयत बिगड़ी पर है हृदय गति रुकने से उनकी मृत्यु हो गई थी. किसान शमशेर सिंह के परिवार जन प्रशासन और सरकार की बेरुखी से रोष में है.
परिवार को शमशेर सिंह की शहादत पर गर्व है
मृतक शमशेर सिंह के परिजनों का कहना है कि शहीद हुए किसानों की शहादत को देखते हुए सरकार को तीन कृषि कानून वापस ले लेना चाहिए. उनके बेटे अमित का कहना है कि उनके पिता ने किसान आंदोलन में नवंबर से ही भागीदारी शुरू कर दी थी. वह दिल्ली आते जाते रहते थे. 26 जनवरी की ट्रैक्टर पेड़ में भी हिस्सा लेने के लिए गए थे. उनकी शहादत पर उन्हें गर्व है.
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मैं अपने पिता की तरह आंदोलन में जाऊंगा- अमित
शमशेर सिंह के बेटे अमित कुमार का कहना है कि उनकी माता भी उन्हें यही कहती है कि उसके पिता शहीद हुए हैं. वह अपने पिता की विरासत को संभालते हुए किसान आंदोलन में आना-जाना जारी रखेंगे. उन्होंने कहा कि जहां उन्हें इस बात का गर्व है. वहीं इस बात का रोष भी है कि सरकार अभी भी अपनी जिद्द से नहीं हट रही. जिसकी वजह से किसान शहादत दे रही हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का दुख है कि सरकार में प्रशासन की तरफ से उनके पिता की मृत्यु पर शोक व्यक्त नहीं किया गया.
गांव वालों ने दी थी तिरंगे के साथ विदाई
किसान संगठनों ने फिर गांव वालों ने उन्हें शहीद का दर्जा देते हुए तिरंगे झंडे और किसान यूनियन के झंडे के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी. उनकी मृत्यु पर शोक प्रकट करने के लिए विपक्ष और किसान संगठन के लोग उनके घर आए, लेकिन प्रशासन और सरकार के रवैए को लेकर परिवार में रोष है.
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गांव ने दिया शमशेर सिंह को शहीद का दर्जा
बता दें कि मृतक किसान शमशेर सिंह जिसे शहीद का दर्जा दिया गया है. वह एक छोटे किसान थें जो अपने पीछे अपनी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी को छोड़ गए हैं. वहीं उनकी शहादत पर किसान संगठन जिले भर में 7 फरवरी को श्रद्धांजलि सभा रखेंगे.