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Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री व्रत पर इन बातों का रखें खास ख्याल, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

ज्येष्ठ मास के महीने में रखे जाने वाले व्रतों में वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2023) का खास महत्व है. यह व्रत सुहागिन महिलाएं रखती हैं. मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्वा और विधि विधान से रखने से महिलाओं का सौभाग्य बना रहता है.

Vat Savitri Vrat 2023
Vat Savitri Vrat 2023: कल है वट सावित्री व्रत, इन बातों का रखें खास ख्याल
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Published : May 18, 2023, 7:59 PM IST

Updated : May 19, 2023, 11:28 AM IST

फरीदाबाद: हिंदू धर्म में हर देवी देवताओं का अलग महत्व होता है और उनका फल भी भक्तों को उसी के अनुसार प्राप्त होता है. खासतौर पर महिलाएं अक्सर व्रत अपने परिवार की सुख शांति और पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं. इसी कड़ी में आज बात कर रहे हैं. वट सावित्री व्रत की, जो 19 मई को मनाया जाएगा. महिलाओं के लिए यह व्रत बेहद खास होता है. क्योंकि इस दिन सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु और संतान प्राप्ति के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं.



हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को यह खास व्रत रखा जाता है. सनातन धर्म में वट सावित्री का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास और महत्वपूर्ण व्रतों में से एक माना गया है. इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा पूरे विधि विधान के साथ करती हैं. मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को रखने वाली महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. कहा यह भी जाता है कि इस व्रत को जो महिलाएं रखती हैं, उनके पति की लंबी आयु होती है और उनके पति की कभी भी अकाल मृत्यु नहीं होती है.

पढ़ें : Sita Navami 2023: सीता नवमी पर इस विधि विधान से करें पूजा, वैवाहिक जीवन होगा सुखमय

वट सावित्री व्रत का महत्व: हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है. मान्यताओं के अनुसार बरगद के पेड़ में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. जिस वजह से इस दिन बरगद के वृक्ष की पूजा की जाती है. इसके साथ ही इस दिन महिलाएं वट सावित्री वृत की कथा सुनती हैं. जिससे उनके परिवार में कभी भी किस तरह का कोई संकट नहीं आता है.


वट सावित्री व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन इस व्रत को रखा जाता है. इस बार यह तिथि 18 मई की रात 9 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर 19 मई की रात 9 बजकर 22 पर समाप्त होगी. ऐसे में वट सावित्री व्रत 19 मई को रखा जाएगा. वहीं पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 19 मिनट से 10 बजकर 42 तक रहेगा.


वट सावित्री व्रत की पूजा विधि: वट सावित्री व्रत करने वाली महिलाओं को सबसे पहले इस दिन सुबह प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए. उसके बाद नए वस्त्र धारण करें. व्रती महिलाएं खास तौर पर पीले, लाल, हरे रंग के कपड़े पहन सकती हैं. महिलाएं अपना श्रंगार कर शुभ महूर्त में बरगद के पेड़ के नीचे आसन लगा कर बैठ जाये. अगर बरगद का पेड़ आस पास नहीं हो तो उसकी टहनी को गमले में लगाकर पूजा की जा सकती है.

इसके बाद धूप, दीपक जला लें और बरगद के पेड़ की जड़ में जल अर्पित करें. इसके बाद अक्षत, 5 तरह के फल-फूल, पान, सुपारी, मिठाई, मखाना और भीगे चने को लेकर बरगद की पूजा करें और बरगद के पेड़ को इन्हें अर्पित कर दें. उसके बाद बांस के बने पंखे से पेड़ की हवा करें. इसके बाद वटवृक्ष में कच्चा सूत बांध दें और उसे पकड़ कर 7 बार श्रद्धा के साथ बरगद के पेड़ की परिक्रमा करें. परिक्रमा खत्म होने के बाद सूत के छोर को दूसरी ओर बांध दें. पूजा के बाद वट सावित्री व्रत की कथा सुननी चाहिए.

पढ़ें : Shubh Vivah: शादी में सात नहीं चार फेरे ही हैं काफी, जानिए क्यों


वट सावित्री व्रत में रखें इन बातों का ध्यान: पूजन के बाद भगवान का ध्यान करते हुए पति की लंबी आयु और सुख, संपत्ति की प्रार्थना करें और प्रसाद का वितरण करें. इसके बाद महिलाओं को घर के बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए. आपको बता दें कि इस दिन श्रंगार के सामान का दान करने से और भी अधिक फल मिलता है. इस दिन शाम को घर के मंदिर में धूप दीप जलाकर भगवान से प्रार्थना करके व्रत का पारण करें. मान्यता है कि इस तरह से यदि आप वट सावित्री व्रत रखती हैं तो भगवान जरूर आपके पति की लंबी आयु का वरदान देंगे और आपके परिवार में सुख संपति की वर्षा होगी.

