ETV Bharat / state

34वां सूरजकुंड मेला: नाबार्ड की मदद और हस्त कलाकारों का हुनर, मेले में जरूर देखें ये सामान

फरीदाबाद में 34वां सूरजकुंड मेला जारी है. मेले में हस्तकलाकारों की धूम है. वहीं ऐसे भी स्टॉल मौजूद हैं, जो अपने अच्छे खासे मुनाफे और प्रदर्शनी के लिए नाबार्ड को श्रेय देते हैं.

34वां सूरजकुंड मेला
34वां सूरजकुंड मेला
author img

By

Published : Feb 6, 2020, 9:28 AM IST

फरीदाबाद: इस बार के सूरजकुंड मेले में नाबार्ड का विशेष योगदान है. नाबार्ड के माध्यम से देश के 55 कलाकारों को मेले में अपने उत्पाद प्रदर्शित करने का मौका मिला है और उनके रहने, खाने और यात्रा सहित स्टॉल उपलब्ध करवाने का सारा इंतजाम भी नाबार्ड ने ही किया है.

मेले में नाबार्ड के माध्यम से 50 स्टॉल लगी हैं और हर स्टॉल पर आपको स्वंय सहायता समूह और लघु उद्योगों के कलाकारों द्वारा अपने हाथों से बनाए उत्पाद देखे जा सकते हैं. नीम की लकड़ी से घर सजावट की कलाकृतियां बनाने वाले आंध्र प्रदेश के हस्तशिल्पकार ने बताया कि उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी लकड़ी से घर सजावट का सामान बनाने का काम कर रहा है.

नाबार्ड की मदद और हस्तकलाकारों का हुनर, देखें वीडियो

लकड़ी से बना है सजावट का सामान
उन्होंने कहा कि ये पहला मौका है जब वो इतने बड़े मेले में अपनी कलाकृतियों को लेकर आए हैं और ये सब नाबार्ड की बदौलत है. मेले की 617 नम्बर स्टॉल पर नीम की लकड़ी से बनी घर सजावट की 500 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक की कलाकृतियां उपलब्ध हैं. यहां आकर खुद ही कलाकारों की मेहनत का अंदाजा लगाया जा सकता है.

नाबार्ड की स्टॉलों में ही हरियाणा के करनाल से आई राजवंती बताती हैं कि वो इससे पहले भी दो बार इस मेले में आ चुकी हैं और लखनऊ, अमृतसर, चंडीगढ़, पटना व लुधियाना में भी स्टॉल लगा चुकी हैं. श्रीराम स्वयं सहायता समूह से जुड़ी राजवंती ने बताया कि नाबार्ड से जुड़ाव के बाद उनके उत्पाद बेचने और प्रदर्शन में बहुत ज्यादा सहायता मिली है.

ये भी पढ़ें- धर्म भ्रष्ट किए बिना टेस्ट करना चाहते हैं 'नॉनवेज' तो पहुंच जाएं सूरजकुंड मेला!

'नाबार्ड ने की काफी सहायता'
बारह महिलाओं वाले स्वयं सहायता समूह द्वारा टेराकोटा से आर्कषक एवं सुंदर वस्तु बनाई जा रही हैं. राजवंती ने बताया कि उनके स्वयं सहायता समूह में करीब 15 महिलाएं शामिल हैं. करीब 8 साल पहले नाबार्ड से जुड़ने के बाद से उन सबकी जिंदगी ही बदल गई और पहले जहां उनका काम केवल मिट्टी के बर्तन बनाने तक सिमित था, अब उनका समूह कई प्रकार के उत्पाद बना रहा है और इस काम से उन्हें काफी मुनाफा भी हो जाता है.

स्वंय सहायता समूह ने बनाए परिंदों के रेडी टू मूव घोसले
मेले में 628 नम्बर की स्टॉल राजवंती की है और इस स्टॉल की खास बात ये है कि यहां पक्षियों के लिए घोसले भी मिल रहे हैं. आने वाला समय गर्मी का है, इसलिए इनके घोसलों की काफी डिमांड है. बेजुबान परिंदों को कंक्रीट के जंगलों में बने बनाए घोसले मिलना बड़ी राहत है. इन घोसलों को काफी कम रेट पर खरीदा जा सकता है. इस स्टाल पर 20 रुपए से लेकर 2 हजार रुपए तक की वस्तुएं उपलब्ध हैं.

सिर चढ़ कर बोल रही बांस पर कारीगरी
मेले की 609 नंबर स्टॉल पर पश्चिम बंगाल के मालदा से आए मानवेन्द्र नाथ की कारीगरी भी कुछ हटके है. वो बांस से बनी वस्तुओं को लेकर मेले में पहुंचे हैं और बताते हैं कि 1998 से वो इस काम में लगे हैं. उनके पास 50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक की घर सजावट की चीजें उपलब्ध हैं. नाबार्ड से जुड़ने के बाद उन्हें काफी सहायता हुई है और इस मेले में भी वो नाबार्ड के माध्यम से ही आए हैं.

