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Sankashti Chaturthi Vrat 2023: एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर ऐसे करें भगवान गणेश की पूजा, जानिए विधि और शुभ मुहूर्त - Faridabad latest news

इस बार सोमवार यानि 8 मई को एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत (Sankashti Chaturthi Vrat ) है. इस दिन गणेश भगवान की विशेष पूजा की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से सभी बाधाएं दूर होती है और प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है.

Sankashti Chaturthi Vrat
Sankashti Chaturthi Vrat 2023: बाधाएं होगी दूर, बनने लगेंगे काम
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Published : May 6, 2023, 1:13 PM IST

फरीदाबाद: हिंदू धर्म में सभी देवी देवताओं का अलग महत्व होता है, लेकिन इन सभी देवताओं में भगवान गणेश का विशेष महत्व है. यही कारण है कि इनकी पूजा सबसे पहले की जाती है और हर शुभ काम से पहले भगवान गणेश की स्थापना की जाती है. एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है. संकष्टी चतुर्थी या संकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा विधि विधान से की जाए तो वह बेहद शुभ फल देती है.

इस दिन गणेश मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है. महंत मुनिराज ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूरे विधि विधान के साथ रखा जाता है. एकदंत संकष्टी चतुर्थी इस बार 8 मई यानि सोमवार को है. इस दिन भक्त पूरे विधि विधान के साथ गणेश भगवान की पूजा करते हैं. गणेश भगवान को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है.

इसीलिए यदि आपके कार्यों में किसी भी तरह की कोई अड़चन आ रही है तो इस दिन व्रत करें. मान्यता है कि ऐसा करने से गणपति बप्पा हमेशा के लिए इन बाधाओं को दूर कर देते हैं. इसके साथ ही भक्तों को सुख सौभाग्य और धन की प्राप्ति होती है. वैसे भी कोई भी पूजा पाठ शुरू किया जाता है तो सबसे पहले गणेश भगवान की पूजा की जाती है.

पढ़ें : Aaj ka Panchang 6 May 2023 : जानिए आज का शुभ-अशुभ मुहूर्त,राहुकाल व विशेष मंत्र

एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त: इसका व्रत प्रत्येक वर्ष तिथि के अनुसार अलग-अलग तारीख को होता है. इस बार 8 मई को एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा. यह शुभ तिथि 8 मई को शाम 6 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी और 9 मई को शाम 4 बजकर 8 मिनट तक रहेगी. ऐसे में 8 मई को एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. वहीं इसकी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त होगा. ऐसे में इस दिन सुबह 11 बजकर 51 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त बताया गया है. शुभ मुहूर्त में पूजा करने से भगवान गणेश अत्यंत प्रसन्न होकर भक्तों के सारे कष्टों को दूर कर मनवांछित फल देते हैं.

एकदंत संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि: इस दिन सुबह जल्दी उठकर पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान कर लें. उसके बाद साफ वस्त्र को धारण करें. अगर आप लाल रंग का वस्त्र धारण कर सकते हैं तो वह बेहद शुभ है. उसके बाद भगवान गणेश के मंदिर में जाकर या घर पर ही गणेश भगवान की मूर्ति की पूजा की जाती है. एक चौकी पर लाल कपड़ा रखकर भगवान गणेश की मूर्ति या फोटो स्थापित करें.

पढ़ें : Vikat Sankashti Chaturthi 2023: विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की ऐसे करें पूजा, सभी दुख हरेंगे विघ्नहर्ता

इसके बाद उन्हें हल्दी का तिलक लगाएं. साथ ही गणेश भगवान को फूल, माला, दूर्वा, फल विशेष रूप से केला, मोदक या फिर देशी घी से बने मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं. देशी घी का दीपक जलाकर गणपति भगवान का पाठ करके उनकी आरती करें. इस दिन व्रत रखें और पूजा के बाद फलों का सेवन कर सकते हैं. इसी तरह शाम को भी गणेश की विधिवत रूप से पूजा करें.

