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किसान की मौत का मामला: आश्रितों को 15 लाख मुआवजा, बेटों को सरकारी नौकरी पर बनी सहमति

नारनौल में ग्रीन कॉरिडोर की अधिग्रहित जमीन का मुआवजा वृद्धि की मांग को लेकर घरने पर बैठे किसान की मौत हो गई थी. इस मामले में अब किसानों ने मृतक किसान के शव को अंतिम संस्कार कर दिया है.

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Published : Aug 5, 2019, 5:37 PM IST

किसान की मौत मामला

चरखी दादरी: नारनौल से गंगेहड़ी तक ग्रीन कॉरिडोर 152डी की अधिग्रहित जमीन का मुआवजा वृद्धि की मांग को लेकर गांव ढाणी फौगाट में धरने पर बैठे किसान की शनिवार को मौत हो गई थी. जिसके बाद से इस मामले ने राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया और पिछले 24 घंटे से लगातार शव के साथ किसान, राजनीतिक और अन्य संगठनों के सदस्य डटे हुए थे.

क्लिक कर देखें वीडियो

सोमवार को दिनभर प्रशासन की किसानों से कई दौर की वार्ताएं हुई. काफी देर बाद प्रशासन ने किसानों को दिए आश्वासन पर सहमति बनी. डीसी धर्मबीर सिंह ने किसानों को आश्वासन दिया कि मृतक किसान के आश्रितों को 15 लाख की आर्थिक सहायता और दोनों बेटों को डीसी रेट पर नौकरी दी जाएगी.

शहीद का दर्जा देने की मांग पर उन्होंने इस संबंध में सरकार को पत्र लिखने का आश्वासन दिया. जिसके बाद किसानों ने शव को उठाया और 54 घंटे बाद गांव में अंतिम संस्कार किया गया.

बता दें कि शनिवार को गांव ढाणी फौगाट में धरने पर बैठे 56 वर्षीय किसान रामौतार के सीने में दर्द होने से मौत हो गई थी. किसान की मौत के बाद जिलेभर के किसान और अन्य संगठनों के सदस्य धरनास्थल पर पहुंच गए थे.

धरने पर ही किसानों ने निर्णय लेते हुए मृत किसान को शहीद का दर्जा, आश्रितों को एक करोड़ की सहायता और दोनों बेटों को सरकारी नौकरी की मांग की थी.

बता दें कि यहां कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर, पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान, जेजेपी प्रदेश महासचिव उमेद पातुवास, किसान कांग्रेसी नेता राजू मान, विजय सांगवान सहित कई पार्टियों के नेता और पदाधिकारी समर्थन में पहुंचे. किसान संगठन, खापों के पदाधिकारियों सहित सामाजिक संगठनों ने भी किसानों की मांगों को जायज बताया.

चरखी दादरी: नारनौल से गंगेहड़ी तक ग्रीन कॉरिडोर 152डी की अधिग्रहित जमीन का मुआवजा वृद्धि की मांग को लेकर गांव ढाणी फौगाट में धरने पर बैठे किसान की शनिवार को मौत हो गई थी. जिसके बाद से इस मामले ने राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया और पिछले 24 घंटे से लगातार शव के साथ किसान, राजनीतिक और अन्य संगठनों के सदस्य डटे हुए थे.

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सोमवार को दिनभर प्रशासन की किसानों से कई दौर की वार्ताएं हुई. काफी देर बाद प्रशासन ने किसानों को दिए आश्वासन पर सहमति बनी. डीसी धर्मबीर सिंह ने किसानों को आश्वासन दिया कि मृतक किसान के आश्रितों को 15 लाख की आर्थिक सहायता और दोनों बेटों को डीसी रेट पर नौकरी दी जाएगी.

शहीद का दर्जा देने की मांग पर उन्होंने इस संबंध में सरकार को पत्र लिखने का आश्वासन दिया. जिसके बाद किसानों ने शव को उठाया और 54 घंटे बाद गांव में अंतिम संस्कार किया गया.

बता दें कि शनिवार को गांव ढाणी फौगाट में धरने पर बैठे 56 वर्षीय किसान रामौतार के सीने में दर्द होने से मौत हो गई थी. किसान की मौत के बाद जिलेभर के किसान और अन्य संगठनों के सदस्य धरनास्थल पर पहुंच गए थे.

धरने पर ही किसानों ने निर्णय लेते हुए मृत किसान को शहीद का दर्जा, आश्रितों को एक करोड़ की सहायता और दोनों बेटों को सरकारी नौकरी की मांग की थी.

बता दें कि यहां कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर, पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान, जेजेपी प्रदेश महासचिव उमेद पातुवास, किसान कांग्रेसी नेता राजू मान, विजय सांगवान सहित कई पार्टियों के नेता और पदाधिकारी समर्थन में पहुंचे. किसान संगठन, खापों के पदाधिकारियों सहित सामाजिक संगठनों ने भी किसानों की मांगों को जायज बताया.

