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महिलाओं में भी बढ़ रही मोबाइल गेम की लत, मनोवैज्ञानिक से जानिए छुड़ाने के तरीके

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Published : Apr 15, 2022, 5:38 PM IST

Updated : Apr 15, 2022, 7:57 PM IST

मोबाइल पर ऑनलाइन और ऑफलाइन गेमिंग ऐप (mobile game addiction is increasing) का इस्तेमाल करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. गेम की लत इस हद तक पहुंच चुकी है कि लोग अपनी जान तक ले लेते हैं. ईटीवी भारत ने इसी मामले को लेकर मनोवैज्ञानिक से बात की. आखिर क्या है इस लत का सबसे बड़ा कारण. कैसे इस लत से छुटकारा पायें.

mobile game craze increased
mobile game craze increased

फरीदाबाद: मोबाइल पर ऑनलाइन और ऑफलाइन गेमिंग ऐप का इस्तेमाल करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. बच्चे, युवा यहां तक कि बड़े भी मोबाइल गेम्स की लत (mobile game craze increased) में पड़ चुके हैं. जिससे आखों पर बुरा असर तो पड़ ही रहा है. साथ ही दिमाग पर भी इसका गलत प्रभाव पड़ता है. ऑनलाइन गेमिंग के चलते देश में दर्जनों बच्चे अपनी जान गंवा चुके हैं. गेमिंग का सबसे ज्यादा क्रेज लॉकडाउन में बढ़ा है. लॉकडाउन के चलते लोग घरों के अंदर कैद हो गए.

ऐसे में बड़े हों या फिर बच्चे, सभी ने ऑफलाइन या फिर ऑनलाइन गेमिंग को ही टाइमपास का जरिया बनाया, लेकिन आज ये जिंदगी का एक हिस्सा बन चुका है. जो लोगों की सेहत के लिए काफी खतरनाक (disadvantages of mobile games) है. बोस्टिंग कंसल्टिंग ग्रुप की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 30 करोड़ लोग मोबाइल पर गेम खेलते हैं. कोराना के दौरान ये कारोबार लगभग 80 प्रतिशत बढ़ा है. साल 2023 में इसका बाजार करीब 5 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान जताया जा रहा है.

mobile game craze increased
मोबाइल पर ऑनलाइन और ऑफलाइन गेमिंग ऐप का इस्तेमाल करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

महिलाओं में भी बढ़ रही लत- सबसे बड़ी बात ये है कि इस ऑनलाइन गेमिंग की लत (mobile game addiction is increasing) केवल बच्चों और युवाओं को ही नहीं है बल्कि महिलाएं भी इसमें तेजी के साथ शामिल हो रही हैं. हाल में ही आए एक वेबसाइट inmobi के सर्वे के अनुसार भारत में लगभग 43% महिलाएं गेमिंग ऐप यूज कर रही हैं. देश में आज विभिन्न प्रकार के गेम उपलब्ध हैं. जहां पर आप ऑफलाइन भी खेल सकते हैं और ऑनलाइन भी. गेम डिजाइनरों की माने तो गेमिंग को इंसान के दिमाग के अनुसार डिजाइन किया जाता है.

बच्चों के लिए जो कंटेंट तैयार किए जाते हैं. वो अलग प्रकार से तैयार किए जाते हैं. युवाओं के लिए जो गेम बनाए जाते हैं. उनमें दूसरे कंटेंट का इस्तेमाल किया जाता है. ऑडियंस को खास तौर से ध्यान में रखते हुए गेम बनाए जाते हैं. गेम बनाने के लिए पहले ऑडियंस पर स्टडी की जाती है. उसके बाद ड्राफ्ट तैयार करके पूरी प्लानिंग करके कोडिंग तैयार की जाती है और कोडिंग में विशेष तौर से ध्यान रखा जाता है कि जिस जनरेशन के लिए गेम बनाया जा रहा है. उसको उस गेम में भरपूर मनोरंजन और एडवेंचर मिले.

लत के लिए डोपामाइन केमिकल जिम्मेदार- फरीदाबाद सिविल अस्पताल में मनोचिकित्सक धर्मवीर नेहरा ने बताया कि आज ऑनलाइन और ऑफलाइन गेम क्रेज स्कूली बच्चों और युवाओं में सबसे ज्यादा है. उन्होंने बताया कि इंसान हमेशा चाहता है कि उसका दर्द कम हो और उसे ज्यादा से ज्यादा आनंद मिले, जीतना और चैलेंज को पार करना ये सब चीजें हमें एडवेंचर देती हैं. जब भी हम जीत पाते हैं या फिर किसी चैलेंज को पार कर पाते हैं तो दिमाग में डोपामाइन नाम का केमिकल रिलीज होता है.

जिससे हमें खुशी मिलती है और जब हम गेम नहीं खेलते हैं तो हमारा शरीर डोपामाइन की मांग करता है. इस कारण से हमें बार-बार गेम खेलने की आदत बन जाती है. डॉक्टर ने बताया कि आज के वक्त में ऑनलाइन और ऑफलाइन गेमिंग बेहद खतरनाक है. इससे आखों और दिमाग पर गहरा असर पड़ता है. अगर अपने बच्चों को इस से दूर रखना है तो खास तौर से माता-पिता को विशेष ध्यान देना होगा. बच्चों को फिजिकली गेम खिलाना चाहिए साथ ही बच्चों की जो हॉबी है. उस पर ध्यान देना चाहिए. मोबाइल बच्चों की पहुंच से दूर रखना चाहिए.