रात्रि में चांद को अर्घ्य देकर व्रत खोलें. इस तरह से यदि आप संकट चतुर्थी पर गणेश भगवान की पूजा करते हैं तो गणेश भगवान जरूर ही आपके सारे रुके हुए काम को बनाएंगे. आपको सुख और समृद्धि का वरदान देंगे. इसके साथ ही आपकी हर मनोकामनाएं को गणेश भगवान पूर्ण करेंगे. इस दिन की मान्यता यह भी है कि इस दिन गणपति बप्पा की पूजा विधि विधान से करने पर भक्तों के सभी दुख दर्द हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं और गणेश सदा अपने भक्तों पर कृपा बनाए रहते हैं.

फरीदाबाद: हिंदू धर्म में सभी देवी देवताओं का अलग महत्व होता है, लेकिन इन सभी देवताओं में भगवान गणेश का विशेष महत्व है. यही कारण है कि इनकी पूजा सबसे पहले की जाती है और हर शुभ काम से पहले भगवान गणेश की स्थापना की जाती है. एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है. संकष्टी चतुर्थी या संकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा विधि विधान से की जाए तो वह बेहद शुभ फल देती है.

इस दिन गणेश मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है. महंत मुनिराज ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूरे विधि विधान के साथ रखा जाता है. एकदंत संकष्टी चतुर्थी इस बार 8 मई यानि सोमवार को है. इस दिन भक्त पूरे विधि विधान के साथ गणेश भगवान की पूजा करते हैं. गणेश भगवान को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है.

इसीलिए यदि आपके कार्यों में किसी भी तरह की कोई अड़चन आ रही है तो इस दिन व्रत करें. मान्यता है कि ऐसा करने से गणपति बप्पा हमेशा के लिए इन बाधाओं को दूर कर देते हैं. इसके साथ ही भक्तों को सुख सौभाग्य और धन की प्राप्ति होती है. वैसे भी कोई भी पूजा पाठ शुरू किया जाता है तो सबसे पहले गणेश भगवान की पूजा की जाती है.

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एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त: इसका व्रत प्रत्येक वर्ष तिथि के अनुसार अलग-अलग तारीख को होता है. इस बार 8 मई को एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा. यह शुभ तिथि 8 मई को शाम 6 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी और 9 मई को शाम 4 बजकर 8 मिनट तक रहेगी. ऐसे में 8 मई को एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. वहीं इसकी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त होगा. ऐसे में इस दिन सुबह 11 बजकर 51 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त बताया गया है. शुभ मुहूर्त में पूजा करने से भगवान गणेश अत्यंत प्रसन्न होकर भक्तों के सारे कष्टों को दूर कर मनवांछित फल देते हैं.

एकदंत संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि: इस दिन सुबह जल्दी उठकर पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान कर लें. उसके बाद साफ वस्त्र को धारण करें. अगर आप लाल रंग का वस्त्र धारण कर सकते हैं तो वह बेहद शुभ है. उसके बाद भगवान गणेश के मंदिर में जाकर या घर पर ही गणेश भगवान की मूर्ति की पूजा की जाती है. एक चौकी पर लाल कपड़ा रखकर भगवान गणेश की मूर्ति या फोटो स्थापित करें.

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इसके बाद उन्हें हल्दी का तिलक लगाएं. साथ ही गणेश भगवान को फूल, माला, दूर्वा, फल विशेष रूप से केला, मोदक या फिर देशी घी से बने मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं. देशी घी का दीपक जलाकर गणपति भगवान का पाठ करके उनकी आरती करें. इस दिन व्रत रखें और पूजा के बाद फलों का सेवन कर सकते हैं. इसी तरह शाम को भी गणेश की विधिवत रूप से पूजा करें.

रात्रि में चांद को अर्घ्य देकर व्रत खोलें. इस तरह से यदि आप संकट चतुर्थी पर गणेश भगवान की पूजा करते हैं तो गणेश भगवान जरूर ही आपके सारे रुके हुए काम को बनाएंगे. आपको सुख और समृद्धि का वरदान देंगे. इसके साथ ही आपकी हर मनोकामनाएं को गणेश भगवान पूर्ण करेंगे. इस दिन की मान्यता यह भी है कि इस दिन गणपति बप्पा की पूजा विधि विधान से करने पर भक्तों के सभी दुख दर्द हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं और गणेश सदा अपने भक्तों पर कृपा बनाए रहते हैं.

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