फरीदाबाद: 21वीं सदी तकनीक का युग है. लोग पहले के मुताबिक ज्यादा डिजिटलाइज हुए हैं. इंसान सोशल लाइफ को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (Social Media Platforms) पर एडजस्ट कर चुका है, लोगों की इन्ही जरूरतों को साइबर अपराधी निशाना बनाने लगे हैं. आज कल साइबर क्रिमिनल्स ने सोशल मीडिया पर पॉपुलर लोगों को अकाउंट वेरिफाई करने के नाम पर ठगने (Social media hacker verified accounts) और ब्लैकमेल करने का काम करने लगे हैं. फरीदाबाद में रहने वाली रितु भी सोशल मीडिया हैकर्स का निशाना बन चुकी हैं. रितु एक मेकअप आर्टिस्ट हैं.
इनके इंस्टाग्राम पर 38 लाख फॉलोवर्स हैं, लेकिन इनका अकाउंट वेरिफाई नहीं हैं. एक दिन रितु के पास मोबाइल वेरिफिकेशन लिंक आया, उन्होंने उस लिंक को ऑफिशियल वेबसाइट समझकर अपने अकाउंट से संबंधित सभी निजी जानकारी शेयर कर दी, लेकिन कुछ ही देर में उनका अकाउंट हैक हो गया. रितु को हैकर्स की तरफ से मैसेज आया और उनसे 14 हजार रुपये की डिमांड की गई. रितु को अपना अकाउंट दोबारा लेने के लिए हैकर्स को 14 हजार रुपये की देने पड़े. और उसके बाद उन्होंने पुलिस को शिकायत की.
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ईटीवी भारत की टीम ने इन्ही समस्याओं को लेकर फरीदाबाद पुलिस में साइबर एक्सपर्ट बाबूराम से जाना कि इन साइबर क्रिमिनल्स से कैसे बच सकते हैं. साइबर एक्सपर्ट बाबूराम का कहना है कि टेक्नोलॉजी के इस जमाने में किसी भी प्लेटफॉर्म पर आपका अकाउंट है तो आपको बेहद सचेत रहने की जरूरत है, अननोन लिंक पर जाकर अपनी कोई जानकारी शेयर करने से काफी परेशानियां हो सकती है. हैकर्स आपको आर्थिक रूप से हानि पहुंचाने के साथ आपकी सार्वजनिक छवि भी बिगाड़ सकता है.
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कोई भी वेबसाइट खोलें तो यह अवश्य जांच लें कि वह सिक्योर है या नहीं. ज्यादातर वेबसाइट सिर्फ http होते हैं, लेकिन जिस वेबसाइट की शुरूआत में https है तो वह सुरक्षित है. सोशल मीडिया पर अपराधी, लोगों की शिकायतों पर नजर रखते हैं. आपके शिकायत करते ही इनबॉक्स में कंपनी के अधिकारी बनकर वे अपना नंबर दे सकते हैं. ध्यान रखें कि कोई भी संस्थान सीधे इनबॉक्स में संपर्क करके अपना नंबर नहीं देता है. आज के युग में भारी संख्या में लोग सोशल मीडिया को लेकर दिवाने हैं और चाहते हैं कि उनका अकाउंट भी ब्लू टिक वाला हो, लेकिन सोशल मीडिया हैकर्स ऐसे लोगों को ज्यादा फॉलोवर्स देने और ब्लूटिक दिलाने के नाम पर मोटी रकम ठग लेते हैं. अधिकतर ऐसा होता है कि यूजर्स अपना अकाउंट खोने के डर पुलिस में शिकायत देने की बजाए ब्लैकमेलर्स को पैसे देने पर मजबूर हो जाते हैं.
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