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फतेहाबाद: कोर्ट ने SDM भारत भूषण की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की, भ्रष्टाचार के आरोप में हैं संलिप्त

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Published : Jan 3, 2022, 8:30 PM IST

फतेहाबाद के रतिया में भ्रष्टाचार के आरोप में संलिप्त तत्कालीन एसडीएम भारत भूषण की अग्रिम जमानत याचिका को कोर्ट ने खारिज (anticipatory bail of SDM Bharat Bhushan) कर दिया है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने याचिका को खारिज कर दिया.

anticipatory bail of SDM Bharat Bhushan
anticipatory bail of SDM Bharat Bhushan

फतेहाबाद: भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे और हाल ही में रतिया से ट्रांसफर हो चुके तत्कालीन एसडीएम भारतभूषण, उनकी पत्नी सारिका व मामले में अन्य आरोपी कर्मजीत कौर को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुनील जिंदल की अदालत से बड़ा झटका लगा है. अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद भारत भूषण की अग्रिम जमानत याचिका खारिज (anticipatory bail of SDM Bharat Bhushan) कर दी है.

सोमवार को काफी घंटों तक इस मामले में बहस जारी रही और दोपहर साढ़े 4 बजे अदालत ने अग्रिम याचिका खारिज कर दी. अब तीनों के समक्ष गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट एकमात्र रास्ता बचा है. इससे पहले दोनों पक्षों के वकीलों ने कोर्ट में उपस्थित होकर अपना-अपना पक्ष रखा. कोर्ट में सरकारी वकील की तरफ से कहा गया कि मामले में ज्यादा जांच के लिए भारतभूषण एवं उनकी पत्नी सारिका के मोबाइल कब्जे में लेने हैं और बैंक डिटेल भी लेनी है. जांच के लिए यह जानना जरूरी है कि दोनों में आपस में क्या बातचीत हुई.

वहीं तत्कालीन एसडीएम भारतभूषण (SDM Bharat Bhushan accused in corruption) की तरफ से पेश हुए एडवोकेट ने बताया कि जो एफआईआर दर्ज हुई है, उसके मुताबिक स्टांप में हेराफेरी का ही मामला बनता है. इस मामले में एडीसी द्वारा नोटिस दिया जाना था और एडीसी ने नोटिस दे दिया है. इसके बाद यदि नोटिस का जवाब न दिया जाता तो कार्रवाई होनी थी, लेकिन कार्रवाई से पहले और बाद में कोई नोटिस नहीं दिया गया. वहीं उन्होंने कहा कि प्रोपर्टी भारतभूषण की पत्नी द्वारा खरीदी गई है, उससे अधिकारी का कोई लेना-देना नहीं है. उनकी पत्नी सरकारी अधिकारी नहीं है, बल्कि असिस्टेंटअ प्रोफेसर हैं और रुपये भी खुद दिए हैं. इस मामले में पीसी एक्ट दर्ज करना भी गलत है.

ये भी पढ़ें- चंडीगढ़ प्रशासन ने लिया एक और फैसला, रॉक गार्डन और बर्ड पार्क अगले आदेश तक बंद

गौरतलब है कि बीते दिनों से यह मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. रतिया के फतेहाबाद रोड पर मिगलानी अस्पताल के पास एक फैक्ट्री की जमीन रतिया के एसडीएम रहे भारतभूषण की पत्नी सारिका और एसडीएम के जानकार बर्खास्त पुलिस कर्मचारी बाला राम की पत्नी के नाम खरीदी गई थी. आरोप लगे थे कि इस जमीन की रजिस्ट्री में काफी बड़े स्तर पर धांधलियां की गई हैं और फैक्ट्री की जमीन को कृषि भूमि दिखाकर सस्ते में रजिस्ट्री की गई है. जिससे राजस्व को काफी बड़ा नुकसान पहुंचाया गया हैं.