फरीदाबाद: हिंदू धर्म में हर देवी देवताओं का अलग महत्व होता है और उनका फल भी भक्तों को उसी के अनुसार प्राप्त होता है. खासतौर पर महिलाएं अक्सर व्रत अपने परिवार की सुख शांति और पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं. इसी कड़ी में आज बात कर रहे हैं. वट सावित्री व्रत की, जो 19 मई को मनाया जाएगा. महिलाओं के लिए यह व्रत बेहद खास होता है. क्योंकि इस दिन सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु और संतान प्राप्ति के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं.



हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को यह खास व्रत रखा जाता है. सनातन धर्म में वट सावित्री का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास और महत्वपूर्ण व्रतों में से एक माना गया है. इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा पूरे विधि विधान के साथ करती हैं. मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को रखने वाली महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. कहा यह भी जाता है कि इस व्रत को जो महिलाएं रखती हैं, उनके पति की लंबी आयु होती है और उनके पति की कभी भी अकाल मृत्यु नहीं होती है.

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वट सावित्री व्रत का महत्व: हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है. मान्यताओं के अनुसार बरगद के पेड़ में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. जिस वजह से इस दिन बरगद के वृक्ष की पूजा की जाती है. इसके साथ ही इस दिन महिलाएं वट सावित्री वृत की कथा सुनती हैं. जिससे उनके परिवार में कभी भी किस तरह का कोई संकट नहीं आता है.


वट सावित्री व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन इस व्रत को रखा जाता है. इस बार यह तिथि 18 मई की रात 9 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर 19 मई की रात 9 बजकर 22 पर समाप्त होगी. ऐसे में वट सावित्री व्रत 19 मई को रखा जाएगा. वहीं पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 19 मिनट से 10 बजकर 42 तक रहेगा.


वट सावित्री व्रत की पूजा विधि: वट सावित्री व्रत करने वाली महिलाओं को सबसे पहले इस दिन सुबह प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए. उसके बाद नए वस्त्र धारण करें. व्रती महिलाएं खास तौर पर पीले, लाल, हरे रंग के कपड़े पहन सकती हैं. महिलाएं अपना श्रंगार कर शुभ महूर्त में बरगद के पेड़ के नीचे आसन लगा कर बैठ जाये. अगर बरगद का पेड़ आस पास नहीं हो तो उसकी टहनी को गमले में लगाकर पूजा की जा सकती है.

इसके बाद धूप, दीपक जला लें और बरगद के पेड़ की जड़ में जल अर्पित करें. इसके बाद अक्षत, 5 तरह के फल-फूल, पान, सुपारी, मिठाई, मखाना और भीगे चने को लेकर बरगद की पूजा करें और बरगद के पेड़ को इन्हें अर्पित कर दें. उसके बाद बांस के बने पंखे से पेड़ की हवा करें. इसके बाद वटवृक्ष में कच्चा सूत बांध दें और उसे पकड़ कर 7 बार श्रद्धा के साथ बरगद के पेड़ की परिक्रमा करें. परिक्रमा खत्म होने के बाद सूत के छोर को दूसरी ओर बांध दें. पूजा के बाद वट सावित्री व्रत की कथा सुननी चाहिए.

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वट सावित्री व्रत में रखें इन बातों का ध्यान: पूजन के बाद भगवान का ध्यान करते हुए पति की लंबी आयु और सुख, संपत्ति की प्रार्थना करें और प्रसाद का वितरण करें. इसके बाद महिलाओं को घर के बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए. आपको बता दें कि इस दिन श्रंगार के सामान का दान करने से और भी अधिक फल मिलता है. इस दिन शाम को घर के मंदिर में धूप दीप जलाकर भगवान से प्रार्थना करके व्रत का पारण करें. मान्यता है कि इस तरह से यदि आप वट सावित्री व्रत रखती हैं तो भगवान जरूर आपके पति की लंबी आयु का वरदान देंगे और आपके परिवार में सुख संपति की वर्षा होगी.

Last Updated : May 19, 2023, 11:28 AM IST
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