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लॉकडाउन की मार ने लोहारों का जीना किया मुहाल, दो वक्त की रोजी-रोटी का संकट और रोजगार भी हुआ चौपट - Faridabad Lohar economic condition

देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते लगाए गए लॉकडाउन के कारण फरीदाबाद में लोहारों द्वारा बनाए जा रहे सामानों की खरीद के लिए खरीदार नहीं पहुंच रहे हैं. जिसके चलते लोहारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

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फरीदाबाद में लॉकडाउन के चलते लोहारों की बदहाल आर्थिक स्थिति
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Published : Jun 4, 2021, 12:46 PM IST

फरीदाबाद: बढ़ते कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में लोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना संक्रमण के चलते लगाए गए लॉकडाउन ने लोगों को बेरोजगार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. वहीं फरीदाबाद के लोहरों की बात करें तो लॉकडाउन में लोहरों की आर्थिक स्थिति काफी बदतर हो गई है.

लोहे का सामान बनाने वाले कारीगर अपनी मेहनत से लोहे को आकार देकर उससे फावड़ा, खुरपा, तवा, कुल्हाड़ी आदि सामान बनाते हैं. लेकिन लॉकडाउन में ग्राहक ना आने के चलते लोहारों की खून-पसीना की मेहनत बेकार ही चली जाती है. क्योंकि लॉकडाउन( Lockdown) के चलते लोहारों के सामान की डिमांड कम होती जा रही है. जिसके चलते लोहारों के सामने बेरोजगारी का संकट खड़ा हो गया है.

फऱीदाबाद में लॉकडाउन से लोहारों की हुई बदहाल स्थिति

फरीदाबाद में लोहारों के द्वारा बनाए गए सामान की खपत कम होने का एक कारण यह भी है कि फावड़े, कुल्हाड़ी के लिए इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल महंगा हो गया है. लोहारों द्वारा बनाया जाने वाला ज्यादातर सामान किसान, मजदूर खरीदते हैं लेकिन निर्माण लागत अधिक होने से भी माल की खरीदारी में कमी आई है. दूसरी तरफ लॉकडाउन के चलते किसान भी बाजार में खरीदारी के लिए कम संख्या में ही पहुंच रहे हैं.

ये भी पढ़ें: बेरोजगारी में टॉप पर हरियाणा, ये लॉकडाउन का असर या सरकार की नाकामी ?

लॉकडाउन के कारण मार्केट में लोहारों का धंधा घटकर केवल 10% ही रह गया है. जिससे लॉकडाउन के कारण लोहारों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि आधुनिकीकरण के इस दौर में ज्यादातर काम मशीनों से होने लगा है. जिसके चलते भी लोहारों का अपना पुश्तैनी रोजगार चौपट होता जा रहा है.

ये भी पढ़ें: हरियाणा में बढ़ रही बेरोजगारी, योग्यता के हिसाब से काम नहीं मिलने से युवा नाखुश

फरीदाबाद: बढ़ते कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में लोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना संक्रमण के चलते लगाए गए लॉकडाउन ने लोगों को बेरोजगार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. वहीं फरीदाबाद के लोहरों की बात करें तो लॉकडाउन में लोहरों की आर्थिक स्थिति काफी बदतर हो गई है.

लोहे का सामान बनाने वाले कारीगर अपनी मेहनत से लोहे को आकार देकर उससे फावड़ा, खुरपा, तवा, कुल्हाड़ी आदि सामान बनाते हैं. लेकिन लॉकडाउन में ग्राहक ना आने के चलते लोहारों की खून-पसीना की मेहनत बेकार ही चली जाती है. क्योंकि लॉकडाउन( Lockdown) के चलते लोहारों के सामान की डिमांड कम होती जा रही है. जिसके चलते लोहारों के सामने बेरोजगारी का संकट खड़ा हो गया है.

फऱीदाबाद में लॉकडाउन से लोहारों की हुई बदहाल स्थिति

फरीदाबाद में लोहारों के द्वारा बनाए गए सामान की खपत कम होने का एक कारण यह भी है कि फावड़े, कुल्हाड़ी के लिए इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल महंगा हो गया है. लोहारों द्वारा बनाया जाने वाला ज्यादातर सामान किसान, मजदूर खरीदते हैं लेकिन निर्माण लागत अधिक होने से भी माल की खरीदारी में कमी आई है. दूसरी तरफ लॉकडाउन के चलते किसान भी बाजार में खरीदारी के लिए कम संख्या में ही पहुंच रहे हैं.

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लॉकडाउन के कारण मार्केट में लोहारों का धंधा घटकर केवल 10% ही रह गया है. जिससे लॉकडाउन के कारण लोहारों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि आधुनिकीकरण के इस दौर में ज्यादातर काम मशीनों से होने लगा है. जिसके चलते भी लोहारों का अपना पुश्तैनी रोजगार चौपट होता जा रहा है.

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