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फरीदाबाद: मोबाइल पर ऑनलाइन और ऑफलाइन गेमिंग ऐप का इस्तेमाल करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. बच्चे, युवा यहां तक कि बड़े भी मोबाइल गेम्स की लत (mobile game craze increased) में पड़ चुके हैं. जिससे आखों पर बुरा असर तो पड़ ही रहा है. साथ ही दिमाग पर भी इसका गलत प्रभाव पड़ता है. ऑनलाइन गेमिंग के चलते देश में दर्जनों बच्चे अपनी जान गंवा चुके हैं. गेमिंग का सबसे ज्यादा क्रेज लॉकडाउन में बढ़ा है. लॉकडाउन के चलते लोग घरों के अंदर कैद हो गए.

ऐसे में बड़े हों या फिर बच्चे, सभी ने ऑफलाइन या फिर ऑनलाइन गेमिंग को ही टाइमपास का जरिया बनाया, लेकिन आज ये जिंदगी का एक हिस्सा बन चुका है. जो लोगों की सेहत के लिए काफी खतरनाक (disadvantages of mobile games) है. बोस्टिंग कंसल्टिंग ग्रुप की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 30 करोड़ लोग मोबाइल पर गेम खेलते हैं. कोराना के दौरान ये कारोबार लगभग 80 प्रतिशत बढ़ा है. साल 2023 में इसका बाजार करीब 5 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान जताया जा रहा है.

mobile game craze increased
मोबाइल पर ऑनलाइन और ऑफलाइन गेमिंग ऐप का इस्तेमाल करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

महिलाओं में भी बढ़ रही लत- सबसे बड़ी बात ये है कि इस ऑनलाइन गेमिंग की लत (mobile game addiction is increasing) केवल बच्चों और युवाओं को ही नहीं है बल्कि महिलाएं भी इसमें तेजी के साथ शामिल हो रही हैं. हाल में ही आए एक वेबसाइट inmobi के सर्वे के अनुसार भारत में लगभग 43% महिलाएं गेमिंग ऐप यूज कर रही हैं. देश में आज विभिन्न प्रकार के गेम उपलब्ध हैं. जहां पर आप ऑफलाइन भी खेल सकते हैं और ऑनलाइन भी. गेम डिजाइनरों की माने तो गेमिंग को इंसान के दिमाग के अनुसार डिजाइन किया जाता है.

बच्चों के लिए जो कंटेंट तैयार किए जाते हैं. वो अलग प्रकार से तैयार किए जाते हैं. युवाओं के लिए जो गेम बनाए जाते हैं. उनमें दूसरे कंटेंट का इस्तेमाल किया जाता है. ऑडियंस को खास तौर से ध्यान में रखते हुए गेम बनाए जाते हैं. गेम बनाने के लिए पहले ऑडियंस पर स्टडी की जाती है. उसके बाद ड्राफ्ट तैयार करके पूरी प्लानिंग करके कोडिंग तैयार की जाती है और कोडिंग में विशेष तौर से ध्यान रखा जाता है कि जिस जनरेशन के लिए गेम बनाया जा रहा है. उसको उस गेम में भरपूर मनोरंजन और एडवेंचर मिले.

लत के लिए डोपामाइन केमिकल जिम्मेदार- फरीदाबाद सिविल अस्पताल में मनोचिकित्सक धर्मवीर नेहरा ने बताया कि आज ऑनलाइन और ऑफलाइन गेम क्रेज स्कूली बच्चों और युवाओं में सबसे ज्यादा है. उन्होंने बताया कि इंसान हमेशा चाहता है कि उसका दर्द कम हो और उसे ज्यादा से ज्यादा आनंद मिले, जीतना और चैलेंज को पार करना ये सब चीजें हमें एडवेंचर देती हैं. जब भी हम जीत पाते हैं या फिर किसी चैलेंज को पार कर पाते हैं तो दिमाग में डोपामाइन नाम का केमिकल रिलीज होता है.

जिससे हमें खुशी मिलती है और जब हम गेम नहीं खेलते हैं तो हमारा शरीर डोपामाइन की मांग करता है. इस कारण से हमें बार-बार गेम खेलने की आदत बन जाती है. डॉक्टर ने बताया कि आज के वक्त में ऑनलाइन और ऑफलाइन गेमिंग बेहद खतरनाक है. इससे आखों और दिमाग पर गहरा असर पड़ता है. अगर अपने बच्चों को इस से दूर रखना है तो खास तौर से माता-पिता को विशेष ध्यान देना होगा. बच्चों को फिजिकली गेम खिलाना चाहिए साथ ही बच्चों की जो हॉबी है. उस पर ध्यान देना चाहिए. मोबाइल बच्चों की पहुंच से दूर रखना चाहिए.

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Last Updated : Apr 15, 2022, 7:57 PM IST
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