Intro:धरने पर किसान की मौत का मामला:-
आश्रितों को 15 लाख मुआवजा, बेटों को डीसी रेट नौकरी पर बनी सहमती
: किसानों, खापों, सामाजिक व राजनीतिक संगठन समर्थन में पहुंचे
: शव का 54 घंटे बाद किया अंतिम संस्कार, दिनभर चला वार्ताओं का दौर
: मृतक किसान का मामला निपटा, 24 अगस्त को रेल रोकेंगे किसान
चरखी दादरी। नारनौल से गंगेहड़ी तक ग्रीन कारिडोर 152डी की अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा वृद्धि की मांग को लेकर गांव ढाणी फौगाट में धरने पर बैठे किसान की शनिवार को मौत हो गई थी। जिसके बाद से इस मामले में राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया और पिछले 24 घंटे से लगातार शव के साथ किसान, राजनीतिक व अन्य संगठनों के सदस्य डटे हुए थे। सोमवार को दिनभर प्रशासन की किसानों से कई दौर की वार्ताएं हुई। काफी देर बाद प्रशासन ने किसानों को दिए आश्वासन पर सहमती बनी। डीसी धर्मबीर सिंह ने किसानों को आश्वासन दिया कि मृतक किसान के आश्रितों को 15 लाख की आर्थिक सहायता व दोनों बेटों को डीसी रेट पर नौकरी दी जाएगी। शहीद का दर्जा देने की मांग पर उन्होंने इस संबंध में सरकार को पत्र लिखने का आश्वासन दिया। जिसके बाद किसानों ने शव को उठाया और 54 घंटे बाद गांव में अंतिम संस्कार किया गया। Body:बता दें कि शनिवार को गांव ढाणी फौगाट में धरने पर बैठे 56 वर्षीय किसान रामौतार के सीने में दर्द होने से मौत हो गई थी। किसान की मौत के बाद जिलेभर के किसान व अन्य संगठनों के सदस्य धरनास्थल पर पहुंच गए थे। धरने पर ही किसानों ने निर्णय लेते हुए मृत किसान को शहीद का दर्जा, आश्रितों को एक करोड़ की सहायता व दोनों बेटों को सरकारी नौकरी की मांग की थी। हालांकि इस दौरान पुलिस टीम धरने पर पहुंची थी, जिसे किसानों ने बैरंग लौटा दिया था। 30 घंटे तक धरनास्थल पर प्रशासनिक अधिकारियों व किसानों के बीच कई दौर की वार्ता चली। लेकिन सिरे नहीं चढ़ पाई और किसान अपनी मांगों को लेकर शव के साथ डटे रहे। कुछ सतय अंतराल की किसान की मौत का मामला राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया। यहां कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर, पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान, जजपा प्रदेश महासचिव उमेद पातुवास, किसान कांग्रेसी नेता राजू मान, विजय सांगवान सहित कई पार्टियों के नेता व पदाधिकारी समर्थन में पहुंचे। किसान संगठन, खापों के पदाधिकारियों सहित सामाजिक संगठनों ने भी किसानों की मांगों को जायज बताया। रविवार को किसानों ने शव साथ लेकर लघु सचिवालय पहुंचे और मांग पूरी होने तक शव का अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया। दिनभर प्रशासन व किसानों के बीच चली वार्ता विफल रही।
सोमवार को सुबह से ही लघु सचिवालय परिसर में प्रदेश भर के धरनारत किसान, खापों के पदाधिकारी, सामाजिक व राजनीतिक लोगों समर्थन में आए। यहां सभी ने एकजुट होकर फैसला लिया और प्रशासन को अवगत करवाते हुए कहा कि उनकी मांगों का पूरा किया गया तो वे शव को नहीं उठाएंगे। दोपहर डीसी धर्मबीर सिंह व एसपी मोहित हांडा किसानों के बीच पहुंचे और काफी देर तक विचार-विमर्श कर आश्वासन दिया कि मृत किसान के आश्रितों को 15 लाख रुपए की आर्थिक सहायता व दोनों बेटों को डीसी रेट पर नौकरी दी जाएगी। किसान को शहीद का दर्जा दिलवाने बारे सरकार को पत्र लिखने पर सहमति बनी। इस आश्वासन के बाद किसानों ने शव का अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया। किसानों ने उचित प्रक्रिया पूरी करते हुए करीब 54 घंटे बाद गांव ढाणी फौगाट में अंतिम संस्कार किया गया। Conclusion:बाक्स:-
आश्वासन पर माने किसान, पुरानी मांगे यथावत
धरने पर पहुंचे किसान नेता रमेश दलाल व धरना कमेटी के सदस्य शमशेर सिंह ने संयुक्त रूप से बताया कि प्रशासन के आश्वासन पर शव का अंतिम संस्कार किया गया है। लेकिन ग्रीन कारिडोर को लेकर उनकी मांगे यथावत रहेंगे। 13 अगस्त तक सरकार को अल्टीमेटम दिया गया है। अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी तो 14 अगस्त को पंजाब की ओर जाने वाली टे्रनों को रोक दिया जाएगा। इसके लिए प्रदेश भर में चल रहे धरनों पर तैयारियां शुरू कर दी हैं।
बाक्स:-
उचित आश्वासन दिया, किसान सहमत
डीसी धर्मबीर सिंह ने बताया कि किसानों की मांगों को लेकर कई दौर की वार्ताएं चली। लगातार शव को लेकर डटे किसानों को आश्वासन दिया कि उचित मुआवजा व डीसी रेट पर नौकरी दी जाएगी। इसी आश्वासन पर किसानों द्वारा शव यहां से ले गए।
विजवल:- 1
लघु सचिवालय परिसर में रखा किसान का शव, उपस्थित किसान व अन्य संगठनों के सदस्य, किसानों का संबोधन, आश्वासन देते डीसी के कट शाटस
बाईट:- 2
शमसेर सिंह, धरना कमेटी सदस्य
बाईट:- 3
रमेश दलाल, किसान नेता
बाईट:- 4
धर्मबीर सिंह, डीसी
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