फरीदाबाद: दिल्ली-वड़ोदरा-मुंबई एक्सप्रेस-वे का काम तेजी से चल रहा है, एक्सप्रेस-वे बनाने का मकसद है 5 राज्यों की कनेक्टिविटी सुगम हो सके और कई घंटों के सफर को कुछ ही घंटों में तय किया जा सके. यही वजह है कि लगभग 98 हजार 233 करोड़ से बनने वाली 8 लेन एक्सप्रेस-वे का कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन एक्सप्रेस-वे के निर्माण में लापरवाही लोगों की जान भी ले रही है. (delhi vadodara mumbai expressway faridabad)
अब तक जा चुकी है चार लोगों की जान: ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि एक्सप्रेस-वे का हिस्सा बन रहे 26 किलोमीटर बाईपास पर चालकों के लिए सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं. यही वजह है कि 26 दिसंबर 2021 की रात उत्तर प्रदेश के रहने वाले 2 लोगों की अंधेरे की वजह से पिलर के लिए खोदे गए गड्ढे में गिरने से मौत हो गई. इसके अलावा 21 अक्टूबर 2022 को सेक्टर 14 के पास बाईपास पर गलत दिशा से आ रही मिट्टी से भरे ट्रक ने बाइक सवार को कुचल दिया, जिसमें बाइक सवार की मौके पर मौत हो गई, 4 दिसंबर 2021 को सेक्टर दो स्थित बाईपास रोड पर एक्सप्रेस-वे के लिए खोदे गए गड्ढे में घर के इकलौते बेटे 25 वर्षीय विकास का शव मिला था.
निर्माणाधीन क्षेत्र में लाइट नहीं होने से लोग परेशान: ऐसी बात नहीं है कि बाईपास पर लाइट नहीं लगी थी, बल्कि लगभग 2 करोड़ रुपए की लागत से बाईपास पर 1500 के करीब लाइटें लगाई गई थी, जब एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य शुरू हुआ तो कुछ लाइट के तार कट गए, कुछ लाइटों को हटा दिया गया तो वहीं कुछ लाइटें खराब हो गई, जिसे दोबारा से रिपेयर नहीं करवया गया. यही वजह है कि रात के अंधेरे में आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं.
कंस्ट्रक्शन कंपनी गंभीर आरोप: इस एक्सप्रेस-वे की निगरानी सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से की जा रही है, लेकिन उसके बावजूद भी लापरवाही यहां पर देखने को मिल रही है. लापरवाही की बात करें तो जगह-जगह मिट्टी के ढेर पड़े हुए हैं, जिस पर पानी का छिड़काव नहीं किया जा रहा है. इन दिनों फरीदाबाद की हवा जहरीली होती जा रही है. यहां AQI लेवल 400 तक पहुंच गया है, लोगों को सांस लेने में दिक्कतें आ रही हैं. अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. कंस्ट्रक्शन कंपनी पॉल्यूशन को लेकर बेफिक्र हैं और धड़ल्ले से उनका ट्रक सड़कों पर दौड़ रहा है.
'बैरिकेडिंग पर रिफ्लेक्टर सही नहीं': एक्सप्रेस-वे के बीचों-बीच आ रहे बिजली के बड़े-बड़े खंबे को अभी तक हटाया नहीं गया है. बीच सड़क पर बिजली के खंबे होने से वाहन चालकों में एक्सीडेंट होने का भय बना रहता है. लोगों का कहना है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. इतना ही नहीं, निर्माण कार्य के लिए जो सामग्री मंगवाई जा रही है, उसे भी सड़क पर ही रख दिया जाता है, जिससे अतिक्रमण फैलता जा रहा है. इस वजह से लोगों का आना-जाना काफी मुश्किल हो गया है. एक्सप्रेस-वे कार्य को लेकर जो बैरिकेडिंग लगाए गए हैं, उस पर भी सही से रिफ्लेक्टर नहीं है. कई जगह सुरक्षाकर्मी भी मौजूद नहीं रहते हैं.
क्या कहते हैं कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रबंधक: वहीं, निर्माण कर रहे कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रबंधक हर्ष कौशिक का कहना है कि बाईपास पर सुधार को लेकर कई कदम उठाए गए हैं. जहां-जहां काम चल रहा है वहां पर रिफ्लेक्टर टेप लगाए गए हैं. बैरिकेडिंग को मजबूत कर दिया गया है. वहीं, स्थानीय निवासी लोगों का कहना है कि रात के समय यहां पर अंधेरा ज्यादा होता है, ऐसे में अंधेरे में एक्सीडेंट न हो इससे बचने के लिए लोग ऑफिस से जल्द घर के लिए निकल जाते हैं. अंधेरे की वजह से कई हादसे भी हो चुके हैं. कई लोग जख्मी भी हो चुके हैं. धूल-मिट्टी भी सड़कों पर उड़ती रहती है, जिससे पॉल्यूशन भी फैल रहा है.
एक्सप्रेस-वे बनने के बाद दिल्ली से मुंबई जाना होगा और आसान: आपको बता दें कि, लगभग 98 हजार 233 करोड़ रुपये की लागत से दिल्ली, वड़ोदरा, मुंबई एक्सप्रेस-वे 1,350 किलोमीटर के साथ आठ लेन का होगा, जो भारत के दो सबसे महत्वपूर्ण शहरों के बीच यात्रा के समय को आधा कर देगा. ये एक्सप्रेस-वे हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र सहित पांच राज्यों से होकर गुजरेगा. एक्सप्रेस-वे अपने आप में अनोखा होगा. दिल्ली से मुंबई की दूरी जहां 24 घंटे में पूरी की जाती है, वहीं एक्सप्रेस-वे के बनने के बाद मात्र 12 से 13 घंटों में इसे तय कर सकेंगे. अनुमान लगाया जा रहा है कि 2024 के अंत तक यह एक्सप्रेस-वे बनकर पूरी तरह से तैयार हो जाएगा. (delhi vadodara mumbai expressway latest News)
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