फरीदाबाद: हरियाणा की औद्योगिक राजधानी और प्रदेश के खजाने में सबसे ज्यादा धन भरने वाले जिलों में शामिल फरीदाबाद में इन दिनों सांस लेना दूभर हो गया है. फरीदाबाद की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है. दिवाली के दौरान फरीदाबाद की हवा बेहद खतरनाक हो गई थी, जिसके बाद शहर को रेड जोन में घोषित कर दिया गया था. इन दिनों हाल ये हो गया है कि फरीदाबाद दिल्ली से ज्यादा प्रदूषित (Faridabad More Polluted than Delhi) हो गया है.
दिल्ली के मुकाबले फरीदाबाद का वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है. पिछले साल के मुकाबले इस बार हरियाणा में पराली भी कम जलाई गई है, उसके बावजूद हवा दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है. वायु गुणवत्ता सूचकांक की बात करें तो फरीदाबाद का AQI (AQI In Faridabad Haryana) 391 के करीब पहुंच गया है, जो कि बेहद खराब है. वहीं शुक्रवार को दिल्ली का AQI फरीदाबाद से कम दर्ज किया गया. दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 343 रहा.
जब ईटीवी भारत की टीम फरीदाबाद क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय (Faridabad Regional Pollution Control Board) पहुंची तो इस मामले को लेकर किसी भी अधिकारी ने बात करने से इनकार कर दिया. फरीदाबाद को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद चल रही है. साफ सफाई समेत प्रदूषण को सुधारने के लिए कई तरह के प्रोजेक्ट शहर में लगाने के दावे किये गये लेकिन प्रदूषण का ताजा स्तर इस बात की गवाही दे रहा है कि जमीनी स्तर पर सरकारी विभाग काम करने में फेल रहे हैं.
फरीदाबाद के समाजसेवी और पर्यावरण के लिए काम करने वाले जयभारत बताते हैं कि दिल्ली में डीजल की पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिसका दिल्ली में सख्ती से पालन भी हो रहा है. लेकिन फरीदाबाद की सड़कों पर अभी भी पुरानी गाड़ियां धड़ल्ले से दौड़ रही हैं. फैक्ट्रियों से धुआं भी बदस्तूर निकल रहा है. नगर निगम और पॉल्यूशन डिपार्टमेंट पॉल्यूशन पर नियंत्रण लगाने में फेल हैं.
आपको बता दें फरीदाबाद में की एनजीटी की रोक के बावजूद फैक्ट्रियां धड़ल्ले से चल रही हैं. इन फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं लगातार हवा में घुल रहा है. सड़कों पर ठीक ढंग से पानी का छिड़काव भी नहीं हो रहा है. फरीदाबाद में निर्माण कार्य को लेकर भी गाइड लाइन का पालन नहीं हो रहा है. सड़कों पर खुलेआम बड़े-बड़े ट्रक मिट्टी और रेत लेकर दौड़ते हैं. जिसकी वजह से हवा की गुणवत्ता खराब होती जा रही है.
हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद फरीदाबाद समेत कई जिलों को रेड जोन घोषित कर दिया गया था. एनजीटी ने भी बिल्डिंग निर्माण, खुले में कूड़ा जलाना, कोयले से चलने वाली फैक्ट्रियों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था. जिसके बाद कुछ दिन तो हवा ठीक रही लेकिन फिर से उसी ढर्रे पर सबकुछ चल पड़ा. हवा में फैसले वाले प्रदूषण के चलते अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है.
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