ये भी पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में पंजाब पुलिस ने चौपाल में बिखेरा जलवा

फरीदाबाद: इस बार के सूरजकुंड मेले में नाबार्ड का विशेष योगदान है. नाबार्ड के माध्यम से देश के 55 कलाकारों को मेले में अपने उत्पाद प्रदर्शित करने का मौका मिला है और उनके रहने, खाने और यात्रा सहित स्टॉल उपलब्ध करवाने का सारा इंतजाम भी नाबार्ड ने ही किया है.

मेले में नाबार्ड के माध्यम से 50 स्टॉल लगी हैं और हर स्टॉल पर आपको स्वंय सहायता समूह और लघु उद्योगों के कलाकारों द्वारा अपने हाथों से बनाए उत्पाद देखे जा सकते हैं. नीम की लकड़ी से घर सजावट की कलाकृतियां बनाने वाले आंध्र प्रदेश के हस्तशिल्पकार ने बताया कि उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी लकड़ी से घर सजावट का सामान बनाने का काम कर रहा है.

नाबार्ड की मदद और हस्तकलाकारों का हुनर, देखें वीडियो

लकड़ी से बना है सजावट का सामान
उन्होंने कहा कि ये पहला मौका है जब वो इतने बड़े मेले में अपनी कलाकृतियों को लेकर आए हैं और ये सब नाबार्ड की बदौलत है. मेले की 617 नम्बर स्टॉल पर नीम की लकड़ी से बनी घर सजावट की 500 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक की कलाकृतियां उपलब्ध हैं. यहां आकर खुद ही कलाकारों की मेहनत का अंदाजा लगाया जा सकता है.

नाबार्ड की स्टॉलों में ही हरियाणा के करनाल से आई राजवंती बताती हैं कि वो इससे पहले भी दो बार इस मेले में आ चुकी हैं और लखनऊ, अमृतसर, चंडीगढ़, पटना व लुधियाना में भी स्टॉल लगा चुकी हैं. श्रीराम स्वयं सहायता समूह से जुड़ी राजवंती ने बताया कि नाबार्ड से जुड़ाव के बाद उनके उत्पाद बेचने और प्रदर्शन में बहुत ज्यादा सहायता मिली है.

ये भी पढ़ें- धर्म भ्रष्ट किए बिना टेस्ट करना चाहते हैं 'नॉनवेज' तो पहुंच जाएं सूरजकुंड मेला!

'नाबार्ड ने की काफी सहायता'
बारह महिलाओं वाले स्वयं सहायता समूह द्वारा टेराकोटा से आर्कषक एवं सुंदर वस्तु बनाई जा रही हैं. राजवंती ने बताया कि उनके स्वयं सहायता समूह में करीब 15 महिलाएं शामिल हैं. करीब 8 साल पहले नाबार्ड से जुड़ने के बाद से उन सबकी जिंदगी ही बदल गई और पहले जहां उनका काम केवल मिट्टी के बर्तन बनाने तक सिमित था, अब उनका समूह कई प्रकार के उत्पाद बना रहा है और इस काम से उन्हें काफी मुनाफा भी हो जाता है.

स्वंय सहायता समूह ने बनाए परिंदों के रेडी टू मूव घोसले
मेले में 628 नम्बर की स्टॉल राजवंती की है और इस स्टॉल की खास बात ये है कि यहां पक्षियों के लिए घोसले भी मिल रहे हैं. आने वाला समय गर्मी का है, इसलिए इनके घोसलों की काफी डिमांड है. बेजुबान परिंदों को कंक्रीट के जंगलों में बने बनाए घोसले मिलना बड़ी राहत है. इन घोसलों को काफी कम रेट पर खरीदा जा सकता है. इस स्टाल पर 20 रुपए से लेकर 2 हजार रुपए तक की वस्तुएं उपलब्ध हैं.

सिर चढ़ कर बोल रही बांस पर कारीगरी
मेले की 609 नंबर स्टॉल पर पश्चिम बंगाल के मालदा से आए मानवेन्द्र नाथ की कारीगरी भी कुछ हटके है. वो बांस से बनी वस्तुओं को लेकर मेले में पहुंचे हैं और बताते हैं कि 1998 से वो इस काम में लगे हैं. उनके पास 50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक की घर सजावट की चीजें उपलब्ध हैं. नाबार्ड से जुड़ने के बाद उन्हें काफी सहायता हुई है और इस मेले में भी वो नाबार्ड के माध्यम से ही आए हैं.