इस मामले में नायब तहसीलदार, पटवारी को भी आरोपी बनाया गया. विजिलेंस ने इस मामले में आरोपियों पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया और बीते दिनों पटवारी मदन लाल को विजिलेंस द्वारा गिरफ्तार भी किया गया, जो फिलहाल 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं. पटवारी की गिरफ्तारी के बाद भारतभूषण औप उनकी पत्नी द्वारा अग्रिम जमानत याचिका लगा दी गई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए अतिरक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुनील जिंदल ने याचिका को खारिज कर दिया.

ये भी पढ़ें- हरियाणा: शरारती तत्वों ने बोर्ड पर बदल दिया भीम राव अंबेडर पार्क का नाम, गांव में तनाव का माहौल

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फतेहाबाद: भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे और हाल ही में रतिया से ट्रांसफर हो चुके तत्कालीन एसडीएम भारतभूषण, उनकी पत्नी सारिका व मामले में अन्य आरोपी कर्मजीत कौर को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुनील जिंदल की अदालत से बड़ा झटका लगा है. अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद भारत भूषण की अग्रिम जमानत याचिका खारिज (anticipatory bail of SDM Bharat Bhushan) कर दी है.

सोमवार को काफी घंटों तक इस मामले में बहस जारी रही और दोपहर साढ़े 4 बजे अदालत ने अग्रिम याचिका खारिज कर दी. अब तीनों के समक्ष गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट एकमात्र रास्ता बचा है. इससे पहले दोनों पक्षों के वकीलों ने कोर्ट में उपस्थित होकर अपना-अपना पक्ष रखा. कोर्ट में सरकारी वकील की तरफ से कहा गया कि मामले में ज्यादा जांच के लिए भारतभूषण एवं उनकी पत्नी सारिका के मोबाइल कब्जे में लेने हैं और बैंक डिटेल भी लेनी है. जांच के लिए यह जानना जरूरी है कि दोनों में आपस में क्या बातचीत हुई.

वहीं तत्कालीन एसडीएम भारतभूषण (SDM Bharat Bhushan accused in corruption) की तरफ से पेश हुए एडवोकेट ने बताया कि जो एफआईआर दर्ज हुई है, उसके मुताबिक स्टांप में हेराफेरी का ही मामला बनता है. इस मामले में एडीसी द्वारा नोटिस दिया जाना था और एडीसी ने नोटिस दे दिया है. इसके बाद यदि नोटिस का जवाब न दिया जाता तो कार्रवाई होनी थी, लेकिन कार्रवाई से पहले और बाद में कोई नोटिस नहीं दिया गया. वहीं उन्होंने कहा कि प्रोपर्टी भारतभूषण की पत्नी द्वारा खरीदी गई है, उससे अधिकारी का कोई लेना-देना नहीं है. उनकी पत्नी सरकारी अधिकारी नहीं है, बल्कि असिस्टेंटअ प्रोफेसर हैं और रुपये भी खुद दिए हैं. इस मामले में पीसी एक्ट दर्ज करना भी गलत है.

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गौरतलब है कि बीते दिनों से यह मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. रतिया के फतेहाबाद रोड पर मिगलानी अस्पताल के पास एक फैक्ट्री की जमीन रतिया के एसडीएम रहे भारतभूषण की पत्नी सारिका और एसडीएम के जानकार बर्खास्त पुलिस कर्मचारी बाला राम की पत्नी के नाम खरीदी गई थी. आरोप लगे थे कि इस जमीन की रजिस्ट्री में काफी बड़े स्तर पर धांधलियां की गई हैं और फैक्ट्री की जमीन को कृषि भूमि दिखाकर सस्ते में रजिस्ट्री की गई है. जिससे राजस्व को काफी बड़ा नुकसान पहुंचाया गया हैं.

इस मामले में नायब तहसीलदार, पटवारी को भी आरोपी बनाया गया. विजिलेंस ने इस मामले में आरोपियों पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया और बीते दिनों पटवारी मदन लाल को विजिलेंस द्वारा गिरफ्तार भी किया गया, जो फिलहाल 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं. पटवारी की गिरफ्तारी के बाद भारतभूषण औप उनकी पत्नी द्वारा अग्रिम जमानत याचिका लगा दी गई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए अतिरक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुनील जिंदल ने याचिका को खारिज कर दिया.

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