फरीदाबाद: हरियाणा में किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी की तरफ बढ़ रहे हैं. इसके लिए प्रदेश सरकार किसानों को प्रोत्साहन भी कर रही है. अब किसान खेती करने के नए-नए तरीके खोज कर मुनाफा तो कमा ही रहे हैं, लेकिन साथ में अपना नाम भी बना रहे हैं. आपको बताते हैं फरीदाबाद के फतेहपुर बल्लौच गांव के किसानों की सफल कहानी. जिन्होंने फूलों की खेती करके अपनी आमदनी को दोगुना किया है. यहां के किसानों ने फूलों की खेती कर नई मिसाल कायम की है. गांव के किसानों का दावा है कि यह गांव, फूलों की खेती के लिए पूरे एनसीआर में मशहूर है और तरह-तरह के फूल लेने के लिए न केवल छोटे व्यापारी बल्कि दिल्ली जैसी बड़ी सिटी के भी अधिकांश व्यापारी इसी गांव में पहुंचते हैं.
फूलों की खेती से किसानों की चांदी: किसानों का कहना है कि उन्होंने फूलों की खेती के लिए अपनी जॉब भी छोड़ दी. पारंपरिक खेती को भी उन्होंने छोड़ दिया है. अब वो केवल फूलों की ही खेती कर रहे हैं और इस खेती से किसानों को मुनाफा भी मिल रहा है. किसानों ने बताया कि वो फूलों की बिक्री दिल्ली गाजीपुर मंडी में बेचते हैं. उन्होंने कहा कि जब उन्होंने इस खेती को शुरू किया तो उस समय देश में कोरोना महामारी का संकट था. जिससे लॉकडाउन के चलते उनकी फूलों की खेती को काफी नुकसान हुआ और फूल खेतों में ही सूख गए.
कमाई का बेहतर साधन: फतेहपुर बल्लौच गांव व आसपास के गांवों में करीब 400 किसान फूल उत्पादन करते हैं. यहां पर करीब 1100 एकड़ भूमि पर फूलों की खेती हो रही है. किसान रजनीगंधा और ग्लाइड के फूलों की खेती करते हैं. फतेहपुर बिल्लौच के किसान प्रमोद कुमार बताते हैं कि हम रजनीगंधा और ग्लेडियोलस की खेती करते हैं. पहले धान गेहूं की खेती करते थे. उससे मुनाफा कम होता था. कुछ समय नौकरी भी की, उससे कोई ज्यादा फायदा नहीं होता था. उसके बाद फूलों की खेती शुरू की उससे मुनाफा दोगुना हो गया है. साथ ही साथ परिवार से भी जुड़े रहते हैं.
सरकार से भी मिली मदद: किसान प्रमोद कुमार ने बताया कि सरकार की योजनाओं का हमें बहुत फायदा मिला है. हमारे गांव में कृषि विभाग के अधिकारी आए थे. गांव में कैंप लगा था. रजनीगंधा की फसल पर 24000 का योगदान भी मिला था. विदेशी फूलों को भी यहां लगाया गया था. हमारे यहां गांव से बहुत किसानों ने यहां फूलों की खेती करके शहरों में दुकानें खोल लीं है. जिन से उनको काफी आर्थिक फायदा होता है. मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर फसल रजिस्टर करा देते हैं. उस से सीधा पैसा अकाउंट में आ जाता है. सरकार की नीतियों का काफी फायदा मिल रहा है.
सरकार की अच्छी पहल: फतेहपुर में फूलों की खेती में जिस तरीके से ज्यादा लागत लगती है. उसी हिसाब से इस में मुनाफा भी ज्यादा मिलता है. किसानों का कहा है कि पारंपरिक खेती के साथ-साथ फूलों की खेती भी कर रहे हैं. सरकार की योजनाओं का भी लाभ मिलता है. गाजीपुर दिल्ली में फूलों को बेचा जाता है. हमारे गांव के अंदर फूल की खेती में गांव के 200 किसान लगे हुए हैं. हमारे किसानों ने एक सोसाइटी भी बनाई हुई है. जिसको गवर्नमेंट में रजिस्टर्ड किया गया है. इसका लाभ भी सभी को मिलता है. किसानों की सोसाइटी के माध्यम से सरकार तक समस्याओं को बताया जाता है और उसका समाधान मिलता है.
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सरकारी योजना से किसानों को लाभ: गौरतलब है कि प्रदेश सरकार किसानों को पारंपरिक खेती को छोड़कर इस तरह की खेती करने के लिए प्रोत्साहन राशि के तौर पर प्रति एकड़ ₹7000 का अनुदान भी दे रही है. जिसका लाभ भी यह किसान उठा रहे हैं. जहां धान की खेती में पानी की खपत ज्यादा होती थी और लागत भी बहुत ज्यादा आती थी. वहीं, अब किसान फूलों की खेती से डबल मुनाफा कमा रहे हैं और यही वजह है कि जहां एक और सरकार से इनको सहायता प्राप्त हो रही है.