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अब कृषि अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों को बताएंगे सफेद मक्खी से बचाव के तरीके - सफेद मक्खी हमला भिवानी

भिवानी में सफेद मक्खी से बचाव को लेकर कृषि वैज्ञानिक अब गांव-गांव जाकर किसानों जागरूक करेंगे. कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि भिवानी में कपास के किसानों पर सफेद मक्खी का प्रकोप बना हुआ है.

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Published : Sep 1, 2020, 7:39 PM IST

भिवानी: कपास की फसल को सफेद मक्खी के प्रकोप से बचने को लेकर स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में हिसार से चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने जिला में कार्यरत कृषि अधिकारियों को सफेद मक्खी से बचने के बारे में कई तरह के उपाय बताए.

कृषि अधिकारियों द्वारा गांव में जाकर किसानों को सफेद मक्खी से बचाव के बारे में जागरूक करेंगे. कार्यशाला के दौरान कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि भिवानी में करीब 88,000 हेक्टेयर भूमि पर कपास की फसल है. उन्होंने बताया कि कपास में मुख्य रूप से सफेद मक्खी थिरप्स और दीमक नुकसान करते हैं. फिलहाल जिले में सफेद मक्खी का प्रकोप बना हुआ है.

अब कृषि अधिकारी किसानों को बताएंगे सफेद मक्खी से बचाव के तरीके, देखें वीडियो

उन्होंने बताया कि जिला में 88,000 हेक्टेयर कपास की फसल में करीब 30,000 हेक्टेयर में करीब 51 से 75% पर सफेद मक्खी का प्रकोप है. उन्होंने बताया कि सफेद मक्खी एक ही फसल पर नहीं बल्कि विभिन्न फसलों पर जीवित रहती है. ये प्रवासी तरह की किट है जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर आ जा सकती है. उन्होंने बताया कि सफेद मक्खी जुलाई से सितंबर महीने में ज्यादा आती है.

ये भी पढ़ें- JEE परीक्षा के दौरान कैसे रहे इंतजाम? सुनिए क्या कहा परीक्षार्थियों ने

उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक विधि से सफेद मक्खी से प्रकोप से उपाय संभव है. किसानों को कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर दवाई का प्रयोग करना चाहिए. उन्होंने बताया कि जुलाई से अगस्त के दौरान कम लागत वाले पीले चित्र पर जल का प्रयोग किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि किसान महज दवा विक्रेता की बात मानकर दवाई का छिड़काव ना करें.

बता दें कि, 100 से 125 अंडे देने वाली सफेद मक्खी फसलों की तबाही की वजह बन रही है. इस मौसम में ये मक्खी फलती-फूलती है और इसका जीवन चक्र 30 से 35 दिन का होता है. सफेद मक्खी कपास के पौधे के पत्तों पर बैठकर लार छोड़ती है, जिससे पत्ते काले पड़ जाते हैं और इस वजह से पौधे का विकास नहीं हो पाता.

भिवानी: कपास की फसल को सफेद मक्खी के प्रकोप से बचने को लेकर स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में हिसार से चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने जिला में कार्यरत कृषि अधिकारियों को सफेद मक्खी से बचने के बारे में कई तरह के उपाय बताए.

कृषि अधिकारियों द्वारा गांव में जाकर किसानों को सफेद मक्खी से बचाव के बारे में जागरूक करेंगे. कार्यशाला के दौरान कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि भिवानी में करीब 88,000 हेक्टेयर भूमि पर कपास की फसल है. उन्होंने बताया कि कपास में मुख्य रूप से सफेद मक्खी थिरप्स और दीमक नुकसान करते हैं. फिलहाल जिले में सफेद मक्खी का प्रकोप बना हुआ है.

अब कृषि अधिकारी किसानों को बताएंगे सफेद मक्खी से बचाव के तरीके, देखें वीडियो

उन्होंने बताया कि जिला में 88,000 हेक्टेयर कपास की फसल में करीब 30,000 हेक्टेयर में करीब 51 से 75% पर सफेद मक्खी का प्रकोप है. उन्होंने बताया कि सफेद मक्खी एक ही फसल पर नहीं बल्कि विभिन्न फसलों पर जीवित रहती है. ये प्रवासी तरह की किट है जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर आ जा सकती है. उन्होंने बताया कि सफेद मक्खी जुलाई से सितंबर महीने में ज्यादा आती है.

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उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक विधि से सफेद मक्खी से प्रकोप से उपाय संभव है. किसानों को कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर दवाई का प्रयोग करना चाहिए. उन्होंने बताया कि जुलाई से अगस्त के दौरान कम लागत वाले पीले चित्र पर जल का प्रयोग किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि किसान महज दवा विक्रेता की बात मानकर दवाई का छिड़काव ना करें.

बता दें कि, 100 से 125 अंडे देने वाली सफेद मक्खी फसलों की तबाही की वजह बन रही है. इस मौसम में ये मक्खी फलती-फूलती है और इसका जीवन चक्र 30 से 35 दिन का होता है. सफेद मक्खी कपास के पौधे के पत्तों पर बैठकर लार छोड़ती है, जिससे पत्ते काले पड़ जाते हैं और इस वजह से पौधे का विकास नहीं हो पाता.

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