फरीदाबाद: जिले के कॉलेजों में लोहड़ी का त्योहार मनाया गया. इस दौरान महिलाओं और कालेज के छात्रों ने खुब मस्ती की. सभी छात्रों ने एक दूसरे को मुंगफली और रेवड़ी बांट कर लोहड़ी के त्योहार को मनाया.
जश्न में डूब कर छात्रों ने मनाया लोहड़ी का त्योहार
जहां पूरे देश में लोहड़ी के त्योहार को बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया गया. वहीं फरीदाबाद में भी छात्रों ने इस पावन त्योहार को अपने कॉलेज प्रांगण में नाच-गाकर और एक दूसरे को रेवड़ीया खिलाकर मनाया. छात्रों ने कॉलेज प्रांगण में ही आग जलाकर त्योहार लोहड़ी के गीत गाए. इस दौरान छात्राओं ने आपस में खूब मस्ती की.
समाज को एक दूसरे से जोड़ता है लोहड़ी
छात्रों का कहना है कि यह त्योहार समाज को जोड़ने का त्योहार है. इस दिन जो इस त्योहार को मनाता है वह अपने घर के लोहड़ी के लिए आग जलाते है. जिसमे आस-पास के लोग भी इसमें शामिल होते और सभी इकठ्ठा होकर एक साथ आग में मूँगफली और रेवड़ी डाल कर लोहड़ी का गीत गाते हुए खुशी मनाते हैं. साथ ही ढोल की थाप पर सभी नाचते हुए खुशियां मनाते है.
लोहड़ी का पर्व आज
लोहड़ी का पर्व आज धूमधाम से मनाया जा रहा है. इसमें अग्नि प्रज्जवलित कर पंजाबी समाज के लोग उसकी परिक्रमा करते हैं. साथ ही अच्छी फसल, स्वास्थ्य और व्यापार की कामना के साथ अग्नि में रेवड़ी, मक्का, गजक अर्पित करते हैं. इसके बाद प्रसादी का वितरण किया जाता है.
क्यों मनाया जाता है लोहड़ी का त्योहार ?
पौराणिक मान्यता के अनुसार सती के त्याग के रूप में ये त्योहार मनाया जाता है. माना जाता है कि जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नी सती ने आत्मदाह कर लिया था. उसी दिन की याद में ये पर्व मनाया जाता है.
इसके अलावा ये भी मान्यता है कि सुंदरी और मुंदरी नाम की लड़कियों को सौदागरों से बचाकर दुल्ला भट्टी ने हिंदू लड़कों से उनकी शादी करवा दी थी. इसके अलावा कहा ये भी जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में इस पर्व को मनाया जाता है.
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वहीं एक और मान्यता के अनुसार द्वापर युग में जब सभी लोग मकर संक्रांति का पर्व मनाने में व्यस्त थे. तब बालक कृष्ण को मारने के लिए कंस ने लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल भेजा, जिसे बालक कृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था. लोहिता नामक राक्षसी के नाम पर ही लोहड़ी उत्सव का नाम रखा गया. उसी घटना को याद करते हुए लोहड़ी पर्व मनाया जाता है.