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मामूली बजट में मछली पालन कर इस महिला ने बदल दिए अपने हालात, महीने में होती है लाखों की आय - मत्स्य पालन सब्सिडी हरियाणा हिंदी

फरीदाबाद की रहने वाली बबीता पूरे जिले की इकलौती महिला मछली पालक (Faridabad Lady Fisherman) हैं. वो मछली पालन करके ना केवल अपने आर्थिक हालात को मजबूत बनाया. बल्कि आज वह दूसरी महिलाओं को भी मछली पालन की प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्म निर्भर बनने में मदद कर रही है.

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मामूली बजट में मछली पालन कर इस महिला ने बदल दिए अपने हालात
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Published : Nov 3, 2021, 7:35 PM IST

फरीदाबाद: महिलाएं आज किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं है. महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया है. हरियाणा की फरीदाबाद (Faridabad) जिले में रहने वाली बबीता भी बात सच साबित कर रही हैं. बबीता मछली पालने के व्यवसाय में सफलता के मुकाम छू रही हैं. आज बबीता ना सिर्फ खुद एक प्रगतिशील किसान (Female Progressive Farmer) हैं, बल्कि दूसरी महिलाओं को मछली पालन की ट्रेनिंग देकर उन्हें सक्षम बनने में मदद कर रही हैं.

करीब 5 साल पहले जब बबीता ने मछली पालन के इस काम को शुरू किया था तो बहुत से लोगों ने उनको कहा था कि एक महिला मछली पालन का काम कैसे करेगी, लेकिन बबीता ने लोगों के इन सवालों का जवाब देते हुए ना केवल मछली पालन व्यवसाय (Fish Farming Business) में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. बल्कि समाज की उन महिलाओं के लिए भी वह एक प्रेरणा बनकर सामने आई है जो महिलाएं अपना रोजगार स्थापित करना चाहती हैं.

मामूली बजट में मछली पालन कर इस महिला ने बदल दिए अपने हालात, देखिए वीडियो

बबीता ने अपने ससुर के साथ मिलकर फूलों की खेती (Flower farming) भी की है, लेकिन फूलों की खेती और अपने पति के डेयरी के व्यवसाय से अलग बबीता कुछ अलग करना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने अपने आर्थिक हालातों का सामना करते हुए मछली पालन के व्यवसाय को चुना. उन्होंने पहले करीब दो लाख रुपये खर्च कर 3 बीघा में मछली पालन का काम शुरू किया, जिसमें उनको काफी अच्छा मुनाफा हुआ. इसके बाद बबीता ने मछली पालन के कामकाज को बढ़ाने का फैसला किया और 5 एकड़ में मछली पालन शुरू कर दी.

ये पढ़ें- हिमाचल उपचुनाव में किसान आंदोलन रहा भाजपा की हार का फैक्टर- राकेश टिकैत

बबीता का कहना है कि मछली पालन ने उनके आर्थिक हालात को सुधारने में काफी मदद की. आज बबीता की मासिक आय लाखों रुपये में होती है. बबीता का कहना है कि शुरुआत में उनको भारी नुकसान का सामना करना पड़ा, लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी. मत्स्य विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर मछली पालन के गुर को सीखा. जिसके बाद मछली पालन में धीरे-धीरे हालात सुधरने लगे.

फरीदाबाद में बबीता इकलौती ऐसी महिला थी जिन्होंने मछली पालन के काम को चुना था. आमतौर पर इस काम में महिलाएं नहीं आती थी. उनके पास 6 से 7 प्रकार की मछलियों को पाला जाता है. मछलियों के तालाब में बीज डालने से लेकर बाजार पहुंचने तक का वह सारा कामकाज बबीता और उनके पति दीपक करते हैं. कई सारी महिलाएं उनके पास मछली पालन के प्रशिक्षण अकेली आती रहती हैं. वह महिलाओं के साथ प्रशिक्षण शिविरों का भी आयोजन करते हैं. उनका मानना है कि किसी भी काम में महिलाएं पीछे नहीं होनी चाहिए, चाहे वह मछली पालन ही क्यों ना हो.

