चरखी दादरी: सरकार एक तरफ किसानों की के लिए अनेक योजनाएं लागू करने की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ मंडियों में किसान की हालत को देखने के लिए सरकार के पास समय नहीं है. दावों से हटकर मंडियों की हालत कुछ और ही हकीकत बयां कर रही है.
मंडी में खरीद एजेंसियों और अधिकारियों की लापरवाही के चले अन्न का अनादर हो रहा है. मंडी में हजारो टन गेहूं खुले में पड़ा है. मंडी में उठान न होने के चलते गेहूं की भरमार हो गई है. किसानों का दाना चारों ओर सड़क पर बिखर रहा है.
पिछली बारिश के चलते मंडी में पड़े गेहूं की गुणवत्ता में कमी आई है. बारिश की नमी से गेहूं के लोथड़े बन गए हैं. मंडी में गेहूं के भंडारण के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है. किसानों का कहना है कि अधिकारी अपनी की मनमर्जी चला रहे हैं. वहीं आढ़तियों का कहना है कि अधिकारियों की लापरवाही के चलते उन्हें भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
मार्केट कमेटी सचिव का कहना है कि लिफ्टिंग न होन के कारण मंडी में कुछ अनाज खराब हो रहा है. ऐसे हालातों को देखते हुए खरीद एजेंसियों से मीटिंग कर उठान के निर्देश दिए गए हैं. गेहूं की आवक बढ़ने के कारण मंडी में अनाज डालने के लिए जगह नहीं है. मंडी प्रबंधन द्वारा पुख्ता प्रबंध किए जा रहे हैं.