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गेहूं की नाममात्र सरकारी खरीद होने से मजदूरों के सामने खड़ा हुआ रोजी-रोटी का संकट - Haryana Latest News

हरियाणा सरकार द्वारा घोषित रबी सीजन के लिए खरीद नीति के अनुसार एक अप्रैल से गेहूं की खरीद आरंभ कर दी गई. वहीं चरखी दादरी की सबसे बड़ी अनाज मंडी (Charkhi Dadri Grain Market) में भी गेहूं की सरकारी खरीद एक अप्रैल से शुरू हो चुकी है. मंगलवार को चरखी दादरी की नई अनाज मंडी में महज 12 किसान गेहूं लेकर पहुंचे.

less Grain procurement in Charkhi Dadri
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Published : Apr 13, 2022, 3:32 PM IST

चरखी दादरी: गेहूं की सरकारी खरीद को दूसरा सप्ताह बीत जाने के बाद भी किसानों का रुझान मंडी की ओर दिखाई नहीं दे रहा है. आज यानी बुधवार को दादरी की नई अनाज मंडी (Charkhi Dadri Grain Market) में महज 12 किसान गेहूं लेकर पहुंचे. किसानों की तरफ से मंडी में 940 क्विटल गेहूं बेचा गया है. वहीं कुल खरीद की बात करें तो किसानों ने 12 दिनों में करीब 3300 क्विटल गेहूं सरकार को एमएसपी पर बेचा है. किसानों के मंडी ना पहुंचने के कारण मंडियों में पिछले वर्षों जैसी रौनक नहीं दिखाई दे रही है. मंडियों में हर वर्ष सैकड़ों प्रवासी मजदूर रोजी रोटी की तलाश में आते हैं. ऐसे में मजदूरों को भी कामकाज नहीं मिल पा रहा है.

गौरतलब है कि बाजारों में फसलों की ज्यादा कीमत मिलने के कारण दादरी ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के किसान खरीद केंद्रों पर गेहूं व सरसों बेचने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं. पिछले वर्षों की बात करें तो इन दिनों एमएसपी पर फसल बेचने के लिए किसानों का तांता लग जाता था. फसल बेचने के लिए किसानों में होड़ लगी रहती थी. लेकिन इस बार अप्रैल के महीने का दूसरा सप्ताह शुरू होने के बाद भी मंडियां व खरीद केंद्र में सन्नाटा पसरा है. खुली बोली में सरसों की खरीद एमएसपी से करीब 1500 रुपये व गेहूं की खरीद 500 रुपये अधिक हो रही है.

गेहूं की नाममात्र सरकारी खरीद होने से मजदूरों के सामने खड़ा हुआ रोजी-रोटी का संकट

ये भी पढ़ें- अनाज मंडी का औचक निरीक्षण करने पहुंचे विधानसभा अध्यक्ष ने लगाई अधिकारियों की क्लास

मंडी एक्सपर्ट का कहना है कि गेहूं की खरीद कम होने के पीछे एक प्रमुख कारण है कि किसान सरकार से बोनस मिलने की उम्मीद में है. किसान खेतों से फसल निकालकर घरों में उसका भंडारण कर रहे हैं. दादरी अनाज मंडी के अधिकारी के कहा कि किसानों को गेहूं का रेट बढ़ने की आशंका है, ऐसे में किसान अपनी फसल नहीं बेच रहे हैं. एमएसपी से ज्यादा रेट ओपन मार्केट में मिल रहा है, ऐसे में किसान अपनी फसल का स्टॉक भारी मात्रा में कर रहे हैं. हालांकि मार्केट कमेटी व खरीद एजेंसियों द्वारा गेंहू खरीद के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं, बावजूद इसके पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मंडियों में नाममात्र ही अनाज आ रहा है.

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चरखी दादरी: गेहूं की सरकारी खरीद को दूसरा सप्ताह बीत जाने के बाद भी किसानों का रुझान मंडी की ओर दिखाई नहीं दे रहा है. आज यानी बुधवार को दादरी की नई अनाज मंडी (Charkhi Dadri Grain Market) में महज 12 किसान गेहूं लेकर पहुंचे. किसानों की तरफ से मंडी में 940 क्विटल गेहूं बेचा गया है. वहीं कुल खरीद की बात करें तो किसानों ने 12 दिनों में करीब 3300 क्विटल गेहूं सरकार को एमएसपी पर बेचा है. किसानों के मंडी ना पहुंचने के कारण मंडियों में पिछले वर्षों जैसी रौनक नहीं दिखाई दे रही है. मंडियों में हर वर्ष सैकड़ों प्रवासी मजदूर रोजी रोटी की तलाश में आते हैं. ऐसे में मजदूरों को भी कामकाज नहीं मिल पा रहा है.

गौरतलब है कि बाजारों में फसलों की ज्यादा कीमत मिलने के कारण दादरी ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के किसान खरीद केंद्रों पर गेहूं व सरसों बेचने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं. पिछले वर्षों की बात करें तो इन दिनों एमएसपी पर फसल बेचने के लिए किसानों का तांता लग जाता था. फसल बेचने के लिए किसानों में होड़ लगी रहती थी. लेकिन इस बार अप्रैल के महीने का दूसरा सप्ताह शुरू होने के बाद भी मंडियां व खरीद केंद्र में सन्नाटा पसरा है. खुली बोली में सरसों की खरीद एमएसपी से करीब 1500 रुपये व गेहूं की खरीद 500 रुपये अधिक हो रही है.

गेहूं की नाममात्र सरकारी खरीद होने से मजदूरों के सामने खड़ा हुआ रोजी-रोटी का संकट

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मंडी एक्सपर्ट का कहना है कि गेहूं की खरीद कम होने के पीछे एक प्रमुख कारण है कि किसान सरकार से बोनस मिलने की उम्मीद में है. किसान खेतों से फसल निकालकर घरों में उसका भंडारण कर रहे हैं. दादरी अनाज मंडी के अधिकारी के कहा कि किसानों को गेहूं का रेट बढ़ने की आशंका है, ऐसे में किसान अपनी फसल नहीं बेच रहे हैं. एमएसपी से ज्यादा रेट ओपन मार्केट में मिल रहा है, ऐसे में किसान अपनी फसल का स्टॉक भारी मात्रा में कर रहे हैं. हालांकि मार्केट कमेटी व खरीद एजेंसियों द्वारा गेंहू खरीद के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं, बावजूद इसके पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मंडियों में नाममात्र ही अनाज आ रहा है.

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