पढ़ें :- दिवाली पर घर नहीं जाएगे टिकैत, बोले- अब कृषि कानूनों की वापसी पर होगी दीवाली

फरीदाबाद मत्स्य विभाग के अधिकारियों को भी बबीता की इस उपलब्धि पर गर्व करते हैं. मत्स्य विभाग के अधिकारी रीटा ने बताया कि बबीता एक इकलौती ऐसी महिला हैं जिन्होंने मछली विभाग के व्यवसाय में अपना एक अलग नाम बनाया है. मत्स्य विभाग के द्वारा मछली पालन के लिए अनुदान दिया जाता है. मत्स्य विभाग के अनुसार ढाई एकड़ में तालाब बनाने पर 7 लाख का खर्च आता है जिसमें मत्स्य विभाग की तरफ से 60% अनुदान अनुसूचित जाति, कमजोर वर्ग और महिलाओं के लिए दिया जाता है. सामान्य श्रेणी के लिए 40% का अनुदान दिया जाता है.

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फरीदाबाद: महिलाएं आज किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं है. महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया है. हरियाणा की फरीदाबाद (Faridabad) जिले में रहने वाली बबीता भी बात सच साबित कर रही हैं. बबीता मछली पालने के व्यवसाय में सफलता के मुकाम छू रही हैं. आज बबीता ना सिर्फ खुद एक प्रगतिशील किसान (Female Progressive Farmer) हैं, बल्कि दूसरी महिलाओं को मछली पालन की ट्रेनिंग देकर उन्हें सक्षम बनने में मदद कर रही हैं.

करीब 5 साल पहले जब बबीता ने मछली पालन के इस काम को शुरू किया था तो बहुत से लोगों ने उनको कहा था कि एक महिला मछली पालन का काम कैसे करेगी, लेकिन बबीता ने लोगों के इन सवालों का जवाब देते हुए ना केवल मछली पालन व्यवसाय (Fish Farming Business) में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. बल्कि समाज की उन महिलाओं के लिए भी वह एक प्रेरणा बनकर सामने आई है जो महिलाएं अपना रोजगार स्थापित करना चाहती हैं.

मामूली बजट में मछली पालन कर इस महिला ने बदल दिए अपने हालात, देखिए वीडियो

बबीता ने अपने ससुर के साथ मिलकर फूलों की खेती (Flower farming) भी की है, लेकिन फूलों की खेती और अपने पति के डेयरी के व्यवसाय से अलग बबीता कुछ अलग करना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने अपने आर्थिक हालातों का सामना करते हुए मछली पालन के व्यवसाय को चुना. उन्होंने पहले करीब दो लाख रुपये खर्च कर 3 बीघा में मछली पालन का काम शुरू किया, जिसमें उनको काफी अच्छा मुनाफा हुआ. इसके बाद बबीता ने मछली पालन के कामकाज को बढ़ाने का फैसला किया और 5 एकड़ में मछली पालन शुरू कर दी.

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बबीता का कहना है कि मछली पालन ने उनके आर्थिक हालात को सुधारने में काफी मदद की. आज बबीता की मासिक आय लाखों रुपये में होती है. बबीता का कहना है कि शुरुआत में उनको भारी नुकसान का सामना करना पड़ा, लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी. मत्स्य विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर मछली पालन के गुर को सीखा. जिसके बाद मछली पालन में धीरे-धीरे हालात सुधरने लगे.

फरीदाबाद में बबीता इकलौती ऐसी महिला थी जिन्होंने मछली पालन के काम को चुना था. आमतौर पर इस काम में महिलाएं नहीं आती थी. उनके पास 6 से 7 प्रकार की मछलियों को पाला जाता है. मछलियों के तालाब में बीज डालने से लेकर बाजार पहुंचने तक का वह सारा कामकाज बबीता और उनके पति दीपक करते हैं. कई सारी महिलाएं उनके पास मछली पालन के प्रशिक्षण अकेली आती रहती हैं. वह महिलाओं के साथ प्रशिक्षण शिविरों का भी आयोजन करते हैं. उनका मानना है कि किसी भी काम में महिलाएं पीछे नहीं होनी चाहिए, चाहे वह मछली पालन ही क्यों ना हो.

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फरीदाबाद मत्स्य विभाग के अधिकारियों को भी बबीता की इस उपलब्धि पर गर्व करते हैं. मत्स्य विभाग के अधिकारी रीटा ने बताया कि बबीता एक इकलौती ऐसी महिला हैं जिन्होंने मछली विभाग के व्यवसाय में अपना एक अलग नाम बनाया है. मत्स्य विभाग के द्वारा मछली पालन के लिए अनुदान दिया जाता है. मत्स्य विभाग के अनुसार ढाई एकड़ में तालाब बनाने पर 7 लाख का खर्च आता है जिसमें मत्स्य विभाग की तरफ से 60% अनुदान अनुसूचित जाति, कमजोर वर्ग और महिलाओं के लिए दिया जाता है. सामान्य श्रेणी के लिए 40% का अनुदान दिया जाता है.

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