चरखी दादरी: दादरी में 46 साल पहले सरकार ने किसानों की उपजाऊ जमीन को अनुसूचति जाति के लिए कॉलोनी विकसित करने के लिए अधिग्रहित किया था. साढ़े चार दशक बाद भी जमीन पर कॉलोनी तो दूर प्लॉटिंग का काम तक शुरू नहीं हो पाया है. ऐसे में इस जमीन पर अवैध कब्जे होते जा रहे हैं. अब वो किसान जिनकी जमीन अधिग्रहित की थी वो अपनी जमीन सरकार से वापल देने की गुहार लगा रहे हैं.
दादरी में इस 46 एकड़ जमीन के लिए भी मालिकाना हक दावा करने वाले किसानों ने मांग की है कि उन्हें उनकी भूमि वापस दी जाए और वो सरकार की अधिकृत राशि को ब्याज समेत वापस सरकार को देने के लिए तैयार हैं. जमीन पर मालिकाना हक का दावा करने वाले किसान विमल चंद ने आरोप लगाया कि सरकार ने 46 साल पहले जबरन उनकी जमीन अधिग्रहित की थी.
क्या है मामला?
बता दें कि करीब साढ़े चार दशक पहले तत्कालीन सरकार द्वारा अनुसूचित जाति को प्लॉट देने के लिए शहर के महेंद्रगढ़ चुंगी के नजदीक करीब 46 एकड़ जमीन किसानों से एक रुपये 10 पैसे प्रति गज के रेट से खरीदी गई थी. उसके बाद से ये जमीन बेकार ही पड़ी है. ना तो प्लॉट काटे गए और ना ही इसका सदुपयोग हुआ. हालांकि कांग्रेस सरकार के दौरान इस जमीन पर हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी विकसित करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी. बावजूद इसके ये जमीन यूं ही पड़ी हुई है.
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खाली पड़ी जमीन पर सैंकड़ों लोगों ने अवैध रूप से कब्जे भी कर लिए हैं. ऐसे में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों ने डीसी को ज्ञापन देते हुए सरकार और प्रशासन से जमीन वापस देने की गुहार लगाई है. वहीं इसपर कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि इस मामले को वो जल्द ही संज्ञान लेंगे. उन्होनें कहा भिवानी हो या दादरी कहीं पर भी सरकारी जमीनों पर कब्जे नहीं होने दिए जाएंगे.