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सूरजकुंड मेले में हरियाणवी रसोई का जलवा, पर्यटकों की पहली पसंद बना देशी घी का चूरमा - फरीदाबाद में 34वां सूरजकुंड मेला

फरीदाबाद में 34वां सूरजकुंड मेला चल रहा है. इस मेले में इस बार हरियणवी रसोई का जादू चल रहा है. देश-विदेश से घूमने आए पर्यटकों को ये रसोई बहुत पसंद आ रही है. मेले में आए पर्यटकों को हरियाणवी चूरमा पसंद आ रहा है.

haryanvi rasoi in international surajkund fair 2020
haryanvi rasoi in international surajkund fair 2020
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Published : Feb 14, 2020, 1:24 PM IST

Updated : Feb 14, 2020, 2:14 PM IST

फरीदाबाद: 34वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफ्ट मेले में इस बार हरियाणवी रसोई देशी-विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद में शुमार होती जा रही है. देशी हो या विदेशी हर किसी को यहां का देशी घी का चूरमा इस कदर भा रहा है कि वे इसका स्वाद लेने के बाद इसे अपने साथ ले जाना भी नहीं भूलते.

हरियाणवी रसोई के स्टॉल नंबर-34 को चलाने वाले कुरुक्षेत्र के हरिओम का कहना है कि हरियाणा का पारंपरिक भोजन अब लोगों की थाली से गायब होता जा रहा है. इसी को देखते हुए कई साल पहले उनके मन में आइडिया आया कि क्यों न अपने हरियाणा के पारंपरिक भोजन के स्वाद से देश दुनिया को रूबरू करवाया जाए.

सूरजकुंड मेले में देशी घी का चूरमा

इसी को देखते हुए उन्होंने सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में अपना स्टाल लगाया. यहां उनके स्टाल पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल से लेकर तमाम राजनैतिक और फिल्म जगत की हस्तियों ने दौरा किया और स्वाद चखा. यहां उन्होंने ये ध्यान रखा कि हरियाणा के गांवों में जिस तरह से भोजन तैयार किया जाता है, उसमें कोई बदलाव न किया जाए. उन्होंने सबसे पहले देशी घी का चूरमा तैयार किया.

सूरजकुंड मेले में हरियाणवी रसोई का जलवा, देखें वीडियो

मिट्टी के बर्तन में बाजरे की खिचड़ी

होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर चुके हरिओम ने चूरमें को कई स्वाद में पेश किया है. जिसकी वजह से लोगों ने और ज्यादा पसंद करना शुरू कर दिया. इसके अलावा बाजरे की खिचड़ी को भी उन्होंने मिट्टी के बर्तनों में पारंपरिक रूप में तैयार किया तो ये भी लोगों की पसंद बनता गया.

मेले में हरिणावी धाली का जलवा

हरिओम बताते हैं कि पंजाबी खाने की तरह ही उन्होंने हरियाणवी खाने का एक तालमेल प्रस्तुत किया. हरियाणवी थाली के नाम से अपनी भरी-पूरी थाली स्वाद के दीवानों को भेंट की. इस थाली में बाजरे की रोटी, मक्खन, हरा साग, लहसुन की चटनी इसमें रखी गई. इसके साथ ही गुड़ की एक डली भी इसमें रखी गई ताकि खाने में स्वाद का जायका बढ़ाया जा सके.

ये भी पढ़ें- 16 फरवरी को नई पार्टी की घोषणा कर सकते हैं अशोक तंवर !

उन्होंने बताया कि हरियाणा के पारंपरिक भोजन खत्म होते जा रहे हैं और हमें इन्हें बढ़ावा देना होगा. उनका कहना है कि देशी ही नहीं बल्कि विदेशी भी उनके इस खाने को खाने के बाद स्वाद की तारीफ करते हैं और चूरमा तो वे अपने साथ भी पैक करवाकर भी ले जा रहे हैं.