ये भी पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में पंजाब पुलिस ने चौपाल में बिखेरा जलवा

Intro:इस बार के सूरजकुंड मेले में नाबार्ड का विशेष योगदान है। नाबार्ड के माध्यम से देश के 55 कलाकारों को मेले में अपने उत्पाद प्रदर्शित करने का मौका मिला है और उनके रहने, खाने और यात्रा सहित स्टाल उपलब्ध करवाने का सारा ईंतजाम भी नाबार्ड ने ही किया है।Body:मेले में नाबार्ड के माध्यम से 50 स्टाल लगी हैं और हर स्टाल पर आपको स्वयं सहायता समूह और लघु उद्योगों के कलाकारों द्वारा अपने हाथों से बनाए उत्पाद देखे जा सकते हैं। नीम की लकडी से घर सजावट की कलाकृतियां बनाने वाले आंध्र प्रदेश के ने बातचीत के दौरान बताया कि उनका परिवार पीढी दर पीढ़ी लकडी से घर सजावट का सामान बनाने का काम कर रहा है। यह पहला मौका है जब वे इतने बडे मेले में अपनी कलाकृतियों को लेकर आए हैं और यह सब नाबार्ड की बदौलत है। मेले की 617 नम्बर स्टाल पर नीम की लकडी से बनी घर सजावट की 500 रूपए से लेकर 2 लाख रूपए तक की कलाकृतियां उपलब्ध है। यहां आकर स्वत: ही कलाकारों की मेहनत का अंदाजा लगाया जा सकता है।
स्वयं सहायता समूह ने बनाए परिंदों के रेडी टू मूव घोसले
नाबार्ड की स्टालों में ही हरियाणा के करनाल से आई राजवंती बताती हैं कि वे इससे पहले भी दो बार इस मेले में आ चुकी हैं और लखनऊ, अमृतसर, चंडीगढ, पटना व लुधियाना में भी स्टाल लगा चुकी हैं। श्रीराम स्वयं सहायता समूह से जुड़ी राजवंती ने बताया कि नाबार्ड से जुड़ाव के बाद उनके उत्पाद बेचने और प्रदर्शन में बहुत ज्यादा सहायता मिली है। बारह महिलाओं वाले स्वयं सहायता समूह द्वारा टेराकोटा से आर्कषक एवं सुंदर वस्तुए बनाई जा रही हैं। राजवंती ने बताया कि उनके स्वयं सहायता समूह में करीब 15 महिलाएं शामिल है। करीब 8 साल पहले नाबार्ड से जुडने के बाद से उन सबकी जिंदगी ही बदल गई और पहले जहां उनका काम केवल मिट्टïी के बर्तन बनाने तक सिमित था। अब उनका समूह कई प्रकार के उत्पाद बना रहा है और इस काम से उन्हें काफी मुनाफा भी हो जाता है। मेले में 628 नम्बर की स्टाल राजवंती की हैं और इस स्टाल की खास बात यह है कि यहां पक्षियों के लिए घोसलेें भी मिल रहे हैं। आने वाला समय गर्मी का है। इसलिए इनके घोसलों की काफी डिमांड है। बेजुबान परिंदों को कंक्रीट के जंगलों में बने बनाए घोसले मिलना बड़ी राहत है। इन घोसलों को काफी कम रेट पर खरीदा जा सकता है। इस स्टाल पर 20 रूपए से लेकर 2 हजार रूपए तक की वस्तुएं उपलब्ध हैं।
सिर चढ़ कर बोल रही बांस पर कारीगरी
मेले की 609 नम्बर स्टाल पर पश्चिम बंगाल के मालदा से आए मानवेन्द्र नाथ की कारीगरी भी कुछ हटके है। वे बांस से बनी वस्तुओं को लेकर मेले में पहुंचे हैं और बताते हैं कि 1998 से वे इस काम में लगे हैं। उनके पास 50 रूपए से लेकर 500 रूपए तक की घर सजावट की चीजे उपलब्ध हैं। नाबार्ड से जुडऩे के बाद काफी सहायता हुई है और इस मेले में भी वे नाबार्ड के माध्यम से ही आए हैं। उनकी यात्रा सहित खाने और रहने का ईंतजाम भी नाबार्ड द्वारा ही किया गया है।

बाईट--राजवंती, नाबार्ड हस्तशिल्पी ओर अन्य हस्तशिल्पी

बाईट-- विनय कुमार त्रिपाठी। जिला नाबार्ड अधिकारी, फरीदाबादConclusion:नाबार्ड के माध्मय से मेले में आए ये कलाकार बताते हैं कि दिन प्रतिदिन मेले में दर्शकों का रूझान बढ रहा है और उनको काफी फायदा भी हो रहा है। वास्तव में यह मेला दुनिया का सबसे बडा हस्तकर्धा मेंला है और यहां बेहतरीन व्यवस्थाएं हैं।  
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.