चरखी दादरी: हरियाणा में एक बार फिर किसान आंदोलन की रणनीति बनाने लगे हैं. इस मामले में किसान संगठन एकजुट होकर जींद में बैठक करेंगे. जींद की इस बैठक में आंदोलन दोबारा शुरू करने को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है. जींद बैठक की तारीख अभी तक तय नहीं की गई लेकिन किसानों का कहना है कि उससे पहले प्रदेश के सभी संगठनों को एकजुट किया जायेगा. यही नहीं किसान एक बार फिर दिल्ली बॉर्डर भी सील कर सकते हैं.
किसानों की मानें तो सरकार उनके साथ वादा खिलाफी कर रही है. इसलिए एक बार फिर से आंदोलन शुरू किया जाएगा और इस बार पहले की अपेक्षा ज्यादा संख्या में किसान दिल्ली बार्डर पर जुटेंगे. इसके लिए सभी किसान संगठनों को एकजुट करने की कवायद शुरू हो गई है. जिला स्तर पर कमेटियां भी बनाई जा रही हैं. जल्द ही जींद में किसान सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा जिसमें किसानों की मांगे पूरी नहीं होने पर सभी किसान संगठन बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार करते हुए आगे का निर्णय लेंगे.
किसानों की मांगें क्या हैं- अन्नदाता किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरुमुख सिंह की अध्यक्षता में हुई मीटिंग ये किसानों के साथ सरकार के पुराने वादों को लेकर मंथन किया गया. इसमें किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज किए मुकदमों को वापस लेने, जेलों में बंद किसानों की रिहाई, एमएसपी गारंटी कानून बनाने, स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू कराने, फसल बीमा मुआवजा, नहरी पानी सप्लाई, तूड़ी पर बैन, किसानों के कर्ज माफ कराने, भूमि अधिग्रहण विधेयक सहित कई मुद्दे शामिल हैं. सोमवार को चरखी दादरी में हुई इस मीटिंग में सभी किसान संगठनों ने एकजुट होकर आंदोलन शुरू करने का निर्णय लिया.
किसानों को ना एमएसपी मिला और ना ही उन पर दर्ज मुकदमे वापस हुए. केंद्र सरकार ने किसानों के साथ वायदा खिलाफी की है. ऐसे में अब किसान संगठनों को एकजुट करते हुए जींद में किसान सम्मेलन कर बड़े फैसले लिए जाएंगे. हरियाणा के प्रत्येक जिलों में मीटिंग करके किसान संगठनों को एकजुट करेंगे. सरकार के वादे पर भरोसा करके किसानों ने दिल्ली बार्डर पर धरना स्थगित किया था. जरूरत पड़ने पर फिर से बॉर्डर सिल करें. गुरुमुख सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, अन्नदाता किसान यूनियन
किसान आंदोलन कब खत्म हुआ था- आपको बता दें कि 19 नवंबर 2021 को गुरु नानक जयंती के मौके पर सुबह 9 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था. करीब डेढ़ साल से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने सरकार से लिखित भरोसा मिलने के बाद आंदोलन को स्थगित करने का फैसला किया था. सरकार ने एमसपी पर कमेटी बनाने, आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए केस को वापस लेने संबंधी किसानों की मांगों को मानने का लिखित आश्वासन दिया था. जिसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन को स्थगित करने का फैसला किया. हलांकि संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद किसान नेताओं ने ये भी कहा था कि ये आंदोलन स्थगित हो रहा है खत्म नहीं. अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो आंदोलन फिर से शुरू किया जायेगा.