फरीदाबाद: हरियाणा के फरीदाबाद में इन दिनों वायरल का कहर देखा जा रहा है. बात करें सिविल हॉस्पिटल की तो बताया जा रहा है कि मरीजों को यहां उचित इलाज मुहैया नहीं हो पा रहा है. दवाइयां न मिलने से मरीज परेशान (Shortage of medicine in Faridabad) हैं. वहीं खबर यह भी कि बीते 6 महीनों से अस्पताल की फॉर्मेसी में दवाइंयां ही उपलब्ध नहीं है.
मरीजों ने बताया कि उन्हें यहां पूरी तरह से दवाइयों की सुविधा नहीं मिल पा रही है जिससे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं इलाज करवाने आए मरीज शिव गोविंद का कहना है कि पहले डॉक्टर ने कहा कि दवाइयां यहीं मिल जाएगी. जब वह फॉर्मेसी पहुंचे तो उन्हें कहा गया कि तीन दवाइयां यहां मिलेंगी तीन दवाइयां आपको बाहर से लेनी (Shortage of medicine in Faridabad Civil Hospital) पड़ेंगी.
मरीज तुषार ने बताया कि डॉक्टर ने पर्ची में उन्हें 6 दवाइयां लिखी हैं, जिनमें से केवल तीन ही दवाइयां यहां से मिलेंगी (Shortage of medicine in Faridabad Civil hospital)और 3 बाहर से लेनी होगी. इतना बड़ा सरकारी अस्पताल होने के बावजूद भी मरीजों को इलाज के बदले परेशानियां मिल रही है. प्रशासन को इस विषय में गंभीरता से विचार करने की जरूरत है और तुरंत इस समस्या का हल निकलना उनकी जिम्मेदारी है.
इतना ही नहीं बात अगर गुरुग्राम के स्वास्थ्य विभाग के वेयरहाउस की करें तो वहां से भी दवाइयों की किल्लत की खबर सामने आई है. फरीदाबाद जिला अस्पताल (Faridabad Civil Hospital) में गुरुग्राम के स्वास्थ्य विभाग के वेयरहाउस से ही दवाई आती है. वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय को लोकल लेवल पर सीमित दवाइयां खरीदने की शक्तियां होती है इसी के तहत लोकल खरीद के तौर पर अभी तक दवाइयां परचेज करके रोगियों को दी जा रही थी. लेकिन इसका भी भुगतान निदेशालय से नहीं किया गया.
आलम ये है कि दवाई कंपनी ने अस्पताल को दवाइयां देने से इनकार कर दिया है. दरअसल अस्पताल पर करीब साढ़े तीन लाख के बकाये की भी खबर मिली है. वहीं अस्पताल प्रशासन का कहना है कि हम अपनी तरफ से बेहतर प्रयास कर रहे हैं और फंड के लिए स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर सूचित किया गया है. जल्द ही इस समस्या का सामाधान हो जाएगा.
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार द्वारा 1243 प्रकार की लाइफ सेविंग दवाइयां उपलब्ध करवाई जाती है जबकि यहां हालात यह है कि वर्तमान में 178 प्रकार की ही दवाईयां उपलब्ध है. हालत इतनी खराब है कि सिर दर्द के लिए पेरासिटामोल तक की दवाई भी यहां पर नहीं मिल रही है. वाक्य ही हैरान कर देने वाली ये खबर हर मरीज के लिए परेशानी का सबब है जहां गरीब अस्पताल की मार मरीज यहां झेल रहा है.
सवाल ये भी उठता है कि अस्पताल चलाने के लिए करीब 1.25 करोड़ के करीब खर्चा आता है. लेकिन स्वास्थ्य निदेशालय से इन्हे 60 से 70 लाख रूपये ही मिल पाते हैं. यहा प्रशासन सो रहा है जिसे जल्द जागने की जरूरत है, ताकि मरीजों की जिंदगी के साथ हो रहे खिलवाड़ को रोका जा सके.