मेले में गुड़ा का देशी घी का हलवा

हरियाणवी स्टॉल में चटनी और मक्खन के साथ हरियाणवी वेज स्टफ परांठा, गुड़ का देशी घी का हलवा, हरियाणवी खीर, घी शक्कर, मीठी और नमकीन लस्सी, देसी घी का दलिया, हरियाणवी कढ़ी-चावल का जायका भी इस स्टाल पर आपको मिलेगा.

फरीदाबाद: 34वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफ्ट मेले में इस बार हरियाणवी रसोई देशी-विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद में शुमार होती जा रही है. देशी हो या विदेशी हर किसी को यहां का देशी घी का चूरमा इस कदर भा रहा है कि वे इसका स्वाद लेने के बाद इसे अपने साथ ले जाना भी नहीं भूलते.

हरियाणवी रसोई के स्टॉल नंबर-34 को चलाने वाले कुरुक्षेत्र के हरिओम का कहना है कि हरियाणा का पारंपरिक भोजन अब लोगों की थाली से गायब होता जा रहा है. इसी को देखते हुए कई साल पहले उनके मन में आइडिया आया कि क्यों न अपने हरियाणा के पारंपरिक भोजन के स्वाद से देश दुनिया को रूबरू करवाया जाए.

सूरजकुंड मेले में देशी घी का चूरमा

इसी को देखते हुए उन्होंने सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में अपना स्टाल लगाया. यहां उनके स्टाल पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल से लेकर तमाम राजनैतिक और फिल्म जगत की हस्तियों ने दौरा किया और स्वाद चखा. यहां उन्होंने ये ध्यान रखा कि हरियाणा के गांवों में जिस तरह से भोजन तैयार किया जाता है, उसमें कोई बदलाव न किया जाए. उन्होंने सबसे पहले देशी घी का चूरमा तैयार किया.

सूरजकुंड मेले में हरियाणवी रसोई का जलवा, देखें वीडियो

मिट्टी के बर्तन में बाजरे की खिचड़ी

होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर चुके हरिओम ने चूरमें को कई स्वाद में पेश किया है. जिसकी वजह से लोगों ने और ज्यादा पसंद करना शुरू कर दिया. इसके अलावा बाजरे की खिचड़ी को भी उन्होंने मिट्टी के बर्तनों में पारंपरिक रूप में तैयार किया तो ये भी लोगों की पसंद बनता गया.

मेले में हरिणावी धाली का जलवा

हरिओम बताते हैं कि पंजाबी खाने की तरह ही उन्होंने हरियाणवी खाने का एक तालमेल प्रस्तुत किया. हरियाणवी थाली के नाम से अपनी भरी-पूरी थाली स्वाद के दीवानों को भेंट की. इस थाली में बाजरे की रोटी, मक्खन, हरा साग, लहसुन की चटनी इसमें रखी गई. इसके साथ ही गुड़ की एक डली भी इसमें रखी गई ताकि खाने में स्वाद का जायका बढ़ाया जा सके.

ये भी पढ़ें- 16 फरवरी को नई पार्टी की घोषणा कर सकते हैं अशोक तंवर !

उन्होंने बताया कि हरियाणा के पारंपरिक भोजन खत्म होते जा रहे हैं और हमें इन्हें बढ़ावा देना होगा. उनका कहना है कि देशी ही नहीं बल्कि विदेशी भी उनके इस खाने को खाने के बाद स्वाद की तारीफ करते हैं और चूरमा तो वे अपने साथ भी पैक करवाकर भी ले जा रहे हैं.

मेले में गुड़ा का देशी घी का हलवा

हरियाणवी स्टॉल में चटनी और मक्खन के साथ हरियाणवी वेज स्टफ परांठा, गुड़ का देशी घी का हलवा, हरियाणवी खीर, घी शक्कर, मीठी और नमकीन लस्सी, देसी घी का दलिया, हरियाणवी कढ़ी-चावल का जायका भी इस स्टाल पर आपको मिलेगा.

Last Updated : Feb 14, 2020, 2:14 PM IST
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